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Sarv Pitru Amavasya 2023: पितृ पक्ष में नहीं कर पाए हैं तर्पण तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन करें ये खास उपाय, जानिए महत्व और पूजा का विधि-विधान - सर्व पितृ अमावस्या 2023

Sarv Pitru Amavasya 2023 हिंदू धर्म में पितृ पक्ष/श्राद्ध पक्ष में में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महात्म्य है. सर्व पितृ अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. यह श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है. इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि के बारे में कोई जानकारी नहीं है. पितरों के श्राद्ध के लिए इस दिन को उत्तम माना गया है. (significance of Sarv Pitru Amavasya what to do on amavasya)

Sarv Pitru Amavasya 2023 significance of Sarv Pitru Amavasya
सर्व पितृ अमावस्या 2023
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 10, 2023, 10:32 AM IST

Updated : Oct 11, 2023, 6:57 AM IST

करनाल: हिंदू धर्म में दिनों की गणना हिंदू पंचांग के आधार पर की जाती है. हिंदू पंचांग के आधार पर ही प्रत्येक व्रत एवं त्योहार मनाया जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या (पितृ विसर्जन अमावस्या) है. इस दिन विधिवत रूप से पितरों के नियमित अनुष्ठान एवं तर्पण किए जाते हैं. यह श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है, इसलिए इस अमावस्या का और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. इस दिन पितरों की आत्मा के शांति के लिए किए गए अनुष्ठान से पितरों की हर प्रकार की नाराजगी दूर हो जाती है. जानिए जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व...

सर्व पितृ अमावस्या की तिथि: अमावस्या का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इस अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध कार्य किए जाते हैं. अगर किसी को अपने पितरों के मरने की तिथि मालूम ना हो या जाने अनजाने में कोई पितर छूट गया तो अमावस्या के दिन उनके लिए पिंडदान किए जाते हैं. सर्व पितृ अमावस्या का आरंभ 13 अक्टूबर को रात के समय 9:50 बजे से होगा, जबकि इसका समापन 14 अक्टूबर को रात के 11:24 बजे होगा.

अमावस्या के दिन तर्पण के 3 शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन विशेष तौर पर पितरों के निर्माता तर्पण किए जाते हैं. तर्पण शुभ मुहूर्त के अनुसार करने चाहिए, क्योंकि अगर शुभ मुहूर्त में तर्पण करता है तो उसका कई गुना ज्यादा फल मिलता है. अमावस्या के दिन तर्पण करने के 3 शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. पहला कुतुप मुहूर्त सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक है. दूसरा रौहिण मुहूर्त दोपहर 12:30 बजे से 01:16 बजे तक है. तीसरा अपराह्न काल मुहूर्त दोपहर 01:16 बजे से 03:35 बजे तक है.

ये भी पढ़ें: Surya Grahan 2023: इस दिन लगेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण, जानें क्यों भारत में नहीं लगेगा सूतक काल, इन राशियों पर पड़ेगा असर

सर्व पितृ अमावस्या का महत्व: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू धर्म में वैसे तो प्रत्येक अमावस्या का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है, लेकिन उन अमावस्या से ज्यादा बढ़कर सर्व पितृ अमावस्या का महत्व होता है. इसमें सभी सनातन धर्म के लोग अपने पितरों के निर्माता पिंडदान करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना करते हैं. अमावस्या के दिन उन पितरों का सबसे पहले श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मौत अमावस्या के दिन होती है. उसके बाद 16 श्राद्धों के अनुसार हर श्रद्धा के नाम का खाना निकाला जाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि जिस इंसान को अपने पितरों के मृत्यु के बारे में जानकारी नहीं है वह अमावस्या के दिन बिना किसी तिथि के ही उनका श्राद्ध और पिंडदान कर सकते हैं. अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी कुंड या तालाब में स्नान करने के बाद दान करने का महत्व है.

पितरों के तर्पण और दान का विशेष महत्व: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या पितरों के लिए ही समर्पित होती है. पितरों के लिए पिंडदान और तर्पण करने के बाद अगर कोई इंसान दान करता है तो उसका बहुत ही ज्यादा लाभ मिलता है. मान्यता है कि इस दिन दान करने से कई गुना ज्यादा फल मिलता है और पितरों का परिवार पर आशीर्वाद बना रहता है. इस दिन तर्पण और पिंडदान करने के बाद जरूरतमंद लोगों को दान करें. साथ ही ब्राह्मण और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं. अमावस्या के दिन कोई भी मोटा अनाज, कपड़ा, गाय का घी, चांदी और काले तिल का दान करना सबसे अच्छा दान माना जाता है. ऐसा करने से परिवार पर आई हुई समस्या भी टल जाती है.

ये भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2023: जानिए किस दिन से हो रही है शारदीय नवरात्रि की शुरुआत, कलश स्थापना शुभ मुहूर्त और पूजा का विधि-विधान

पशु पक्षियों को भोजन कराने से पितृ दोष से मिलती है मुक्ति: पंडित विश्वनाथ ने बताया 'अमावस्या के दिन 16 श्राद्धों के तौर पर 16 अंश खाने के निकलते हैं. इस दिन अगर कोई गाय, कुत्ता और चींटी को खाना खिलाता है तो उनके परिवार खुशहाली बनी रहती है और सुख-संपत्ति में वृद्धि होती है. ऐसा माना जाता है कि यह काम करने से उनके पितर भी खुश होते हैं जो उनको अपना आशीर्वाद देते हैं.'

अमावस्या के दिन करें ये खास उपाय: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि अमावस्या के दिन पवित्र नदी या तालाब में स्नान करने बाद दान करने का महत्व है. इस दिन पीपल के वृक्ष की भी पूजा करनी चाहिए. पूजा करने के दौरान एक लोटे में जल/पानी लेकर उसमें काले तिल, चावल, चीनी और फूल डालकर उसको पीपल को अर्पित करते हुए ओम पितृभ्य नमः का जाप करें. मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा अगर आपके ऊपर कोई भी शनि दोष है तो उससे भी निजात मिल जाती है.

ये भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2023: जानिए नवरात्रि में किस दिन मां दुर्गा के किस स्वरूप की होगी पूजा, माता होंगी प्रसन्न करें ये खास उपाय

करनाल: हिंदू धर्म में दिनों की गणना हिंदू पंचांग के आधार पर की जाती है. हिंदू पंचांग के आधार पर ही प्रत्येक व्रत एवं त्योहार मनाया जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या (पितृ विसर्जन अमावस्या) है. इस दिन विधिवत रूप से पितरों के नियमित अनुष्ठान एवं तर्पण किए जाते हैं. यह श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है, इसलिए इस अमावस्या का और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. इस दिन पितरों की आत्मा के शांति के लिए किए गए अनुष्ठान से पितरों की हर प्रकार की नाराजगी दूर हो जाती है. जानिए जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व...

सर्व पितृ अमावस्या की तिथि: अमावस्या का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इस अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध कार्य किए जाते हैं. अगर किसी को अपने पितरों के मरने की तिथि मालूम ना हो या जाने अनजाने में कोई पितर छूट गया तो अमावस्या के दिन उनके लिए पिंडदान किए जाते हैं. सर्व पितृ अमावस्या का आरंभ 13 अक्टूबर को रात के समय 9:50 बजे से होगा, जबकि इसका समापन 14 अक्टूबर को रात के 11:24 बजे होगा.

अमावस्या के दिन तर्पण के 3 शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन विशेष तौर पर पितरों के निर्माता तर्पण किए जाते हैं. तर्पण शुभ मुहूर्त के अनुसार करने चाहिए, क्योंकि अगर शुभ मुहूर्त में तर्पण करता है तो उसका कई गुना ज्यादा फल मिलता है. अमावस्या के दिन तर्पण करने के 3 शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. पहला कुतुप मुहूर्त सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक है. दूसरा रौहिण मुहूर्त दोपहर 12:30 बजे से 01:16 बजे तक है. तीसरा अपराह्न काल मुहूर्त दोपहर 01:16 बजे से 03:35 बजे तक है.

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सर्व पितृ अमावस्या का महत्व: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू धर्म में वैसे तो प्रत्येक अमावस्या का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है, लेकिन उन अमावस्या से ज्यादा बढ़कर सर्व पितृ अमावस्या का महत्व होता है. इसमें सभी सनातन धर्म के लोग अपने पितरों के निर्माता पिंडदान करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना करते हैं. अमावस्या के दिन उन पितरों का सबसे पहले श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मौत अमावस्या के दिन होती है. उसके बाद 16 श्राद्धों के अनुसार हर श्रद्धा के नाम का खाना निकाला जाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि जिस इंसान को अपने पितरों के मृत्यु के बारे में जानकारी नहीं है वह अमावस्या के दिन बिना किसी तिथि के ही उनका श्राद्ध और पिंडदान कर सकते हैं. अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी कुंड या तालाब में स्नान करने के बाद दान करने का महत्व है.

पितरों के तर्पण और दान का विशेष महत्व: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या पितरों के लिए ही समर्पित होती है. पितरों के लिए पिंडदान और तर्पण करने के बाद अगर कोई इंसान दान करता है तो उसका बहुत ही ज्यादा लाभ मिलता है. मान्यता है कि इस दिन दान करने से कई गुना ज्यादा फल मिलता है और पितरों का परिवार पर आशीर्वाद बना रहता है. इस दिन तर्पण और पिंडदान करने के बाद जरूरतमंद लोगों को दान करें. साथ ही ब्राह्मण और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं. अमावस्या के दिन कोई भी मोटा अनाज, कपड़ा, गाय का घी, चांदी और काले तिल का दान करना सबसे अच्छा दान माना जाता है. ऐसा करने से परिवार पर आई हुई समस्या भी टल जाती है.

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पशु पक्षियों को भोजन कराने से पितृ दोष से मिलती है मुक्ति: पंडित विश्वनाथ ने बताया 'अमावस्या के दिन 16 श्राद्धों के तौर पर 16 अंश खाने के निकलते हैं. इस दिन अगर कोई गाय, कुत्ता और चींटी को खाना खिलाता है तो उनके परिवार खुशहाली बनी रहती है और सुख-संपत्ति में वृद्धि होती है. ऐसा माना जाता है कि यह काम करने से उनके पितर भी खुश होते हैं जो उनको अपना आशीर्वाद देते हैं.'

अमावस्या के दिन करें ये खास उपाय: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि अमावस्या के दिन पवित्र नदी या तालाब में स्नान करने बाद दान करने का महत्व है. इस दिन पीपल के वृक्ष की भी पूजा करनी चाहिए. पूजा करने के दौरान एक लोटे में जल/पानी लेकर उसमें काले तिल, चावल, चीनी और फूल डालकर उसको पीपल को अर्पित करते हुए ओम पितृभ्य नमः का जाप करें. मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा अगर आपके ऊपर कोई भी शनि दोष है तो उससे भी निजात मिल जाती है.

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Last Updated : Oct 11, 2023, 6:57 AM IST
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