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NDRI करनाल ने रचा इतिहास, भैंस की पूंछ के सैल से पैदा किए 2 क्लोन, दोगुना होगा दूध उत्पादन

राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल (National Dairy Research Institute Karnal) ने भैंस की पूंछ से दो क्लोन पैदा कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है. संस्थान की इस तकनीक से देश में दुग्ध उत्पादन दोगुना होने के साथ किसानों की आय भी बढ़ेगी.

clone from buffalo tail Karnal
clone from buffalo tail Karnal
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Published : Feb 3, 2022, 6:14 PM IST

Updated : Feb 3, 2022, 8:01 PM IST

करनाल: राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने क्लोनिंग के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा है. संस्थान के वैज्ञानिकों ने पहली बार भैंस की पूछ के टुकड़े से क्लोन पैदा (clone from buffalo tail Karnal) करने में सफलता हासिल की है. संस्थान की इस तकनीक से देश में दुग्ध उत्पादन दोगुना होने के साथ किसानों की आय भी बढ़ेगी. बता दें कि NDRI ने 2009 से लेकर अब तक 11 क्लोन पैदा किए है. जिसमें 7 मेल व 4 फीमेल शामिल है. केंद्र सरकार द्वारा अप्रूवल मिलने के बाद यह तकनीक किसानों तक पहुंचेगी.

करनाल की राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (National Dairy Research Institute Karnal) के निदेशक डॉ. एम.एस. चौहान ने बताया कि यह क्लोनिंग के क्षेत्र में एक नई सफलता है. उनकी रिसर्च सही दिशा में आगे बढ़ रही है. डॉ. चौहान ने कहा कि भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में पशुपालन का अहम स्थान है. देश में भैंस का कुल दुग्ध उत्पादन में लगभग 50 फीसदी का योगदान है और यह किसानों की आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. उन्होंने कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने में पशुपालन एक अहम भूमिका निभा सकता है. संस्थान के द्वारा क्लोनिंग किए गए पशुओं के सीमन से दूध उत्पादन दोगुना हो सकता है.

NDRI करनाल ने रचा इतिहास, भैंस की पूंछ के सैल से पैदा किए 2 क्लोन, दोगुना होगा दूध उत्पादन

ये भी पढ़ें- हरियाणा के किसान अब इस खेती को अपनाएं, पानी भी बचेगा और मुनाफा भी बढ़ेगा

भैंस की पूंछ से पैदा किया क्लोन: क्लोनिंग से पैदा बच्चों के बारे में डॉ. चौहान ने कहा कि 1 बच्चे का जन्म 26 जनवरी को हुआ था. जिसका नाम गणतंत्र रखा गया है, जबकि क्लोन कटड़ी का नाम कर्णिका रखा गया है. जो कर्ण की नगरी के नाम पर रखा गया है. इसमें एक भैंस की पूंछ से लिए गए सेल से किया गया है. निदेशक ने कहा कि क्लोनिंग में उत्तम नस्ल की मुर्रा भैंस का प्रयोग किया जाता है, जिसकी जेनेटिक क्षमता ज्यादा दूध देने की होती है. ऐसे में सामान्य भैंस के मुकाबले क्लोन पशु के सीमन से पैदा होने वाली भैंस में दूध उत्पादन 14 से 16 लीटर प्रति दिन होता है. जबकि सामान्य भैंस में 6 से 8 किलो प्रति दिन दूध उत्पादन की क्षमता पाई जाती है.

कटड़ा और कटड़ी पूरी तरह से स्वस्थ: डॉ. चौहान ने बताया कि क्लोन तकनीक से पैदा हुए कटड़ा और कटड़ी पूरी तरह से स्वस्थ हैं और इनका व्यवहार पूरी तरह सामान्य है. गौरतलब है कि क्लोनिंग से 11 बच्चे पैदा हो चुके हैं, जो जीवित हैं और इन से आगे वंश वृद्धि हो रही है. डॉ. चौहान ने कहा कि उनकी यह तकनीक विशुद्ध रूप से भारतीय है. विशेषज्ञों की टीम में शामिल पशु वैज्ञानिक डॉ. नरेश और डॉ. मनोज ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि NDRI में किए गए परीक्षण निश्चित रूप से प्रधौगकी को किसानों के दरवाजे तक पहुंचाने में मदद करेंगे ताकि उनके पशुओं की उत्पादकता को बढ़ाया जा सके.

clone from buffalo tail Karnal
भैंस की पूंछ के सेल से पैदा हुए क्लोन

ये भी पढ़ें- पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बढ़ाए कदम, पशुधन औषधि स्टोर खोलने की हुई शुरुआत

संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि अभी हाल में गणतंत्र नाम के क्लोन कटड़े का जन्म 26 जनवरी को हुआ था और एक क्लोन कटड़ी कर्णिका का जन्म 20 दिसंबर 2021 को हुआ था. यह दोनों उच्च दूध देने वाली भैंस का क्लोन है. जिसकी पैदावार अपने पांचवें संस्थान में 6 हजार लीटर दर्ज की गई है. डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि एक क्लोन भैंस से 1 साल में 10 बच्चों का जन्म हो सकता है, जो दूध क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने वाली है.

क्या है क्लोनिंग: क्लोनिंग (Cloning) या प्रतिरूपण का सामान्य अर्थ हमशक्ल तैयार करना है. क्लोन एक ऐसी जैविक रचना है जो एकमात्र जनक (माता/पिता) से अलैंगिक विधि द्वारा उत्पन्न होती है. उत्पादित क्लोन अपने जनक से शारीरिक और अनुवांशिक रूप से पूरी तरह समरूप होता है. इसलिए किसी भी जीव का प्रतिरूप या हमशक्ल तैयार करना ही क्लोनिंग है.

ये भी पढ़ें- पाला पड़ने से कैसे हो जाती है खेत में खड़ी फसल बर्बाद, कृषि विशेषज्ञ से जानिए बचाव का तरीका

करनाल: राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने क्लोनिंग के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा है. संस्थान के वैज्ञानिकों ने पहली बार भैंस की पूछ के टुकड़े से क्लोन पैदा (clone from buffalo tail Karnal) करने में सफलता हासिल की है. संस्थान की इस तकनीक से देश में दुग्ध उत्पादन दोगुना होने के साथ किसानों की आय भी बढ़ेगी. बता दें कि NDRI ने 2009 से लेकर अब तक 11 क्लोन पैदा किए है. जिसमें 7 मेल व 4 फीमेल शामिल है. केंद्र सरकार द्वारा अप्रूवल मिलने के बाद यह तकनीक किसानों तक पहुंचेगी.

करनाल की राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (National Dairy Research Institute Karnal) के निदेशक डॉ. एम.एस. चौहान ने बताया कि यह क्लोनिंग के क्षेत्र में एक नई सफलता है. उनकी रिसर्च सही दिशा में आगे बढ़ रही है. डॉ. चौहान ने कहा कि भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में पशुपालन का अहम स्थान है. देश में भैंस का कुल दुग्ध उत्पादन में लगभग 50 फीसदी का योगदान है और यह किसानों की आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. उन्होंने कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने में पशुपालन एक अहम भूमिका निभा सकता है. संस्थान के द्वारा क्लोनिंग किए गए पशुओं के सीमन से दूध उत्पादन दोगुना हो सकता है.

NDRI करनाल ने रचा इतिहास, भैंस की पूंछ के सैल से पैदा किए 2 क्लोन, दोगुना होगा दूध उत्पादन

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भैंस की पूंछ से पैदा किया क्लोन: क्लोनिंग से पैदा बच्चों के बारे में डॉ. चौहान ने कहा कि 1 बच्चे का जन्म 26 जनवरी को हुआ था. जिसका नाम गणतंत्र रखा गया है, जबकि क्लोन कटड़ी का नाम कर्णिका रखा गया है. जो कर्ण की नगरी के नाम पर रखा गया है. इसमें एक भैंस की पूंछ से लिए गए सेल से किया गया है. निदेशक ने कहा कि क्लोनिंग में उत्तम नस्ल की मुर्रा भैंस का प्रयोग किया जाता है, जिसकी जेनेटिक क्षमता ज्यादा दूध देने की होती है. ऐसे में सामान्य भैंस के मुकाबले क्लोन पशु के सीमन से पैदा होने वाली भैंस में दूध उत्पादन 14 से 16 लीटर प्रति दिन होता है. जबकि सामान्य भैंस में 6 से 8 किलो प्रति दिन दूध उत्पादन की क्षमता पाई जाती है.

कटड़ा और कटड़ी पूरी तरह से स्वस्थ: डॉ. चौहान ने बताया कि क्लोन तकनीक से पैदा हुए कटड़ा और कटड़ी पूरी तरह से स्वस्थ हैं और इनका व्यवहार पूरी तरह सामान्य है. गौरतलब है कि क्लोनिंग से 11 बच्चे पैदा हो चुके हैं, जो जीवित हैं और इन से आगे वंश वृद्धि हो रही है. डॉ. चौहान ने कहा कि उनकी यह तकनीक विशुद्ध रूप से भारतीय है. विशेषज्ञों की टीम में शामिल पशु वैज्ञानिक डॉ. नरेश और डॉ. मनोज ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि NDRI में किए गए परीक्षण निश्चित रूप से प्रधौगकी को किसानों के दरवाजे तक पहुंचाने में मदद करेंगे ताकि उनके पशुओं की उत्पादकता को बढ़ाया जा सके.

clone from buffalo tail Karnal
भैंस की पूंछ के सेल से पैदा हुए क्लोन

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संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि अभी हाल में गणतंत्र नाम के क्लोन कटड़े का जन्म 26 जनवरी को हुआ था और एक क्लोन कटड़ी कर्णिका का जन्म 20 दिसंबर 2021 को हुआ था. यह दोनों उच्च दूध देने वाली भैंस का क्लोन है. जिसकी पैदावार अपने पांचवें संस्थान में 6 हजार लीटर दर्ज की गई है. डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि एक क्लोन भैंस से 1 साल में 10 बच्चों का जन्म हो सकता है, जो दूध क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने वाली है.

क्या है क्लोनिंग: क्लोनिंग (Cloning) या प्रतिरूपण का सामान्य अर्थ हमशक्ल तैयार करना है. क्लोन एक ऐसी जैविक रचना है जो एकमात्र जनक (माता/पिता) से अलैंगिक विधि द्वारा उत्पन्न होती है. उत्पादित क्लोन अपने जनक से शारीरिक और अनुवांशिक रूप से पूरी तरह समरूप होता है. इसलिए किसी भी जीव का प्रतिरूप या हमशक्ल तैयार करना ही क्लोनिंग है.

ये भी पढ़ें- पाला पड़ने से कैसे हो जाती है खेत में खड़ी फसल बर्बाद, कृषि विशेषज्ञ से जानिए बचाव का तरीका

Last Updated : Feb 3, 2022, 8:01 PM IST
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