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करनाल में यमुना के साथ है चमत्कारी गुरुद्वारा, गांव के गांव डूबे पर आज तक गुरुद्वारे में नहीं पहुंचा यमुना का पानी, जानें वजह

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Published : Jul 15, 2023, 10:58 PM IST

हरियाणा के जिला करनाल में यमुना के साथ चमत्कारी दशमेश प्रकाश गुरुद्वारा साहिब है. गांव के गांव डूबे पर आज तक गुरुद्वारे में यमुना का पानी नहीं पहुंचा. यहां पर बाढ़ प्रभावित लोग शरण लेकर रह रहे हैं. आइए इस गुरुद्वारे के बारे में और अधिक जानें इस रिपोर्ट के माध्यम से. (Dashmesh Prakash Gurdwara Sahib)

Miraculous Gurudwara in Karnal
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करनाल: हरियाणा के जिला करनाल में इंद्री के दर्जनों गांवों में जब हर तरफ बेशक पानी ही पानी है. लेकिन यहां पर लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि उनके लिए एक ऐसा ठिकाना है, जो पूरी तरह से बिल्कुल सुरक्षित है. जी हां, हम बात कर रहे हैं उस चमत्कारी गुरुद्वारे की जहां कभी भी यमुना का पानी नहीं पहुंचता है. नबियाबाद का यह चमत्कारी गुरुद्वारा लोगों को मुसीबत में पनाह देता है. जिन लोगों के घर डूब गए हैं या फिर जिनके घरों में पानी ही पानी घुस गया है उन गांव के सभी लोग यहां गुरुद्वारे में शरण लेकर रह रहे हैं.

ये भी पढ़ें: हरियाणा के इस गांव में मिले सैकड़ों वर्ष पुराने अवशेष, इतिहास का एक और पन्ना खुलने की उम्मीद

चमत्कारी गुरुद्वारा तक नहीं पहुंचा यमुना का पानी: दरअसल, पिछले दिनों हुई भारी बारिश से यमुना का जलस्तर काफी ज्यादा बढ़ गया है. जिसके चलते चारों ओर यमुना का तांडव नजर आ रहा है. ऐसे में नबियाबाद का इस गुरुद्वारे में यमुना नदी कभी प्रवेश नहीं करती. जबकि दर्जनों गांव यमुना के पानी से भरे हुए हैं और यमुना गुरु घर के द्वारा तक नहीं आई. गांव नबियाबाद के दशमेश प्रकाश गुरुद्वारा साहिब में आज तक पानी नहीं आया है.

बाढ़ प्रभावित लोगों ने गुरुद्वारा साहिब में ली शरण: सन 1984 से बने हुए इस गुरुद्वारा साहिब का यह इतिहास है. हालांकि यमुना नदी मात्र पचास फिट की दूरी पर है. लेकिन, फिर भी पानी गुरुद्वारा की चौखट तक नहीं पहुंचता है. मान्यता यह है की सुबह-शाम गुरु ग्रंथ साहिब जी के आगे अरदास करके लंगर का भोग लगाने के बाद यमुना माता को प्रसाद का भोग लगवाया जाता है. 24 घंटे गुरु की बानी चलती है और संगत गुरु का नाम जपती है. जिस कारण कहते हैं कि यमुना माता इस गुरुद्वारे में प्रवेश नहीं करती. जब गांवों में बाढ़ आती है, तब दर्जनों गांवों के लोग गुरुद्वारा साहिब में शरण लेते हैं और गुरुद्वारे की तरफ से लंगर की व्यवस्था लोगों के लिए की जाती है.

Dashmesh Prakash Gurdwara Sahib
गुरुद्वारा परिसर में प्रवेश नहीं करती यमुना.

क्या है इतिहास: स्वर्गीय संत बाबा जगदीश सिंह जी एक महान तपस्वी थे. सारी जिंदगी उन्होंने मानवता की भलाई की. बाबा जी ने अपने जीवन में बच्चों के लिए स्कूल खुलवाए उन्हें अच्छी शिक्षा दी. गरीबों के बच्चों की भलाई के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन लगा दिया. बताया जाता है कि यमुना के किनारे होते हुए भी आज तक गुरुद्वारा साहिब में यमुना का पानी कभी नहीं आया. आस-पास के गांव के हजारों लोग बाढ़ से बचने के लिए गुरुद्वारा साहिब में शरण लेते हैं. 24 घंटे गुरु का लंगर गुरुद्वारे में चलता रहता है और बाबा जी की याद में हर साल यह समागम करवाया जाता है.

ये भी पढ़ें: Sawan 2023: महाभारत काल से जुड़ा है करनाल के झारखंडी शिव मंदिर का इतिहास, यहां अपने आप प्रकट हुआ था शिवलिंग

यमुना गुरुद्वारे में नहीं करती प्रवेश: इसे चमत्कार कहा जाए, या फिर कुछ और क्योंकि गुरुद्वारे के चारों ओर पानी देखा जा सकता है. लेकिन पानी गुरुद्वारे तक नहीं आया है. एक गुरुद्वारे से कुछ मीटर दूरी पर तेज बहाव में बहने वाली यमुना नदी हर साल मानसून के सीजन में अपना रौद्र रूप दिखाती है. फिर वह अपने मूल प्रवाह से हटकर हजारों एकड़ जमीन व कई गांवों को अपने आगोश में लेती है. लेकिन चंद मीटर दूर स्थित गुरुद्वारे की चौखट को यमुना नदी के पानी ने कभी पार नहीं किया. इस बार भी ऐसा ही हुआ है.

Dashmesh Prakash Gurdwara Sahib
चमत्कारी गुरुद्वारा में लोगों ने ली शरण.

यहां होती है लंगर सेवा: यमुना नदी करनाल जिले के इंद्री क्षेत्र के कई गांवों को अपने आगोश में ले चुकी है. पर गुरुद्वारे से चंद फीट दूरी से ही यमुना ने अपना रास्ता बदल लिया. अभी भी इस गुरुद्वारे में करीब 200 लोगों की लंगर सेवा की जा रही है. ये गुरुद्वारा है करनाल के इंद्री में स्थित नबियाबाद में और जो भी इसके आस पास के गांव थे, वो पानी के सैलाब की चपेट में आ गए थे.

Dashmesh Prakash Gurdwara Sahib
इतिहास में कभी यमुना के पानी ने गुरुद्वारे में नहीं किया प्रवेश.

गुरुद्वारा साहिब का इतिहास: नबियाबाद गुरुद्वारे की नींव 1984 में रखी गई थी. 1986 में बाबा मुखी जगदीश सिंह गुरुद्वारे में आए थे. उन्होंने गुरुद्वारे में भक्ति व सेवा कार्यों को आगे बढ़ाने का काम किया. उस समय यमुना गुरुद्वारे से करीब 3 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश की सीमा की ओर बहा करती थी. लेकिन 1988 में यमुना ने अपना रास्ता बदलकर हरियाणा की ओर कर लिया. जिसके बाद यमुना गुरुद्वारे के पास तक आ गई. तब लगा कि पानी गुरुद्वारे के अंदर जा सकता है.

यमुना नदी को लगाया जाता है भोग: वर्तमान संत बाबा मुखी मेहर सिंह बताते हैं, कि बाबा मुखी जगदीप सिंह ने अरदास (प्रार्थना) की थी कि गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश है. इसके बाद पानी गुरुद्वारे के अंदर नहीं गया था. उस समय से लेकर आज तक प्रतिदिन रोजाना दो बार लंगर प्रसाद से यमुना नदी में भोग लगाया जाता है. यहां से नदी शांति से बहती है. 12 जुलाई 1999 को बाबा जगदीश सिंह ने चोला त्याग दिया था. पिछले पांच दिन से गुरुद्वारे के चारों ओर पानी ही पानी था. अब पानी उतरने लगा है. गुरुद्वारे के साथ लगते गांव नबियाबाद, फिर गांव जपती छपरा, सैय्यद छपरा, हलवाना, नगली, कमालपुर गडरियान सहित कई गांव बाढ़ के पानी की चपेट में थे.

Dashmesh Prakash Gurdwara Sahib
साल 1984 में बना है दशमेश प्रकाश गुरुद्वारा साहिब.

गुरुद्वारा साहिब में पहुंचने का साधन: गुरुद्वारा तक अन्य किसी भी साधन से पहुंचना संभव नहीं है. महज ट्रैक्टर-ट्राली से ही गुरुद्वारे तक पहुंचा जा सकता है. गुरुद्वारे में एक नाव भी है. लेकिन वह तेजी से चलने की स्थिति में नहीं है. गुरुद्वारे में आसपास के गांवों के वह लोग पहुंच रहे हैं, जिनके घर में चूल्हा जलने की स्थिति नहीं है. ऐसे में प्रतिदिन करीब 200 लोगों की लंगर सेवा चल रही है.

'किसानों को बाढ़ से भारी नुकसान': यहीं पर स्वच्छ पेयजल व दूध भी उपलब्ध करवाया जा रहा है. बाबा मेहर सिंह का कहना है कि खेतों में फसल खराब होने से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है. गांवों में भी लोग बेहाल है. ऐसे में उनकी प्रशासन व सरकार से मांग है कि किसानों को जल्द मुआवजा प्रदान कराया जाए. गांवों में लोगों तक मदद पहुंचाई जाए.

ये भी पढ़ें: हरियाणा का 182 साल पुराना कब्रिस्तान, जहां दफन हैं ब्रिटिश साम्राज्य के सैनिक, अनदेखी से इतिहासकार नाराज

करनाल: हरियाणा के जिला करनाल में इंद्री के दर्जनों गांवों में जब हर तरफ बेशक पानी ही पानी है. लेकिन यहां पर लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि उनके लिए एक ऐसा ठिकाना है, जो पूरी तरह से बिल्कुल सुरक्षित है. जी हां, हम बात कर रहे हैं उस चमत्कारी गुरुद्वारे की जहां कभी भी यमुना का पानी नहीं पहुंचता है. नबियाबाद का यह चमत्कारी गुरुद्वारा लोगों को मुसीबत में पनाह देता है. जिन लोगों के घर डूब गए हैं या फिर जिनके घरों में पानी ही पानी घुस गया है उन गांव के सभी लोग यहां गुरुद्वारे में शरण लेकर रह रहे हैं.

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चमत्कारी गुरुद्वारा तक नहीं पहुंचा यमुना का पानी: दरअसल, पिछले दिनों हुई भारी बारिश से यमुना का जलस्तर काफी ज्यादा बढ़ गया है. जिसके चलते चारों ओर यमुना का तांडव नजर आ रहा है. ऐसे में नबियाबाद का इस गुरुद्वारे में यमुना नदी कभी प्रवेश नहीं करती. जबकि दर्जनों गांव यमुना के पानी से भरे हुए हैं और यमुना गुरु घर के द्वारा तक नहीं आई. गांव नबियाबाद के दशमेश प्रकाश गुरुद्वारा साहिब में आज तक पानी नहीं आया है.

बाढ़ प्रभावित लोगों ने गुरुद्वारा साहिब में ली शरण: सन 1984 से बने हुए इस गुरुद्वारा साहिब का यह इतिहास है. हालांकि यमुना नदी मात्र पचास फिट की दूरी पर है. लेकिन, फिर भी पानी गुरुद्वारा की चौखट तक नहीं पहुंचता है. मान्यता यह है की सुबह-शाम गुरु ग्रंथ साहिब जी के आगे अरदास करके लंगर का भोग लगाने के बाद यमुना माता को प्रसाद का भोग लगवाया जाता है. 24 घंटे गुरु की बानी चलती है और संगत गुरु का नाम जपती है. जिस कारण कहते हैं कि यमुना माता इस गुरुद्वारे में प्रवेश नहीं करती. जब गांवों में बाढ़ आती है, तब दर्जनों गांवों के लोग गुरुद्वारा साहिब में शरण लेते हैं और गुरुद्वारे की तरफ से लंगर की व्यवस्था लोगों के लिए की जाती है.

Dashmesh Prakash Gurdwara Sahib
गुरुद्वारा परिसर में प्रवेश नहीं करती यमुना.

क्या है इतिहास: स्वर्गीय संत बाबा जगदीश सिंह जी एक महान तपस्वी थे. सारी जिंदगी उन्होंने मानवता की भलाई की. बाबा जी ने अपने जीवन में बच्चों के लिए स्कूल खुलवाए उन्हें अच्छी शिक्षा दी. गरीबों के बच्चों की भलाई के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन लगा दिया. बताया जाता है कि यमुना के किनारे होते हुए भी आज तक गुरुद्वारा साहिब में यमुना का पानी कभी नहीं आया. आस-पास के गांव के हजारों लोग बाढ़ से बचने के लिए गुरुद्वारा साहिब में शरण लेते हैं. 24 घंटे गुरु का लंगर गुरुद्वारे में चलता रहता है और बाबा जी की याद में हर साल यह समागम करवाया जाता है.

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यमुना गुरुद्वारे में नहीं करती प्रवेश: इसे चमत्कार कहा जाए, या फिर कुछ और क्योंकि गुरुद्वारे के चारों ओर पानी देखा जा सकता है. लेकिन पानी गुरुद्वारे तक नहीं आया है. एक गुरुद्वारे से कुछ मीटर दूरी पर तेज बहाव में बहने वाली यमुना नदी हर साल मानसून के सीजन में अपना रौद्र रूप दिखाती है. फिर वह अपने मूल प्रवाह से हटकर हजारों एकड़ जमीन व कई गांवों को अपने आगोश में लेती है. लेकिन चंद मीटर दूर स्थित गुरुद्वारे की चौखट को यमुना नदी के पानी ने कभी पार नहीं किया. इस बार भी ऐसा ही हुआ है.

Dashmesh Prakash Gurdwara Sahib
चमत्कारी गुरुद्वारा में लोगों ने ली शरण.

यहां होती है लंगर सेवा: यमुना नदी करनाल जिले के इंद्री क्षेत्र के कई गांवों को अपने आगोश में ले चुकी है. पर गुरुद्वारे से चंद फीट दूरी से ही यमुना ने अपना रास्ता बदल लिया. अभी भी इस गुरुद्वारे में करीब 200 लोगों की लंगर सेवा की जा रही है. ये गुरुद्वारा है करनाल के इंद्री में स्थित नबियाबाद में और जो भी इसके आस पास के गांव थे, वो पानी के सैलाब की चपेट में आ गए थे.

Dashmesh Prakash Gurdwara Sahib
इतिहास में कभी यमुना के पानी ने गुरुद्वारे में नहीं किया प्रवेश.

गुरुद्वारा साहिब का इतिहास: नबियाबाद गुरुद्वारे की नींव 1984 में रखी गई थी. 1986 में बाबा मुखी जगदीश सिंह गुरुद्वारे में आए थे. उन्होंने गुरुद्वारे में भक्ति व सेवा कार्यों को आगे बढ़ाने का काम किया. उस समय यमुना गुरुद्वारे से करीब 3 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश की सीमा की ओर बहा करती थी. लेकिन 1988 में यमुना ने अपना रास्ता बदलकर हरियाणा की ओर कर लिया. जिसके बाद यमुना गुरुद्वारे के पास तक आ गई. तब लगा कि पानी गुरुद्वारे के अंदर जा सकता है.

यमुना नदी को लगाया जाता है भोग: वर्तमान संत बाबा मुखी मेहर सिंह बताते हैं, कि बाबा मुखी जगदीप सिंह ने अरदास (प्रार्थना) की थी कि गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश है. इसके बाद पानी गुरुद्वारे के अंदर नहीं गया था. उस समय से लेकर आज तक प्रतिदिन रोजाना दो बार लंगर प्रसाद से यमुना नदी में भोग लगाया जाता है. यहां से नदी शांति से बहती है. 12 जुलाई 1999 को बाबा जगदीश सिंह ने चोला त्याग दिया था. पिछले पांच दिन से गुरुद्वारे के चारों ओर पानी ही पानी था. अब पानी उतरने लगा है. गुरुद्वारे के साथ लगते गांव नबियाबाद, फिर गांव जपती छपरा, सैय्यद छपरा, हलवाना, नगली, कमालपुर गडरियान सहित कई गांव बाढ़ के पानी की चपेट में थे.

Dashmesh Prakash Gurdwara Sahib
साल 1984 में बना है दशमेश प्रकाश गुरुद्वारा साहिब.

गुरुद्वारा साहिब में पहुंचने का साधन: गुरुद्वारा तक अन्य किसी भी साधन से पहुंचना संभव नहीं है. महज ट्रैक्टर-ट्राली से ही गुरुद्वारे तक पहुंचा जा सकता है. गुरुद्वारे में एक नाव भी है. लेकिन वह तेजी से चलने की स्थिति में नहीं है. गुरुद्वारे में आसपास के गांवों के वह लोग पहुंच रहे हैं, जिनके घर में चूल्हा जलने की स्थिति नहीं है. ऐसे में प्रतिदिन करीब 200 लोगों की लंगर सेवा चल रही है.

'किसानों को बाढ़ से भारी नुकसान': यहीं पर स्वच्छ पेयजल व दूध भी उपलब्ध करवाया जा रहा है. बाबा मेहर सिंह का कहना है कि खेतों में फसल खराब होने से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है. गांवों में भी लोग बेहाल है. ऐसे में उनकी प्रशासन व सरकार से मांग है कि किसानों को जल्द मुआवजा प्रदान कराया जाए. गांवों में लोगों तक मदद पहुंचाई जाए.

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