करनाल: भारत एक कृषि प्रधान देश है. खेती-बाड़ी से संबंध रखने वाले किसान अपने पास पशु भी रखते हैं. उनसे कुछ लोग सिर्फ पशु पालन करते हैं. हमारा देश दूध के व्यवसाय में भी अग्रणी है. इसका आंकलन इस बात से लगा सकते हैं कि सिर्फ करनाल में साढ़े तीन लाख दुधारू पशुओं का पाला जाता है.
सर्दियों के दिनों में पशुपालकों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, क्योंकि सर्दियों में पशुओं की देखभाल ज्यादा करनी पड़ती हैं. उत्तरी भारत में जनवरी का महीना सबसे ठंडा महीना माना जाता है. ईटीवी भारत की टीम ने पशुपालकों की इस समस्या का हल जानने के लिए करनाल पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ धर्मेन्द्र से खास बातचीत की.
पशुओं को दें ताजा पानी-ताजा भोजन- डॉ. धर्मेंद्र
ईटीवी भारत की टीम से बातचीत के दौरान करनाल पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. धर्मेंद्र ने बताया कि सबसे पहले पशुपालकों को उनके चारे का सही तरीके से प्रबंधन करना चाहिए. उनको स्वच्छ और ताजा खाना ही देना चाहिए. इसके साथ ठंड के दिनों में पीने के लिए ताजा पानी ही देना चाहिए, ताकि वह ठंड से बचे रह सकें.
'पशुओं के बच्चों का ख्याल रखना ज्यादा जरूरी'
वहीं पशुओं के छोटे बच्चों को किसी बोरी या मोटे कपड़ों से ढक कर रखना चाहिए, जिससे उन पर सर्दी का प्रभाव ना पड़े. पशुओं के छोटे बच्चों पर सर्दी का प्रभाव ज्यादा होता है और वह जल्दी बीमार हो जाते हैं. इसलिए सर्दी से बचाव करने के लिए उनको विशेषकर रात के वक्त ढक कर रखना ज्यादा जरूरी.
'सर्दी लगने से पशु में दूध का कम उत्पादन हो जाता है'
डॉ धर्मेंद्र ने कहा कि पशुओं के बाड़े को किसी त्रिपाल से कवर करके रखना चाहिए. जिससे ठंड का प्रकोप कम रहे और सभी पशु बाड़े के अंदर एक कवर किए हुए स्थान पर रहे. उन्होंने कहा कि दुधारू पशुओं की खास देखभाल करना चाहिए, क्योंकि सर्दी के असर से दुधारू पशुओं पर काफी प्रभाव पड़ता है और उनके दूध का उत्पादन कम हो जाता है.
मुख्य बातें-
- पशुओं को खुली जगह में न रखें, ढके स्थानों में रखे.
- रोशनदान, दरवाजों और खिड़कियों को टाट/बोरे से ढंक दें.
- पशुबाड़े में गोबर और मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करे ताकि जलभराव न हो पाए.
- पशुबाड़े को नमी/सीलन से बचाएं और ऐसी व्यवस्था करें कि सूर्य की रोशनी पशुबाड़े में देर तक रहे.
- बासी पानी पशुओं को न पिलाए.
- बिछावन में पराली का प्रयोग करें.
- पशुओं को जूट के बोरे को ऐसे पहनाएं जिससे वे खिसके नहीं.
- गर्मी के लिए पशुओं के पास अलाव जला के रखें.
- नवजात पशु को खीस जरूर पिलाएं और गुड़ खिलाएं, इससे बीमारी से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है.
- प्रसव के बाद मां को ठंडा पानी न पिलाकर गुनगुना पानी पिलाएं.
- गर्भित पशु का विशेष ध्यान रखें व प्रसव में जच्चा-बच्चा को ढके हुए स्थान में बिछावन पर रखकर ठंड से बचाव करें.
दुधारू पशुओं को दें गुड़
डॉ. धर्मेंद्र ने कहा कि सर्दियों के दिनों में पशुओं के नीचे भूसे की तूड़ी बिछा देनी चाहिए. जिससे उनको नीचे से सर्दी कम लगे और वह आरामदायक तरीके से बैठ सके और ठंड से बचे रह सके. सभी पशुओं को ठंड में गुड़ जरूर देना चाहिए, क्योंकि गुड शरीर में गर्मी देने का काम करता है. पशुओं के छोटे बच्चों को भी गुड दिया जा सकता है.
कैसे पता चलेगा कि पशु को ठंड लग गई है?
डॉ. धर्मेंद ने कहा कि अगर पशु दो दिन बिना कुछ खाए पिए खड़ा है. सुस्त खड़ा है तो तुरंत किसी पशु चिकित्सक से संपर्क करें और उसका इलाज कराएं. ये सभी पशुओं में ठंड के प्रभाव को दिखाते हैं. ऐसे लक्षण पशुओं के लिए काफी घातक हैं.
उन्होंने कहा कि दुधारू पशुओं के छोटे बच्चे ठंड के प्रकोप को झेल नहीं पाते. बच्चे गंभीर बीमार हो जाते हैं. ठंड लगने से उनको दस्त लग सकते हैं और अगर सही तरीके से देखभाल न की जा सके तो उनकी मौत भी हो सकती है.