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पिहोवा में पीएम और सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट फ्लॉप, चुनावी स्टंट तक सिमटी सरस्वती नदी! - पिहोवा सरस्वती तीर्थ स्थल

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरस्वती नदी को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हैं. करोड़ों रुपये की ग्रांट मिलने के बाद भी इस नदी की हालत बद से बदतर हो चुकी है. यहां के मौजूदा हालात बीते 5 सालों में ड्रीम प्रोजेक्ट पर हुए काम को अच्छे से बयां करते हैं.

पिहोवा में पीएम और सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट फ्लॉप
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Published : Nov 10, 2019, 2:22 PM IST

कुरुक्षेत्रः धर्मनगरी पिहोवा के बीचोबीच निकलती सरस्वती नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है. किसी भी चुनाव में चुनाव से पहले हर नेता सरस्वती नदी को मुद्दा बनाकर वोट तो ले जाते हैं लेकिन उसके बाद यहां कोई भी सुध लेने के लिए नहीं आता. करोड़ों रुपये की ग्रांट मिलने के बाद भी इस नदी की हालत बद से बदतर होती जा रही है. यही नहीं पिहोवा में सरस्वती नदी किनारे बना घाट भी आज गंदगी, कुड़े और मच्छरों से भरा रहता है लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

पीएम और सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट फ्लॉप
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरस्वती नदी को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हैं. करोड़ों रुपए की ग्रांट मिलने के बाद भी इस नदी की हालत बद से बदतर हो चुकी है. यहां के मौजूदा हालात बीते 5 सालों में ड्रीम प्रोजेक्ट पर हुए काम को अच्छे से बयां करते हैं.

पिहोवा में पीएम और सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट फ्लॉप!

जानकारी के मुताबिक हर साल सरस्वती नदी किनारे बने इस घाट के रखरखाव के लिए लाखों रूपये की ग्रांट दी जाती है लेकिन उसके बावजूद कोई सुधार नहीं होता. ऐसे में ये भी सवाल उठता है कि घाट के लिए मिटी लाखों रूपये की ग्रांट आखिर जाती कहां है.

saraswati river in pihova
आसपास के लोग नदी में फेंकते हैं गंदा पानी

राजनेताओं के दौरे से पहले सफाई- स्थानीय लोग
श्रद्धालु सरस्वती में स्नान कर अपने पापों से मुक्ती पाने के लिए यहां आते हैं. लेकिन जिस पानी में भक्त डुबती लगाते हैं वो दरअसल लोगों से घरों से निकला गंदा पानी होता है. स्थानीय लोगों की माने तो नदीं में हर समय पानी नहीं छोड़ा जाता.

saraswati river in pihova
नदीं में भरी गंदगी

यानी जब कोई नेता, मंत्री या विधायक यहां दौरे पर आता है तभी नदी के आसपास सफाई की जाती है और पानी छोड़ा जाता है. स्थानीय लोगों का ये भी कहना है कि घाट के आस-पास रहने वाले लोग इसमें गंदा पानी, कचरा और अपने पशुओं को बांधते हैं जिससे ये घाट और गंदा हो रहा है.

saraswati river in pihova
गंदे पानी से आती है बदबू

सरस्वती नदी बनी चुनावी स्टंट
कुरुक्षेत्र से सांसद रह चुके नवीन जिंदल, राजकुमार सैनी और हाल ही में सांसद बने नायब सिंह सैनी का ये वादा करना और जनता के बीच जाकर सरस्वती के नाम पर वोट बटोरना सभी पार्टियों का एक चुनावी स्टंट नजर आता है. क्योंकि चुनाव से पहले हर नेता सरस्वती नदी को मुद्दा बनाकर वोट तो ले जाते हैं लेकिन उसके बाद यहां कोई भी सुध लेने के लिए नहीं आता. सरस्वती नदी राजनीतिक दलों के महज एक चुनावी स्टंट नजर आने लगी है.

ये भी पढ़ेंः भारत में बाबर ने यहां बनाई थी सबसे पहले मस्जिद, आज गुमनामी में बर्बाद हो रही है!

कुरुक्षेत्रः धर्मनगरी पिहोवा के बीचोबीच निकलती सरस्वती नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है. किसी भी चुनाव में चुनाव से पहले हर नेता सरस्वती नदी को मुद्दा बनाकर वोट तो ले जाते हैं लेकिन उसके बाद यहां कोई भी सुध लेने के लिए नहीं आता. करोड़ों रुपये की ग्रांट मिलने के बाद भी इस नदी की हालत बद से बदतर होती जा रही है. यही नहीं पिहोवा में सरस्वती नदी किनारे बना घाट भी आज गंदगी, कुड़े और मच्छरों से भरा रहता है लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

पीएम और सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट फ्लॉप
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरस्वती नदी को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हैं. करोड़ों रुपए की ग्रांट मिलने के बाद भी इस नदी की हालत बद से बदतर हो चुकी है. यहां के मौजूदा हालात बीते 5 सालों में ड्रीम प्रोजेक्ट पर हुए काम को अच्छे से बयां करते हैं.

पिहोवा में पीएम और सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट फ्लॉप!

जानकारी के मुताबिक हर साल सरस्वती नदी किनारे बने इस घाट के रखरखाव के लिए लाखों रूपये की ग्रांट दी जाती है लेकिन उसके बावजूद कोई सुधार नहीं होता. ऐसे में ये भी सवाल उठता है कि घाट के लिए मिटी लाखों रूपये की ग्रांट आखिर जाती कहां है.

saraswati river in pihova
आसपास के लोग नदी में फेंकते हैं गंदा पानी

राजनेताओं के दौरे से पहले सफाई- स्थानीय लोग
श्रद्धालु सरस्वती में स्नान कर अपने पापों से मुक्ती पाने के लिए यहां आते हैं. लेकिन जिस पानी में भक्त डुबती लगाते हैं वो दरअसल लोगों से घरों से निकला गंदा पानी होता है. स्थानीय लोगों की माने तो नदीं में हर समय पानी नहीं छोड़ा जाता.

saraswati river in pihova
नदीं में भरी गंदगी

यानी जब कोई नेता, मंत्री या विधायक यहां दौरे पर आता है तभी नदी के आसपास सफाई की जाती है और पानी छोड़ा जाता है. स्थानीय लोगों का ये भी कहना है कि घाट के आस-पास रहने वाले लोग इसमें गंदा पानी, कचरा और अपने पशुओं को बांधते हैं जिससे ये घाट और गंदा हो रहा है.

saraswati river in pihova
गंदे पानी से आती है बदबू

सरस्वती नदी बनी चुनावी स्टंट
कुरुक्षेत्र से सांसद रह चुके नवीन जिंदल, राजकुमार सैनी और हाल ही में सांसद बने नायब सिंह सैनी का ये वादा करना और जनता के बीच जाकर सरस्वती के नाम पर वोट बटोरना सभी पार्टियों का एक चुनावी स्टंट नजर आता है. क्योंकि चुनाव से पहले हर नेता सरस्वती नदी को मुद्दा बनाकर वोट तो ले जाते हैं लेकिन उसके बाद यहां कोई भी सुध लेने के लिए नहीं आता. सरस्वती नदी राजनीतिक दलों के महज एक चुनावी स्टंट नजर आने लगी है.

ये भी पढ़ेंः भारत में बाबर ने यहां बनाई थी सबसे पहले मस्जिद, आज गुमनामी में बर्बाद हो रही है!

Intro:देश के मुख्य प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट अपनी बदहाली पर बहा रहा आंसू

धर्मनगरी पिहोवा के बीचोबीच निकलती सरस्वती नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है चुनावों से पहले हर नेता सरस्वती नदी को मुद्दा बनाकर वोट तो ले जाते हैं परंतु उसके बाद यहां कोई भी सुध लेने के लिए नहीं आता करोड़ों रुपए की ग्रांट मिलने के बाद भी इस नदी की हालत आप देख सकते हैं कि किस तरह बद से बदतर है राजकुमार सैनी से पहले सांसद रह चुके नवीन जिंदल, राजकुमार सैनी और हाल ही में सांसद बने नायब सिंह सैनी का यह वायदा करना और जनता के बीच जाकर सरस्वती के नाम पर वोट बटोरना सभी पार्टियों का एक चुनावी स्टंट है

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरस्वती नदी को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हैं पर यह आपके सामने तस्वीरें बयां कर रही हैं कि बीते 5 सालों में ड्रीम प्रोजेक्ट पर कितना कार्य हुआ और किस तरह वह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है कहने को तो सरस्वती मैं लोग दूर-दूर से स्नान करने आते हैं और चलते पानी का प्रोजेक्ट भी यहां लगाया गया परंतु जब कोई नेता या मंत्री यहां आता है तो सरस्वती नदी में पानी चलता है वरना यहां तो घरों से निकलने वाले गंदे पानी ही श्रद्धालुओं को डुबकी लगानी पड़ती है लोगों का कहना है की सारा कचरा और गंदगी इसी नदी में फेंक दी जाती है और यह मोटी मोटी ग्रांट आने के बाद भी कोई भी कार्य नहीं किया जाता और ग्रांट के साथ-साथ लोक सरस्वती के उत्थान के लिए चंदा देकर जाते हैं ना आज तक इस आई ग्रांट से यहां कोई
कार्य हुआ ना ही चंदे के पैसे से पर चंदे का पैसा जाता कहां है।

बाईट:-मनोज स्थानीय निवासी
बाईट:-सतीश
बाईट:-जगदीश


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