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किस्सा हरियाणे का: यहां लोग 22 सौ साल से एक जिन्न के खौफ में जीते हैं! - गुफा में जिन

लोगों का मानना है कि 22 सौ साल पहले जब भी पिहोवा में किसी की शादी होती थी तो शादी की पहली रात को आई नई नवेली दुल्हन को इस जिन्न के पास गुफा में भेजना पड़ता था. दुल्हन के साथ 50 लोगों के खाने के साथ शराब भी भेजनी पड़ती थी. अगर कोई शख्स इस बात को नहीं मानता. तो ये जिन्न उसके पूरे परिवार को मौत के घाट उतार देता था.

किस्सा हरियाणे का: यहां लोग 22 सौ साल से एक जिन्न के खौफ में जीते हैं!
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Published : Jun 16, 2019, 12:11 AM IST

Updated : Jun 16, 2019, 1:24 AM IST

कुरुक्षेत्र: बचपन में भूत, प्रेत, पिशाच और जिन्नों की कहानियां तो खूब सुनी होंगी. उन कहानियों के किरदारों की कल्पना कर, डर भी लगा होगा. लेकिन हरियाणा में एक ऐसी जगह है. जहां के लोग 22 सौ साल से एक जिन्न के खौफ के साये में रहते हैं. जी हां, 'किस्सा हरियाणे का' के तीसरे एपिसोड में हम आपको लिए चलते हैं विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी के किनारे बसे पिहोवा कस्बे में.

पिहोवा के कथित जिन्न की गुफा में ईटीवी भारत, देखिए खास रिपोर्

'फिल्म नहीं, सच है ये'
कहा जाता है कि यहां एक समाधि है. और इस समाधि में दफ्न है एक जिन्न. अब हम आपको जो कहानी बताने जा रहे हैं वो किसी फिल्म का हिस्सा तो नहीं है, मगर कहानी सुनते ही आपके जहन में फिल्म हातिम ताई का ख्याल जरूर आएगा. फिल्म तो काल्पनिक थी. स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां जो भी है. वो बिल्कुल सच है जिसके तथ्य भी हैं और अटूट मान्यता भी.

जिन्न मांगता था नई नवेली दुल्हन!
लोगों का मानना है कि 22 सौ साल पहले जब भी पिहोवा में किसी की शादी होती थी तो शादी की पहली रात को आई नई नवेली दुल्हन को इस जिन्न के पास गुफा में भेजना पड़ता था. दुल्हन के साथ 50 लोगों के खाने के साथ शराब भी भेजनी पड़ती थी. अगर कोई शख्स इस बात को नहीं मानता. तो ये जिन्न उसके पूरे परिवार को मौत के घाट उतार देता था. जिन्न कई सौ सालों तक लोगों को यूं ही परेशान करता था. स्थानीय लोग उस जिन्न से दुखी हो चुके थे लेकिन उनके पास कोई चारा भी नहीं था.

'जब बाबा ने ली जिन्न के साथ समाधि'
लोगों को किसी तरह पता चला कि इस जिन्न के प्रकोप का तोड़ महान बाबा पंचमनाथ के पास है. पूरे इलाके के लोग इकट्ठा होकर बाबा पंचमनाथ से मिले. बाबा ने भी उन्हें आश्वस्त किया कि, जल्द ही उन्हें इस समस्या से निजात मिल जाएगी. उन्होंने लोगों को गुफा के पास ही एक बड़ा गड्ढा खोदने के लिए भी कहा. कहा जाता है कि, अगली बार जब पिहोवा में नई नवेली दुल्हन आई तो. बाबा पंचम नाथ खुद लाल लिबास में दुल्हन बनकर जिन्न के पास चले गए, जिन्न बाबा को दुल्हन समझ कर जब उनकी तरफ आया. तो बाबा उसे पकड़कर उस गड्ढे में ले गए. वहां दोनों में काफी देर झगड़ा होता रहा. बाबा जिन्न की छाती पर बैठ गए और बाहर खड़े लोगों को मिट्टी डालने के लिए आदेश दिया. बताया जाता है बाबा ने जिन्न के साथ इसी जगह जिंदा समाधि ले ली.

'शिलालेख पर प्रमाण भी है'
इस मंदिर में इसका प्रमाण भी है. 1791 में ब्रह्मलिपि में लिखी प्राचीन शिलालेख आज भी यहां मौजूद है. माना जाता है जब बाबा ने समाधि ली. तभी ये शिलालेख भी लगा दिया गया था. आज भी वही पुरानी प्रथा उसी तरह से चली आ रही है. जब भी पिहोवा में कोई नई नवेली दुल्हन आती है.. तो दूल्हा-दुल्हन बाबा की समाधि पर माथा टेकते हैं. वहां महंत उनकी झोली में आटे की रोटी डालकर दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद देते हैं. 'किस्सा हरियाणे का' के इस एपिसोड में फिलहाल इतना ही.. अगले एपिसोड में फिर पेश होंगे एक नई कहानी के साथ.

कुरुक्षेत्र: बचपन में भूत, प्रेत, पिशाच और जिन्नों की कहानियां तो खूब सुनी होंगी. उन कहानियों के किरदारों की कल्पना कर, डर भी लगा होगा. लेकिन हरियाणा में एक ऐसी जगह है. जहां के लोग 22 सौ साल से एक जिन्न के खौफ के साये में रहते हैं. जी हां, 'किस्सा हरियाणे का' के तीसरे एपिसोड में हम आपको लिए चलते हैं विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी के किनारे बसे पिहोवा कस्बे में.

पिहोवा के कथित जिन्न की गुफा में ईटीवी भारत, देखिए खास रिपोर्

'फिल्म नहीं, सच है ये'
कहा जाता है कि यहां एक समाधि है. और इस समाधि में दफ्न है एक जिन्न. अब हम आपको जो कहानी बताने जा रहे हैं वो किसी फिल्म का हिस्सा तो नहीं है, मगर कहानी सुनते ही आपके जहन में फिल्म हातिम ताई का ख्याल जरूर आएगा. फिल्म तो काल्पनिक थी. स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां जो भी है. वो बिल्कुल सच है जिसके तथ्य भी हैं और अटूट मान्यता भी.

जिन्न मांगता था नई नवेली दुल्हन!
लोगों का मानना है कि 22 सौ साल पहले जब भी पिहोवा में किसी की शादी होती थी तो शादी की पहली रात को आई नई नवेली दुल्हन को इस जिन्न के पास गुफा में भेजना पड़ता था. दुल्हन के साथ 50 लोगों के खाने के साथ शराब भी भेजनी पड़ती थी. अगर कोई शख्स इस बात को नहीं मानता. तो ये जिन्न उसके पूरे परिवार को मौत के घाट उतार देता था. जिन्न कई सौ सालों तक लोगों को यूं ही परेशान करता था. स्थानीय लोग उस जिन्न से दुखी हो चुके थे लेकिन उनके पास कोई चारा भी नहीं था.

'जब बाबा ने ली जिन्न के साथ समाधि'
लोगों को किसी तरह पता चला कि इस जिन्न के प्रकोप का तोड़ महान बाबा पंचमनाथ के पास है. पूरे इलाके के लोग इकट्ठा होकर बाबा पंचमनाथ से मिले. बाबा ने भी उन्हें आश्वस्त किया कि, जल्द ही उन्हें इस समस्या से निजात मिल जाएगी. उन्होंने लोगों को गुफा के पास ही एक बड़ा गड्ढा खोदने के लिए भी कहा. कहा जाता है कि, अगली बार जब पिहोवा में नई नवेली दुल्हन आई तो. बाबा पंचम नाथ खुद लाल लिबास में दुल्हन बनकर जिन्न के पास चले गए, जिन्न बाबा को दुल्हन समझ कर जब उनकी तरफ आया. तो बाबा उसे पकड़कर उस गड्ढे में ले गए. वहां दोनों में काफी देर झगड़ा होता रहा. बाबा जिन्न की छाती पर बैठ गए और बाहर खड़े लोगों को मिट्टी डालने के लिए आदेश दिया. बताया जाता है बाबा ने जिन्न के साथ इसी जगह जिंदा समाधि ले ली.

'शिलालेख पर प्रमाण भी है'
इस मंदिर में इसका प्रमाण भी है. 1791 में ब्रह्मलिपि में लिखी प्राचीन शिलालेख आज भी यहां मौजूद है. माना जाता है जब बाबा ने समाधि ली. तभी ये शिलालेख भी लगा दिया गया था. आज भी वही पुरानी प्रथा उसी तरह से चली आ रही है. जब भी पिहोवा में कोई नई नवेली दुल्हन आती है.. तो दूल्हा-दुल्हन बाबा की समाधि पर माथा टेकते हैं. वहां महंत उनकी झोली में आटे की रोटी डालकर दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद देते हैं. 'किस्सा हरियाणे का' के इस एपिसोड में फिलहाल इतना ही.. अगले एपिसोड में फिर पेश होंगे एक नई कहानी के साथ.

Intro:22 सौ साल से दफन एक जिंदा राज, सरस्वती के पास समाध में दफन एक जिन्दा जिन्न। जिन्न पर लगे थे बलात्कार के संगीन आरोप, जिसके प्राचीन आतंक से लोग थे भयग्रस्त

पिहोवा में 22 सौ वर्ष पुराना जिन्न के दफ़न होने के बाद लोगों को मिला था जिन्न के आतंक से छुटकारा, लोग आज भी उसके खौफ के कारण उस समाध के पास से आज भी गुजरने से डरते हैं कई लोग, सरस्वती के किनारे पर बनी समाध में दफन हैं जिन्न का राज, अब हम आज आपको बताने जा रहे है वो कोई फिल्म की स्टोरी नहीं है बल्कि ये एक प्राचीन सच है। प्राचीन समय में जब भी पिहोवा में किसी युवा की शादी होती तो सबसे पहले शादी की पहली रात को आई नई नवेली दुल्हन को इस जिन्न को पेश करना पड़ता था और साथ में 50 आदमियों के खाने के साथ शराब देनी पड़ती थी अगर कोई व्यक्ति इस बात को नहीं मानता था तो यह जिन्न उनके सारे परिवार को मौत के घाट उतार देता था, जिसको लेकर पिहोवा के लोग हर समय डर के साये में सहमें रहते थे, कहानी सुनते ही आपके जहन में फिल्म जनि दुश्मन का ख्याल जरूर आया होगा फिल्म तो काल्पनिक थी पर जो आज हम आपको बता रहे है ये कहानी एक सत्य घटना तथय और प्रमाणों पर आधारित है
वहीं पास में ही बाबा पंचमनाथ का डेरा था जिन्न के आतंक से दुखी लोग एक दिन बाबा पंचम दास से मिले, और अपनी आपबीती सुनाई समय गुजरता रहा और बाबा ने कहा इस समस्या का हल जल्द ही निकाल लिया जाएगा, बाबा की यह बात सुनकर सब लोग अपने अपने घरो को चले गए लोगों की यह बात सुनकर पीर पंचम दास बड़े दुखी रहने लगे, काफी समय बीत जाने के बाद बाबा ने शहर के निवासियों सहित बाबा ने अपने सभी भक्तों को इकट्ठा करके एक बहुत बड़ा खड्डा खोदने को कहा भक्तों ने अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए एक गड्ढा खोद दिया, 3 दिन बाद जब पिहोवा में एक नई नवेली दुल्हन आई तो दुल्हन के पति गांव वालों के साथ आकर यह बात पीर बाबा पंचम नाथ जी को बताई तभी पीर बाबा पंचम नाथ ने एक लाल लिबास में बहू का रूप धारण कर लिया और जिन्न के पास चले गए, जब जिन्न पीर जी को दुल्हन समझ कर उनकी तरफ आए तो पीर जी ने उसे पकड़कर उस खड्डे में ले गए वहां दोनों में काफी देर झगड़ा होता रहा काफी देर के बाद पीर जी जिन्न की छाती के ऊपर बैठ गए और तभी पीर जी ने अपने भक्तों को मिट्टी डालने के लिए कहा पर भक्तों ने कहा कि आप ऊपर आ जाओ पर पीर जी ने कहा कि इसको खत्म करने के लिए मुझे भी इसके साथ जिंदा समाधि लेनी पड़ेगी फिर सब ने पीर जी के आदेश की पालना करते हुए उन दोनों पर मिट्टी डालने शुरु कर दी इस प्रकार जिन को ज़िंदा दफन कर दिया गया, और पिहोवा के लोगों ने सुख की सांस ली,

इस मंदिर में इसका प्रमाण के रूप में 1791 की प्राचीन शिलालेख आज भी मौजूद है जिस पर बह्मलिपि भाषा में लिखा हुआ कुछ फरमान जैसा ही लगता है, इससे प्रतीत होता है कि यह डेरा 22 साल वर्ष पुराना है आज भी यह प्राचीन प्रथा उसी प्रकार से चली आ रही है जब भी पिहोवा में कोई नई नवेली दुल्हन आती है तो वह दूल्हा दुल्हन बाबा गरीब दास जी की समाधि पर माथा टेकते हैं और मौजूदा महंत उनकी झोली में आटे का रोट डालकर दूल्हा दुल्हन को आशीर्वाद देते है यहां आज भी बाबा गरीबदास डेरा में पीर पंचमदास जिन्न के साथ जिंदा समाधि में मौजूद है यह डेरा पीर बाबा गरीब नाथ जी ने बनाया था उनके बाद से यहाँ प्रथा के चलते नाथ जी गद्दी सँभालते है अभी इस डेरे के महंत पीर बाबा शेर नाथ जी है समय के साथ साथ ज्यादातर लोग पिहोवा के इतिहास से कोषो दूर है
बाईट:-मनोज
बाजीत:-रविशंकरBody:9Conclusion:9
Last Updated : Jun 16, 2019, 1:24 AM IST
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