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विनायक चतुर्थी पर इस बार है भद्रा का साया, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की सही विधि - विनायक चतुर्थी कथा

हिंदू पंचांग के अनुसार 23 (Vinayak Chaturthi 2023) अप्रैल को विनायक चतुर्थी पड़ रही है. इस दिन का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. पंचांग के हिसाब से चतुर्थी एक महीने में दो बार आती है. शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है जबकि कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकट चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. विनायक भगवान गणेश का ही नाम है इसलिए इसे गणेश चतुर्थी भी कहते हैं.

Vaishakh Vinayak Chaturthi 2023
Vaishakh Vinayak Chaturthi 2023
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Published : Apr 22, 2023, 1:30 PM IST

करनाल: वैसाख विनायक चतुर्थी इस बार 23 अप्रैल को है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. कुछ लोग व्रत भी रखते हैं, जिसका बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि विनायक चतुर्थी पर जो भी मनुष्य व्रत रखता है, उस पर बुद्धि, विवेक और बल के देवता भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद बना रहता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूरे विधि विधान से पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. आइये आपको बताते हैं कि विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा का विधि विधान क्या है.

विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त- हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन विनायक चतुर्थी मनाई जा रही है जो 23 अप्रैल को पड़ रही है. विनायक चतुर्थी का प्रारंभ 23 अप्रैल को सुबह 7:47 से शुरू होगा जबकि इसका समापन 24 अप्रैल को सुबह 8:25 पर होगा. पूजा का शुभ मुहूर्त 23 अप्रैल को 11:07 से दोपहर 1:43 तक रहेगा. कहा जाता है कि इस दौरान गणेश भगवान की पूजा अर्चना करना काफी शुभ होता है.

विनायक चतुर्थी की पूजा का विधान- विनायक चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करके साफ-सुथरे और लाल रंग के वस्त्र पहनें. उसके बाद भगवान गणेश की पूजा और उसकी आरती करके व्रत रखने का प्रण लें. पूजा करने के दौरान उनकी मूर्ति के आगे घी का दीपक भी जलाएं और उन्हें चंदन व कुमकुम का लेप लगाएं.

ये भी पढ़ें- Chardham Yatra 2023 शुरू, खुल गए गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट, श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से बरसे फूल

अगर पूजा के दौरान भगवान को लाल फूल, इत्र, चंदन दूर्वा अर्पित करते हैं. पूजा के दौरान मिठाई के रूप में बूंदी या बेसन के 21 लड्डू का भोग लगाएं. इस दिन भगवान गणेश को सिंदूर जरुर चढ़ाएं. इससे वो जल्दी प्रसन्न होते हैं और मनुष्य पर जो भी विपदा आती है, उसका निवारण कर देते हैं. विनायक चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की कथा सुनें और उसकी दोनों समय आरती भी करें. शाम के समय भगवान गणेश को भोग लगाने के बाद आरती करें.

विनायक चतुर्थी पर भद्रा का साया- हिंदू पंचांग के अनुसार 23 अप्रैल को विनायक चतुर्थी मनाई जा रही है. इस दिन हिंदू पंचांग के अनुसार भद्रा का प्रारंभ हो रहा है. 23 अप्रैल को रात को 8:01 पर भद्रा का आरंभ होगा जबकि 24 अप्रैल को 8:24 पर इसका समापन होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन चंद्र देवता वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे तो ऐसे में भद्रा का निवास स्वर्ग लोक में रहेगा. माना जाता है कि स्वर्ग लोक में भद्रा का विचरण अशुभ प्रभाव नहीं डालता. ऐसे में विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणपति की पूजा करने के दौरान भद्रा का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा.

विनायक चतुर्थी का महत्व- हिंदू शास्त्रों के अनुसार विनायक चतुर्थी का व्रत करने से हर तरह के दोष और कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ में मोक्ष, विद्या, धन मिलता है. इस दिन जो भी मनुष्य व्रत रखता है उनको उनके कार्यक्षेत्र में उन्नति मिलती है. शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी स्त्री इस दिन व्रत रखती है, उसको सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उसकी संतान के जीवन में खुशहाली आती है.

ये भी पढ़ें- जानिए आज का पंचांग, क्या है आज का शुभ और अशुभ मुहूर्त

करनाल: वैसाख विनायक चतुर्थी इस बार 23 अप्रैल को है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. कुछ लोग व्रत भी रखते हैं, जिसका बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि विनायक चतुर्थी पर जो भी मनुष्य व्रत रखता है, उस पर बुद्धि, विवेक और बल के देवता भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद बना रहता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूरे विधि विधान से पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. आइये आपको बताते हैं कि विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा का विधि विधान क्या है.

विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त- हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन विनायक चतुर्थी मनाई जा रही है जो 23 अप्रैल को पड़ रही है. विनायक चतुर्थी का प्रारंभ 23 अप्रैल को सुबह 7:47 से शुरू होगा जबकि इसका समापन 24 अप्रैल को सुबह 8:25 पर होगा. पूजा का शुभ मुहूर्त 23 अप्रैल को 11:07 से दोपहर 1:43 तक रहेगा. कहा जाता है कि इस दौरान गणेश भगवान की पूजा अर्चना करना काफी शुभ होता है.

विनायक चतुर्थी की पूजा का विधान- विनायक चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करके साफ-सुथरे और लाल रंग के वस्त्र पहनें. उसके बाद भगवान गणेश की पूजा और उसकी आरती करके व्रत रखने का प्रण लें. पूजा करने के दौरान उनकी मूर्ति के आगे घी का दीपक भी जलाएं और उन्हें चंदन व कुमकुम का लेप लगाएं.

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अगर पूजा के दौरान भगवान को लाल फूल, इत्र, चंदन दूर्वा अर्पित करते हैं. पूजा के दौरान मिठाई के रूप में बूंदी या बेसन के 21 लड्डू का भोग लगाएं. इस दिन भगवान गणेश को सिंदूर जरुर चढ़ाएं. इससे वो जल्दी प्रसन्न होते हैं और मनुष्य पर जो भी विपदा आती है, उसका निवारण कर देते हैं. विनायक चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की कथा सुनें और उसकी दोनों समय आरती भी करें. शाम के समय भगवान गणेश को भोग लगाने के बाद आरती करें.

विनायक चतुर्थी पर भद्रा का साया- हिंदू पंचांग के अनुसार 23 अप्रैल को विनायक चतुर्थी मनाई जा रही है. इस दिन हिंदू पंचांग के अनुसार भद्रा का प्रारंभ हो रहा है. 23 अप्रैल को रात को 8:01 पर भद्रा का आरंभ होगा जबकि 24 अप्रैल को 8:24 पर इसका समापन होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन चंद्र देवता वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे तो ऐसे में भद्रा का निवास स्वर्ग लोक में रहेगा. माना जाता है कि स्वर्ग लोक में भद्रा का विचरण अशुभ प्रभाव नहीं डालता. ऐसे में विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणपति की पूजा करने के दौरान भद्रा का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा.

विनायक चतुर्थी का महत्व- हिंदू शास्त्रों के अनुसार विनायक चतुर्थी का व्रत करने से हर तरह के दोष और कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ में मोक्ष, विद्या, धन मिलता है. इस दिन जो भी मनुष्य व्रत रखता है उनको उनके कार्यक्षेत्र में उन्नति मिलती है. शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी स्त्री इस दिन व्रत रखती है, उसको सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उसकी संतान के जीवन में खुशहाली आती है.

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