कुरुक्षेत्र: साल 2012 में राजधानी दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप और हत्या कांड में सात साल के बाद परिवार को इंसाफ मिला है. तिहाड़ जेल में शुक्रवार सुबह ठीक 5.30 बजे निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दे दी गई. निर्भया के चारों दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन गुप्ता को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया और बाद में पोस्टमार्टम भी किया गया.
निर्भया के दोषियों को फांसी
इस पर सर्व जात सर्व खाप महिला पंचायत की अध्यक्ष डॉ. संतोष दहिया का कहना है कि देर से सही आखिर निर्भया के हत्यारों को फांसी हुई. उसकी आत्मा को सकुन मिला और इसे निर्भया जैसी अनेकों लड़कियों के लिए भी इंसाफ माना जाए जो आए दिन देश में कहीं न कहीं दरिंदगी का शिकार होती रहती हैं.
चारों दरिंदों ने कानून का खूब सहारा लिया. जब उनकी जान पर बन आई, उन्होंने हर कानूनी दांवपेच का सहारा लेकर अपने आप को बचाने की कोशिश की लेकिन उनको ये खयाल नहीं आया कि जिस वक्त उन्होंने घिनौनी दरिंदगी की थी, उस मासूम पर क्या बीती होगी? इस मामले में एक आरोपी जो कि नाबालिग था उस पर भी कोई न कोई कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए थी.
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डॉ. संतोष दहिया का कहना है कि नाबालिक होने से उसका जुर्म कम नहीं हो जाता. वारदाते के वक्त उसकी आयु 6 महीने कम थी. 6 महीने बालिक होने में बेशक बचे थे लेकिन उसका जुर्म भी उतना ही था, जितना औरों का. उन्होंने कोर्ट के इस फैसले को निर्भया के परिवार को सुकून देने वाला बताया. निर्भया के माता-पिता ने ये कानूनी लंबी लड़ाई अपनी बेटी के इंसाफ के लिए लड़ी, आज उनकी जीत हुई है.