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करनाल में पराली प्रबंधन को लेकर प्रशासन मुस्तैद, कलेक्शन सेंटर बनाने के निर्देश - करनाल में पराली प्रबंधन

करनाल प्रशासन ने पराली के प्रबंधन (Karnal Collector on Stubble) को लेकर तैयारियों को अंतिम रुप देना शुरू कर दिया है. कृषि अधिकारियों को 15 जनवरी तक 10-10 एकड़ में 30 स्थान चयनित कर कलेक्शन सेंटर बनाने के निर्देश दिए गए हैं, जहां से पराली को आईओसी के एथेनॉल प्लांट तक पहुंचाया जाएगा.

Stubble Case in Karnal Collector on Stubble management in Karnal
Stubble Case in Karnal : करनाल में पराली प्रबंधन को लेकर प्रशासन मुस्तैद, कलेक्शन सेंटर बनाने के निर्देश
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Published : Dec 29, 2022, 2:07 PM IST

करनाल: खरीफ सीजन शुरू होने से पहले ही प्रशासन ने फसल अवशेष प्रबंधन (Stubble Case in Karnal) की तैयारियां शुरू कर दी है. जिसमें विशेषकर पराली (Stubble management in Karnal) पर फोकस किया गया है. जिला प्रशासन ने 15 जनवरी तक पराली कलेक्शन सेंटर स्थापित करने के लिए कृषि अधिकारियों को जिले में कम से कम 10-10 एकड़ के 30 स्थान चयनित करने के निर्देश दिए हैं. जिससे आईओसी द्वारा स्थापित किए जा रहे एथेनॉल प्लांट में पर्याप्त मात्रा में पराली की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके. उपायुक्त अनीश यादव ने आईओसी और कृषि विभाग के अधिकारियों की संयुक्त बैठक के दौरान इसके निर्देश दिए.

उपायुक्त अनीश यादव ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे पराली प्रबंधन के लिए जिले में निजी, पंचायती या सरकारी 10-10 एकड़ के 30 स्थान चयनित करें. इस दौरान कृषि अ​धिकारियों को उन्होंने जनवरी में ही लीज एग्रीमेंट करवाने के निर्देश दिए हैं. इन स्थानों पर आस पास के गांवों की पराली एकत्रित करने के लिए कलस्टर सेंटर स्थापित किया जाएगा. यहां से आईओसी के ठेकेदार पराली को एथेनॉल प्लांट तक पहुंचाएंगे.

पढ़ें: पंजाब में हरियाणा से 14 गुना ज्यादा जली पराली, सीएम भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में सबसे ज्यादा मामले

बैठक में कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि कस्टम हेयरिंग सेंटर के संचालक 50 प्रतिशत अनुदान राशि पर बेलर लेने को तैयार नहीं है, वह 80 प्रतिशत अनुदान राशि की मांग कर रहे हैं. यदि सरकार उनकी यह मांग मान लेती है, तो जिले में 250 बेलर के निर्धारित लक्ष्य को आसानी से पूरा किया जा सकता है. उपायुक्त ने सीएचसी संचालकों की इस मांग को मुख्यालय तक पहुंचाने के ​डीडीए को निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष के दौरान ही किसानों को यह अनुदान राशि मिल सके, इसके प्रयास किए जाने चाहिए.

पढ़ें: फतेहाबाद में पराली में लगी आग को बुझाने पहुंचे कर्मचारियों को किसानों ने बनाया बंधक

किसानों की आमदनी में होगा इजाफा: उपायुक्त अनीश यादव ने कहा कि एथेनॉल प्लांट बनकर तैयार हो चुका है, अब उसके लिए पर्याप्त मात्रा में पराली का प्रबंध करना आवश्यक है. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि पानीपत रिफाइनरी के एथेनॉल प्लांट से किसानों की आमदनी बढ़ेगी. इस प्लांट के लगने से किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि उन्हें पराली खेत से उठाने की कीमत की अदायगी कंपनी द्वारा की जाएगी. इससे ना केवल पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण के नुकसान से बचा जा सकता है, वहीं किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा कि पराली जलाने से न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति खत्म होती है, बल्कि मित्र कीड़े भी नष्ट हो जाते हैं. जिससे फसलों का उत्पादन भी कम होता है.

करनाल: खरीफ सीजन शुरू होने से पहले ही प्रशासन ने फसल अवशेष प्रबंधन (Stubble Case in Karnal) की तैयारियां शुरू कर दी है. जिसमें विशेषकर पराली (Stubble management in Karnal) पर फोकस किया गया है. जिला प्रशासन ने 15 जनवरी तक पराली कलेक्शन सेंटर स्थापित करने के लिए कृषि अधिकारियों को जिले में कम से कम 10-10 एकड़ के 30 स्थान चयनित करने के निर्देश दिए हैं. जिससे आईओसी द्वारा स्थापित किए जा रहे एथेनॉल प्लांट में पर्याप्त मात्रा में पराली की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके. उपायुक्त अनीश यादव ने आईओसी और कृषि विभाग के अधिकारियों की संयुक्त बैठक के दौरान इसके निर्देश दिए.

उपायुक्त अनीश यादव ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे पराली प्रबंधन के लिए जिले में निजी, पंचायती या सरकारी 10-10 एकड़ के 30 स्थान चयनित करें. इस दौरान कृषि अ​धिकारियों को उन्होंने जनवरी में ही लीज एग्रीमेंट करवाने के निर्देश दिए हैं. इन स्थानों पर आस पास के गांवों की पराली एकत्रित करने के लिए कलस्टर सेंटर स्थापित किया जाएगा. यहां से आईओसी के ठेकेदार पराली को एथेनॉल प्लांट तक पहुंचाएंगे.

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बैठक में कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि कस्टम हेयरिंग सेंटर के संचालक 50 प्रतिशत अनुदान राशि पर बेलर लेने को तैयार नहीं है, वह 80 प्रतिशत अनुदान राशि की मांग कर रहे हैं. यदि सरकार उनकी यह मांग मान लेती है, तो जिले में 250 बेलर के निर्धारित लक्ष्य को आसानी से पूरा किया जा सकता है. उपायुक्त ने सीएचसी संचालकों की इस मांग को मुख्यालय तक पहुंचाने के ​डीडीए को निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष के दौरान ही किसानों को यह अनुदान राशि मिल सके, इसके प्रयास किए जाने चाहिए.

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किसानों की आमदनी में होगा इजाफा: उपायुक्त अनीश यादव ने कहा कि एथेनॉल प्लांट बनकर तैयार हो चुका है, अब उसके लिए पर्याप्त मात्रा में पराली का प्रबंध करना आवश्यक है. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि पानीपत रिफाइनरी के एथेनॉल प्लांट से किसानों की आमदनी बढ़ेगी. इस प्लांट के लगने से किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि उन्हें पराली खेत से उठाने की कीमत की अदायगी कंपनी द्वारा की जाएगी. इससे ना केवल पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण के नुकसान से बचा जा सकता है, वहीं किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा कि पराली जलाने से न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति खत्म होती है, बल्कि मित्र कीड़े भी नष्ट हो जाते हैं. जिससे फसलों का उत्पादन भी कम होता है.

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