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Sankashti Chaturthi 2023: तीन सितंबर को रखा जाएगा संकष्टी चतुर्थी का व्रत, इस दिन भूलकर भी ना करें ये काम

Sankashti Chaturthi 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी 3 सितंबर को मनाई जा रही है. इस दिन विशेष तौर पर भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना की जाती है और उनके लिए व्रत भी रखा जाता है.

sankashti chaturthi 2023
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 2, 2023, 10:33 AM IST

करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत और त्योहार हिंदू पंचांग के आधार पर मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी 3 सितंबर को मनाई जा रही है. इस दिन विशेष तौर पर भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना की जाती है और उनके लिए व्रत भी रखा जाता है. द्रुपद के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन ही बहुला चतुर्थी का व्रत भी रखा जाता है. जो भी उपासक इस दिन भगवान गणेश के लिए व्रत रखते हैं, भगवान उन पर बल, बुद्धि, विद्या के साथ धन की वर्षा करते हैं.

भाद्रपद चतुर्थी का समय: सनातन धर्म में हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 2 सितंबर को रात्रि 08:49 से शुरू होगा, जबकि इसका समापन 3 सितंबर शाम 6:24 बजे होगा. इसके चलते सूर्य उदय तिथि के साथ संकष्टी चतुर्थी और बहुला चतुर्थी व्रत 3 सितंबर के दिन रखा जाएगा. संकष्टी चतुर्थी के दिन हिंदू पंचांग के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग और वृद्धि योग का बन हो रहा है, जो पूजा-पाठ के लिए बहुत ही शुभ माना जा रहा है. संकष्टी चतुर्थी के दिन बहुला चतुर्थी व्रत भी रखा जाता है. जिसमें विशेष तौर पर गौ माता की पूजा अर्चना की जाती है.

पूजा का विधि विधान: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष के संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उपासक को पवित्र नदी में स्नान कर लेना चाहिए. स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करनी चाहिए और उनके सामने देसी घी का दीपक जलाकर उनको पीले रंग की मिठाई फल और फूल अर्पित करने चाहिए. उसके बाद ही व्रत रखने का संकल्प ग्रहण करें.

इस दिन भगवान श्री गणेश की पूरे दिन पूजा अर्चना करते रहें. इस दिन भगवान कृष्ण और गौ माता की उपासना भी करें. शाम के समय चंद्रोदय के बाद चंद्र दर्शन करके. उनकी पूजा करें और उनको एक पत्र में दूध डालकर अर्घ्य दें. उसके बाद भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करें और उसकी आरती करें. साथ ही गौ माता की पूजा भी करें. गौ माता की पूजा करने के बाद बहुला चतुर्थी व्रत कथा का पाठ भी करें. इसके बाद गाय और श्री गणेश को प्रसाद का भोग लगाने के बाद अपना व्रत खोलें.

संकष्टी चतुर्थी का महत्व: संकष्टी चतुर्थी या बहुला चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने का और भगवान श्री गणेश की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. इस दिन भगवान श्री गणेश के साथ गौ माता की पूजा अर्चना भी की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बहुला चतुर्थी के व्रत के दिन गौ माता की पूजा अर्चना करने से उपासक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति हो जाती है. जो भी संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश के लिए व्रत रखते हैं. भगवान श्री गणेश उनकी सभी प्रकार की कठिनाइयां दूर कर देते हैं. इस दिन चंद्र देवता की पूजा करने का भी विशेष महत्व है. इस दिन उनकी पूजा करने से उपासक के घर में सुख समृद्धि आती है और उनके सभी परेशानियां दूर हो जाती है.

भूलकर भी ना करें ये काम: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन कई गलतियां उपासक के ऊपर भारी पड़ सकती हैं. इस दिन भगवान श्री गणेश उपासक भूल कर भी तुलसी दल अर्पित ना करें. माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान श्री गणेश अपने उपासक से नाराज हो जाते हैं. चतुर्थी के दिन जो भी महिलाएं व्रत रखती हैं. उनको भूलकर भी जमीन में उगने वाले किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए. अगर कोई महिला ऐसे करती है, तो उसके जीवन में कई प्रकार की आर्थिक परेशानियां आ सकती हैं और उनका धन की कमी हो सकती है.

गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र देवता की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. रात के समय चंद्रोदय को अर्घ्य देने के बाद ही महिलाओं का व्रत पूरा होता है, लेकिन चंद्र देवता को अर्घ्य देने के दौरान एक बात ध्यान में रखनी चाहिए, अर्घ्य देते वक्त पानी का एक भी छींटा उपासक के शरीर पर नहीं पड़ना चाहिए. अगर ऐसा हो जाता है तो माना जाता है कि उनके परिवार में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं आ सकती हैं.

करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत और त्योहार हिंदू पंचांग के आधार पर मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी 3 सितंबर को मनाई जा रही है. इस दिन विशेष तौर पर भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना की जाती है और उनके लिए व्रत भी रखा जाता है. द्रुपद के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन ही बहुला चतुर्थी का व्रत भी रखा जाता है. जो भी उपासक इस दिन भगवान गणेश के लिए व्रत रखते हैं, भगवान उन पर बल, बुद्धि, विद्या के साथ धन की वर्षा करते हैं.

भाद्रपद चतुर्थी का समय: सनातन धर्म में हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 2 सितंबर को रात्रि 08:49 से शुरू होगा, जबकि इसका समापन 3 सितंबर शाम 6:24 बजे होगा. इसके चलते सूर्य उदय तिथि के साथ संकष्टी चतुर्थी और बहुला चतुर्थी व्रत 3 सितंबर के दिन रखा जाएगा. संकष्टी चतुर्थी के दिन हिंदू पंचांग के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग और वृद्धि योग का बन हो रहा है, जो पूजा-पाठ के लिए बहुत ही शुभ माना जा रहा है. संकष्टी चतुर्थी के दिन बहुला चतुर्थी व्रत भी रखा जाता है. जिसमें विशेष तौर पर गौ माता की पूजा अर्चना की जाती है.

पूजा का विधि विधान: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष के संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उपासक को पवित्र नदी में स्नान कर लेना चाहिए. स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करनी चाहिए और उनके सामने देसी घी का दीपक जलाकर उनको पीले रंग की मिठाई फल और फूल अर्पित करने चाहिए. उसके बाद ही व्रत रखने का संकल्प ग्रहण करें.

इस दिन भगवान श्री गणेश की पूरे दिन पूजा अर्चना करते रहें. इस दिन भगवान कृष्ण और गौ माता की उपासना भी करें. शाम के समय चंद्रोदय के बाद चंद्र दर्शन करके. उनकी पूजा करें और उनको एक पत्र में दूध डालकर अर्घ्य दें. उसके बाद भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करें और उसकी आरती करें. साथ ही गौ माता की पूजा भी करें. गौ माता की पूजा करने के बाद बहुला चतुर्थी व्रत कथा का पाठ भी करें. इसके बाद गाय और श्री गणेश को प्रसाद का भोग लगाने के बाद अपना व्रत खोलें.

संकष्टी चतुर्थी का महत्व: संकष्टी चतुर्थी या बहुला चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने का और भगवान श्री गणेश की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. इस दिन भगवान श्री गणेश के साथ गौ माता की पूजा अर्चना भी की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बहुला चतुर्थी के व्रत के दिन गौ माता की पूजा अर्चना करने से उपासक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति हो जाती है. जो भी संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश के लिए व्रत रखते हैं. भगवान श्री गणेश उनकी सभी प्रकार की कठिनाइयां दूर कर देते हैं. इस दिन चंद्र देवता की पूजा करने का भी विशेष महत्व है. इस दिन उनकी पूजा करने से उपासक के घर में सुख समृद्धि आती है और उनके सभी परेशानियां दूर हो जाती है.

भूलकर भी ना करें ये काम: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन कई गलतियां उपासक के ऊपर भारी पड़ सकती हैं. इस दिन भगवान श्री गणेश उपासक भूल कर भी तुलसी दल अर्पित ना करें. माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान श्री गणेश अपने उपासक से नाराज हो जाते हैं. चतुर्थी के दिन जो भी महिलाएं व्रत रखती हैं. उनको भूलकर भी जमीन में उगने वाले किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए. अगर कोई महिला ऐसे करती है, तो उसके जीवन में कई प्रकार की आर्थिक परेशानियां आ सकती हैं और उनका धन की कमी हो सकती है.

गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र देवता की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. रात के समय चंद्रोदय को अर्घ्य देने के बाद ही महिलाओं का व्रत पूरा होता है, लेकिन चंद्र देवता को अर्घ्य देने के दौरान एक बात ध्यान में रखनी चाहिए, अर्घ्य देते वक्त पानी का एक भी छींटा उपासक के शरीर पर नहीं पड़ना चाहिए. अगर ऐसा हो जाता है तो माना जाता है कि उनके परिवार में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं आ सकती हैं.

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