कुरुक्षेत्र: पिपली में लाठीचार्ज के बाद किसान कृषि अध्यादेश का और पुरजोर तरीके से विरोध करने लगे हैं. ऐसे में नाराज चल रहे किसानों को मनाने के लिए और उनसे सुझाव जानने के लिए सरकार ने उनसे बातचीत करने का फैसला लिया है. इस फैसले के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने सरकार पर हमला बोला है.
कमेटी पर नहीं है भाकियू को भरोसा
गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि तीनों अध्यादेशों को लेकर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने जो 3 पूर्व सांसदों की कमेटी बनाई है वो एक मात्र एक ढकोसला है. उन्होंने बताया कि सरकार अनजान किसानों को जिन्हें कुछ पता नही उनसे राय लेकर रिपोर्ट तैयार करेंगी. जो कि किसानों के साथ एक छल है. उन्होंने बताया कि आंदोलन को दबाने के लिए सरकार की तरफ से एक षडयंत्र रचा जा रहा है.
अध्यादेश वापस लेने की मांग
उन्होंने कहा कि मैं प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनकड़ से पूछना चाहता हूं कि 14 और 15 तारीख को सत्र शुरू होने वाला है. तीनों अध्यक्षों को कानून बनाने के लिए प्रस्ताव रखा गया है. उन्होंने कहा कि 4 दिन के भीतर कमेटी ऐसा क्या काम करेगी जो सत्र आने से पहले ही सुझाव ले लिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को इस अध्यादेश को वापस लेना चाहिए.
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उन्होंने सभी किसानों से अपील करते हुए कहा कि इस आंदोलन को दबने ना दिया जाए. ये सरकार की एक चाल है, आक्रोशित आंदोलन को ठंडा कर रही है. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को किसी भी हालत में राजनीतिक आंदोलन नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों पर धड़ाधड़ इरादन कत्ल के मुकदमें दर्ज कर रही है. सरकार जितने चाहे मुकदमे दर्ज करें हम जेलों में जाने के लिए तैयार है.
गौरतलब है कि बता दें कि सरकार ने इस अध्यादेश पर वार्ता के लिए व्यापारिक संगठन और किसानों को भी बुलाया गया. सांसद धर्मबीर सिंह, सांसद बृजेंद्र सिंह और सांसद नायाब सैनी कमेटी का हिस्सा हैं और तीनों कृषि अध्यादेश पर किसानों से सुझाव लेने का काम करेंगे.