करनाल: हरियाणा में एक बार फिर से पराली जलाने के मामले बढ़ रहे हैं. हर बार की तरह इस बार भी किसानों के लिए धान की फसल के अवशेषों का प्रबंधन करना बड़ी चुनौती बना हुआ है. किसान धान की फसल के अवशेष का प्रबंधन करने की बजाय उसमें आग लगाना ज्यादा बेहतर समझते हैं, क्योंकि उनको दूसरी फसल की बिजाई करनी होती है. इसी समस्या को दूर करने के लिए कृषि विभाग के वैज्ञानिकों ने गेहूं बिजाई के लिए खास मशीन तैयार की है.
इस मशीन के जरिए किसानों को पराली जलाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी और गेहूं की फसल की बिजाई हो जाएगी. इतना ही नहीं इससे किसानों के पैसे और समय दोनों की बचत भी होगी. कृषि वैज्ञानिकों ने इसका नाम सुपर सीडर मशीन दिया है. इस मशीन के जरिए गेहूं की सीधी बिजाई की जा सकती है. इंजीनियर राजेश वर्मा सहायक कृषि अभियंता कुरुक्षेत्र ने बताया कि किसानों के सामने धान की फसल के अवशेष का प्रबंधन करना एक बड़ी चुनौती होती है.
कृषि विभाग पराली का निस्तारन करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. विभाग के द्वारा ऐसे कई कृषि यंत्र बनाए गए हैं. जिसे फसल अवशेष प्रबंधन होता है. कड़ी मेहनत के बाद कृषि विशेषज्ञ ने सुपर सीडर नामक मशीन को इजाद किया है. ये मशीन कृषि यंत्रों को मिलाकर बनाई गई है. इसमें पराली का निस्तारण के साथ गेहूं की सीधी बिजाई की जा सकती है. इस मशीन को चार कृषि यंत्रों को मिलाकर एक मशीन बनाया गया है. जिसे सुपर सीडर मशीन कहते हैं.
इंजीनियर राजेश वर्मा ने बताया कि इस मशीन के जरिए गेहूं की सीधी बिजाई होती है. इसमें लाइन से लाइन की दूरी 9 इंच की होती है और गेहूं की फसल एक लाइन में खड़ी हुई दिखाई देती है. थोड़ा गैप होने की वजह से पौधों के बीच हवा आसानी से गुजर जाती है. जिससे फसल में किसी भी प्रकार के कीट या बीमारी आने का भी खतरा कम रहता है. एक एकड़ फसल में बिजाई करने के लिए 40 किलोग्राम गेहूं का बीज और एक बैग डीएपी खाद मशीन में डाला जाता है. ये मशीन बीज और खाद को मिट्टी में दबाती चलती है. जिससे पौधे को भरपूर मात्रा में खाद से पोषक तत्व मिलते हैं. इससे पैदावार में बढ़ोतरी होती है.
समय और पैसे दोनों की होती है बचत: कृषि अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस मशीन के प्रयोग करने से किसान के समय की बचत हो जाती है क्योंकि अगर किसान दूसरे तरीके से अपनी फसल अवशेष प्रबंधन करता है और गेहूं की बिजाई करता है उसमें काफी खर्च होता है और समय भी काफी लग जाता है लेकिन इस मशीन से एक बार की जुताई में ही खेत अच्छे से तैयार हो जाता है जिस किसान की मजदूरी, समय और पैसा सब बचता है. इस मशीन में मजदूर की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि इस मशीन में खाद और बीज डालकर ही जुताई की जाती है ऐसे में किसान का अतिरिक्त खर्च बच जाता है.
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कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि इस मशीन से जहां गेहूं की बिजाई की जाती है. वहीं साथ में फसल अवशेष प्रबंधन भी हो जाता है. जिससे किसानों को फसल अवशेषों में आग लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती, इस मशीन की सहायता से उनको मिट्टी में ही दबा दिया जाता है. जिसे खेत की उर्वरक शक्ति बढ़ती है, अगर किसान अपने खेत में फसल अवशेष में आग लगाता है, तो उससे खेत की मिट्टी को नुकसान होता है. क्योंकि आग लगने से मिट्टी के मित्र कीट मर जाते हैं.
पानी की होती है बचत: कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि मौजूदा समय में पानी की कमी किसानों के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है. ऐसे में सुपर सीडर से गेहूं की बिजाई करने से पानी की बचत होती है. छींटा विधि या अन्य विधि से गेहूं की बुवाई करने के बाद से गेहूं के पकने तक तीन से चार सिंचाई की जाती है. इसमें एक सिंचाई कम लगती है, क्योंकि जो फसल अवशेष इस मशीन के द्वारा मिट्टी में मिले गए हैं .उसे खेत में नमी बनी रहती है और पानी की खपत कम होती है.
कृषि विशेषज्ञ ने बताया किसानों को इस मशीन पर 50% से लेकर 80% तक अनुदान दिया जा रहा है, अगर कोई अकेला किसान इस मशीन को लेना चाहता है तो उसको इस मशीन पर 50% तक अनुदान दिया जाता है. वहीं अगर किसानों का एक समूह इस मशीन को लेना चाहता है. तो उस पर 80% तक अनुदान दिया जाता है. कुरुक्षेत्र जिले की बात करें तो इस मशीन के लिए पिछले वर्ष 850 मशीन लेने के लिए आवेदन किया. जिसमें कृषि विभाग के द्वारा अनुदान पर 650 सुपर सीडर मशीन किसानों को दी गई.