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हरियाणा में आलू किसानों पर आर्थिक संकट, महज 80 पैसे प्रति किलो बेचने को मजबूर

हरियाणा में आलू के थोक के भावों में भारी मंदी के कारण किसान परेशान हैं. मंडी में आलू 80 पैसे प्रति किलो से 2 रुपए प्रति किलो तक खरीदा जा रहा है. जिसके कारण आलू उत्पादक किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है.

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हरियाणा के आलू उत्पादक किसानों की बढ़ी परेशानी: बड़ी मंदी की चपेट में आलू
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Published : Feb 28, 2023, 5:19 PM IST

Updated : Feb 28, 2023, 5:34 PM IST

हरियाणा में आलू के थोक के भावों में भारी मंदी के कारण किसान परेशान हैं.

करनाल: हरियाणा में कुरुक्षेत्र जिला आलू उत्पाद में पहले स्थान पर आता है. किसानों की माने तो इस बार आलू में आज तक की सबसे बड़ी मंदी देखने को मिल रही है. किसानों का कहना है कि इस बार हरियाणा में आलू की फसल में भारी नुकसान हुआ है. खाद, बीज और कीटनाशक दवाइयों का खर्च तो दूर की बात है, मजदूरों का पैसा भी पूरा करना मुश्किल हो रहा है. अगर मंडी के भाव की बात की जाए, तो मंडी में आलू का भाव 80 रुपए क्विंटल से लेकर 200 रुपए क्विंटल तक है. यानी की 80 पैसे प्रति किलो से लेकर 2 रुपए प्रति किलो तक आलू खरीदा जा रहा है.

किसानों का कहना है कि जब उन्होंने आलू की फसल उगाई थी. उस समय 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से आलू का बीज खरीदा था. उसके बाद खाद, दवाई और लेबर का खर्च अतिरिक्त है. प्रति एकड़ खर्च की बात की जाए, तो आलू की फसल पर करीब 40 हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्च आता है. जबकि हरियाणा में आलू के थोक दाम 7 से 8 हजार रुपए प्रति एकड़ है.

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हरियाणा में आलू के दामों में ​बड़ी गिरावट.

पढ़ें: हरियाणा में आधी रात में किसानों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की, कई किसान घायल

प्रदेश सरकार ने हरियाणा में भावांतर भरपाई योजना सब्जी उगाने वाले किसानों की भरपाई करने के लिए चलाई गई है, लेकिन उससे भी किसानों की भरपाई नहीं हो रही है. किसानों का कहना है कि इससे किसानों को कुछ खास लाभ नहीं पहुंच रहा है. जितना नुकसान किसानों को होता है, उसकी भरपाई इस योजना के तहत नहीं की जा रही है. किसानों का कहना है कि सरकार योजनाएं तो लागू करती है, लेकिन उनका फायदा किसानों तक नहीं पहुंचता.

किसानों का मानना है कि यह आज तक की सबसे बड़ी मंदी है. अगर इसी प्रकार से किसान की फसलों के दाम गिरते रहे, तो किसान खेती छोड़ने को मजबूर हो जाएगा. किसानों का कहना है कि जब किसानों की फसल मंडी में आती है, उस समय दाम बहुत कम होते हैं. कुछ समय बाद दाम बढ़ जाने से व्यापारी वर्ग को फायदा होता है, लेकिन किसान घाटे में चला जाता है.

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मंडी में आलू 80 पैसे प्रति किलो से 2 रुपए प्रति किलो तक खरीदा जा रहा है.

पढ़ें: भिवानी में ड्रैगन फ्रूट की खेती से किसान हो रहे मालामाल, जानिए कैसे करें कम लागत में ज्यादा कमाई

ऐसे में सरकार को चाहिए कि की फसल लगाने वाले किसानों के लिए खास योजना बनाई जाए, जिससे किसानों को थोड़ा फायदा हो सके. किसानों ने कहा कि अगर यही हालात रहे, तो आने वाले समय में हरियाणा के किसान आलू की फसल लगाना बंद कर देंगे. क्योंकि मौजूदा समय में आलू की फसल पर 40 हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्च आ रहा है. जबकि उनकी आमदनी महज 8 हजार रुपए प्रति एकड़ हो रही है.

वहीं अगर दूसरे राज्यों की भी बात करे, तो गिरते आलू के भाव के चलते किसानों ने अपनी आलू की खड़ी फसल को ट्रैक्टर से बर्बाद करना शुरू कर दिया है. क्योंकि उसको पूरी तैयार करने के बाद भी अगर वे मंडी तक उसको लेकर जाते हैं, तो उसमें लगने वाला खर्च भी पूरा नहीं निकल पा रहा है. ​ऐसे में किसानों को मजबूरन अपनी आलू की फसल बर्बाद करनी पड़ रही है.

हरियाणा में आलू के थोक के भावों में भारी मंदी के कारण किसान परेशान हैं.

करनाल: हरियाणा में कुरुक्षेत्र जिला आलू उत्पाद में पहले स्थान पर आता है. किसानों की माने तो इस बार आलू में आज तक की सबसे बड़ी मंदी देखने को मिल रही है. किसानों का कहना है कि इस बार हरियाणा में आलू की फसल में भारी नुकसान हुआ है. खाद, बीज और कीटनाशक दवाइयों का खर्च तो दूर की बात है, मजदूरों का पैसा भी पूरा करना मुश्किल हो रहा है. अगर मंडी के भाव की बात की जाए, तो मंडी में आलू का भाव 80 रुपए क्विंटल से लेकर 200 रुपए क्विंटल तक है. यानी की 80 पैसे प्रति किलो से लेकर 2 रुपए प्रति किलो तक आलू खरीदा जा रहा है.

किसानों का कहना है कि जब उन्होंने आलू की फसल उगाई थी. उस समय 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से आलू का बीज खरीदा था. उसके बाद खाद, दवाई और लेबर का खर्च अतिरिक्त है. प्रति एकड़ खर्च की बात की जाए, तो आलू की फसल पर करीब 40 हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्च आता है. जबकि हरियाणा में आलू के थोक दाम 7 से 8 हजार रुपए प्रति एकड़ है.

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हरियाणा में आलू के दामों में ​बड़ी गिरावट.

पढ़ें: हरियाणा में आधी रात में किसानों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की, कई किसान घायल

प्रदेश सरकार ने हरियाणा में भावांतर भरपाई योजना सब्जी उगाने वाले किसानों की भरपाई करने के लिए चलाई गई है, लेकिन उससे भी किसानों की भरपाई नहीं हो रही है. किसानों का कहना है कि इससे किसानों को कुछ खास लाभ नहीं पहुंच रहा है. जितना नुकसान किसानों को होता है, उसकी भरपाई इस योजना के तहत नहीं की जा रही है. किसानों का कहना है कि सरकार योजनाएं तो लागू करती है, लेकिन उनका फायदा किसानों तक नहीं पहुंचता.

किसानों का मानना है कि यह आज तक की सबसे बड़ी मंदी है. अगर इसी प्रकार से किसान की फसलों के दाम गिरते रहे, तो किसान खेती छोड़ने को मजबूर हो जाएगा. किसानों का कहना है कि जब किसानों की फसल मंडी में आती है, उस समय दाम बहुत कम होते हैं. कुछ समय बाद दाम बढ़ जाने से व्यापारी वर्ग को फायदा होता है, लेकिन किसान घाटे में चला जाता है.

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मंडी में आलू 80 पैसे प्रति किलो से 2 रुपए प्रति किलो तक खरीदा जा रहा है.

पढ़ें: भिवानी में ड्रैगन फ्रूट की खेती से किसान हो रहे मालामाल, जानिए कैसे करें कम लागत में ज्यादा कमाई

ऐसे में सरकार को चाहिए कि की फसल लगाने वाले किसानों के लिए खास योजना बनाई जाए, जिससे किसानों को थोड़ा फायदा हो सके. किसानों ने कहा कि अगर यही हालात रहे, तो आने वाले समय में हरियाणा के किसान आलू की फसल लगाना बंद कर देंगे. क्योंकि मौजूदा समय में आलू की फसल पर 40 हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्च आ रहा है. जबकि उनकी आमदनी महज 8 हजार रुपए प्रति एकड़ हो रही है.

वहीं अगर दूसरे राज्यों की भी बात करे, तो गिरते आलू के भाव के चलते किसानों ने अपनी आलू की खड़ी फसल को ट्रैक्टर से बर्बाद करना शुरू कर दिया है. क्योंकि उसको पूरी तैयार करने के बाद भी अगर वे मंडी तक उसको लेकर जाते हैं, तो उसमें लगने वाला खर्च भी पूरा नहीं निकल पा रहा है. ​ऐसे में किसानों को मजबूरन अपनी आलू की फसल बर्बाद करनी पड़ रही है.

Last Updated : Feb 28, 2023, 5:34 PM IST
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