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हरियाणा के इस गांव ने लिंगानुपात में रचा इतिहास, 1 हजार लड़कों पर 1305 लड़कियां - करनाल लिंगानुपात ताजा समाचार

करनाल का बाहरी गांव लिंगानुपात के मामले में हरियाणा के दूसरे गांव के लिए मिसाल बना है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि यहां लोग बेटियों को बेटों से कम नहीं समझते. इसी वजह से यहां बेटियों का जन्म बेटों के मुकाबले ज्यादा रहा है.

Bahari village sex ratio Karnal
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Published : Mar 18, 2021, 8:04 PM IST

Updated : Mar 18, 2021, 10:49 PM IST

करनाल: लिंगानुपात में बदनाम हरियाणा अब सुधर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की महिम का असर प्रदेश के विभिन्न जिलों में देखने को मिल रहा है. बेटियों को बचाने में करनाल का बाहरी गांव सबसे आगे रहा है. यहां साल 2020 में 1000 लड़कों के मुकाबले 1305 लड़कियां पैदा हुई हैं.

ये भी पढ़ें- लड़कियों पर उत्तराखंड सीएम का अजब बयान, चंडीगढ़ से आई हो, कॉलेज में आई हो, बदन दिखाती हो, सुनिए और क्या-क्या कहा

इस उपलब्धि के लिए उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने दसवीं में अव्वल रही गांव की तीन बेटियों को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत बेस्ट विलेज अवॉर्ड के तहत नकद राशि देकर सम्मानित भी किया.

हरियाणा के इस गांव ने लिंगानुपात में रचा इतिहास

जिन बेटियों को उपायुक्त ने सम्मानित किया. उन्होंने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में कहा कि हमें गर्व है कि हमारा गांव लिंगानुपात में पूरे जिले में सबसे अच्छा है. कहीं ना कहीं हमारे गांव के लोग और हमारे माता-पिता पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं. इसलिए लिंगानुपात काफी बेहतर है और हम दूसरे लोगों से ये कहना चाहते हैं कि कोई भी माता-पिता अपने बच्चों में फर्क ना समझे.

घर-घर जाकर लोगों को किया जा रहा जागरुक

करनाल का बाहरी गांव लिंगानुपात के मामले में हरियाणा के दूसरे गांव के लिए मिसाल बना है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि यहां लोग बेटियों को बेटों से कम नहीं समझते. इसी वजह से यहां बेटियों का जन्म बेटों के मुकाबले ज्यादा रहा है. सरकारी स्कूल के अध्यापक, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और आशा वर्कर्स की तरफ से गांव में जागरुकता अभियान चलाया जाता है. घर-घर जाकर लोगों को जागरुक किया जाता है. जिसका असर अब देखने को मिल रहा है.

'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का दिखा असर

22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत जिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान का मकसद हरियाणा में गिरते लिंगानुपात को सही करना था. अब पीएम के इस अभियान का असर हरियाणा में देखने को मिल रहा है. इस अभियान को सफल बनाने के लिए आशा वर्कर्स दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहीं है. वो घर जाकर लोगों को जागरुक कर रही हैं.

ये भी पढ़ें- हरियाणा की छोरियों ने सब जूनियर हॉकी चैंपियनशिप जीती, झारखंड को पेनल्टी शूटआउट में हराया

बात अगर हरियाणा की करें तो यहां साल 2020 के जनवरी से जुलाई तक 7 महीनों में लिंगानुपात 1 हजार लड़कों के पीछे 914 लड़कियों का रहा है. करनाल का लिंगानुपात 2020 में हजार लड़कों के पीछे 900 लड़कियों का रहा. बाहरी गांव इस आंकड़े से कहीं ज्यादा आगे है. करनाल स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ डॉक्टर योगेश के मुताबिक साल 2020 में इस गांव से एक भी गर्भपात का मामला सामने नहीं आया है. इसका सबसे बड़ा श्रेय लोगों की सोच को भी जाता है. उम्मीद है हरियाणा के दूसरे गांवों में भी इसका असर देखने को मिलेगा.

करनाल: लिंगानुपात में बदनाम हरियाणा अब सुधर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की महिम का असर प्रदेश के विभिन्न जिलों में देखने को मिल रहा है. बेटियों को बचाने में करनाल का बाहरी गांव सबसे आगे रहा है. यहां साल 2020 में 1000 लड़कों के मुकाबले 1305 लड़कियां पैदा हुई हैं.

ये भी पढ़ें- लड़कियों पर उत्तराखंड सीएम का अजब बयान, चंडीगढ़ से आई हो, कॉलेज में आई हो, बदन दिखाती हो, सुनिए और क्या-क्या कहा

इस उपलब्धि के लिए उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने दसवीं में अव्वल रही गांव की तीन बेटियों को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत बेस्ट विलेज अवॉर्ड के तहत नकद राशि देकर सम्मानित भी किया.

हरियाणा के इस गांव ने लिंगानुपात में रचा इतिहास

जिन बेटियों को उपायुक्त ने सम्मानित किया. उन्होंने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में कहा कि हमें गर्व है कि हमारा गांव लिंगानुपात में पूरे जिले में सबसे अच्छा है. कहीं ना कहीं हमारे गांव के लोग और हमारे माता-पिता पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं. इसलिए लिंगानुपात काफी बेहतर है और हम दूसरे लोगों से ये कहना चाहते हैं कि कोई भी माता-पिता अपने बच्चों में फर्क ना समझे.

घर-घर जाकर लोगों को किया जा रहा जागरुक

करनाल का बाहरी गांव लिंगानुपात के मामले में हरियाणा के दूसरे गांव के लिए मिसाल बना है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि यहां लोग बेटियों को बेटों से कम नहीं समझते. इसी वजह से यहां बेटियों का जन्म बेटों के मुकाबले ज्यादा रहा है. सरकारी स्कूल के अध्यापक, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और आशा वर्कर्स की तरफ से गांव में जागरुकता अभियान चलाया जाता है. घर-घर जाकर लोगों को जागरुक किया जाता है. जिसका असर अब देखने को मिल रहा है.

'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का दिखा असर

22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत जिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान का मकसद हरियाणा में गिरते लिंगानुपात को सही करना था. अब पीएम के इस अभियान का असर हरियाणा में देखने को मिल रहा है. इस अभियान को सफल बनाने के लिए आशा वर्कर्स दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहीं है. वो घर जाकर लोगों को जागरुक कर रही हैं.

ये भी पढ़ें- हरियाणा की छोरियों ने सब जूनियर हॉकी चैंपियनशिप जीती, झारखंड को पेनल्टी शूटआउट में हराया

बात अगर हरियाणा की करें तो यहां साल 2020 के जनवरी से जुलाई तक 7 महीनों में लिंगानुपात 1 हजार लड़कों के पीछे 914 लड़कियों का रहा है. करनाल का लिंगानुपात 2020 में हजार लड़कों के पीछे 900 लड़कियों का रहा. बाहरी गांव इस आंकड़े से कहीं ज्यादा आगे है. करनाल स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ डॉक्टर योगेश के मुताबिक साल 2020 में इस गांव से एक भी गर्भपात का मामला सामने नहीं आया है. इसका सबसे बड़ा श्रेय लोगों की सोच को भी जाता है. उम्मीद है हरियाणा के दूसरे गांवों में भी इसका असर देखने को मिलेगा.

Last Updated : Mar 18, 2021, 10:49 PM IST
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