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अमेरिका-ईरान तनाव: बकाया भुगतान नहीं होने से राइस एसोसिएशन ने ईरान को चावल निर्यात रोका

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Published : Jan 17, 2020, 4:57 PM IST

Updated : Jan 17, 2020, 5:10 PM IST

तनाव की स्थिति को झेल रहे ईरान की मुश्किलें बढ़ सकती है. ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने फैसला लिया है कि वो अब ईरान को चावल निर्यात नहीं करेंगे.

karnal rice millers stop export rice to iran
करनाल चावल मिल की तस्वीर

करनाल: ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव ने व्यापार संगठन बना दिया है. ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ईरान को विशेषकर बासमती चावल के निर्यात को रोकने का निर्णय किया है.जब तक की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक निर्यात नही होगा. निर्यातक अपने भुगतान को लेकर परेशान हैं.

तीन इस्लामिक राष्ट्र (एयरिया) यानी ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने अग्रिम भुगतान या ऋण पत्र के खिलाफ चावल का निर्यात करने का फैसला किया है. चावल निर्यातकों ने कहा कि वे ईरान में लगभग 14 सौ करोड़ रुपए के भुगतान के बाद से कोई जोखिम नहीं लेंगे.

करनाल के व्यापारियों ने लिया ईरान को चावल निर्यात नहीं करने का फैसला, रिपोर्ट देखिए

भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा बाजार है जिसमें पूसा बासमती 1509 और पूसा 1121 शामिल है. उन्हें डर है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ यह चावल उत्पादकों और निर्यातकों दोनों को बुरी तरह से प्रभावित करेगा.

करनाल में बड़े पैमाने पर होता है चावल उत्पादन
हरियाणा में बासमती बड़े पैमाने पर करनाल और आसपास के जिलों में उगाया जाता है. 2019 में खरीफ सीजन में धान का रकबा करनाल जिले में 1.3 लाख मीट्रीक टन और इसमें लगभग 40% बासमती का था. करनाल जिले में लगभग 35 चावल निर्यातक है जो ईरान और अन्य देशों के साथ व्यापार करते हैं. करनाल देश का सबसे बड़ा चावल हब है.

निर्यातक और एयरिया के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि ईरान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार था. 2018-19 में भारत ने ईरान को बासमती चावल का 14 लाख मैट्रिक टन एलएमटी निर्यात किया, लेकिन 2019 के वित्तीय वर्ष में अब तक केवल 7 एमएलडी का निर्यात किया जा सका है.

स्थानीय बाजार पर ध्यान केंद्रित करने का लिया फैसला
अगले 3 महीनों में लगभग 7 एमएलटी चावल ईरान को निर्यात किया जाना था. ईरान की मौजूदा स्थिति के कारण हमें स्थानीय बाजार पर ध्यान केंद्रित करना होगा जिससे कीमतों में गिरावट हो सकती है. उन्होंने कहा कि संकट ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतों को भी प्रभावित किया है. हम ईरानी खरीदारों पर भरोसा करते हैं और व्यापार को जारी रखना चाहते हैं, लेकिन ईरान अमेरिका के बढ़ते तनाव के कारण एसोसिएशन ने चावल के निर्यात को तुरंत रोकने का अग्रिम भुगतान के खिलाफ चावल भेजने के लिए सलाह जारी की है.

ये भी पढ़िए: भिवानी में 11वीं एनसीसी हरियाणा बटालियन ने ली एनसीसी सर्टिफिकेट की परीक्षा

ईरान ने सिर्फ 40% भुगतान किया है
ईरान ने 12 सौ करोड़ रुपये के चावल आयात में से लगभग 40% भुगतान जारी किया है जो मई 2019 से अटका हुआ था. पिछले साल दिसंबर में लगभग 500 करोड़ रुपये चावल का इरान को निर्यात किया गया है. भारतीय निर्यातकों को ईरान से 14 सौ करोड़ रुपए प्राप्त करना बाकी है. हम अपने भुगतान के लिए सुरक्षा चाहते हैं.

करनाल: ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव ने व्यापार संगठन बना दिया है. ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ईरान को विशेषकर बासमती चावल के निर्यात को रोकने का निर्णय किया है.जब तक की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक निर्यात नही होगा. निर्यातक अपने भुगतान को लेकर परेशान हैं.

तीन इस्लामिक राष्ट्र (एयरिया) यानी ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने अग्रिम भुगतान या ऋण पत्र के खिलाफ चावल का निर्यात करने का फैसला किया है. चावल निर्यातकों ने कहा कि वे ईरान में लगभग 14 सौ करोड़ रुपए के भुगतान के बाद से कोई जोखिम नहीं लेंगे.

करनाल के व्यापारियों ने लिया ईरान को चावल निर्यात नहीं करने का फैसला, रिपोर्ट देखिए

भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा बाजार है जिसमें पूसा बासमती 1509 और पूसा 1121 शामिल है. उन्हें डर है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ यह चावल उत्पादकों और निर्यातकों दोनों को बुरी तरह से प्रभावित करेगा.

करनाल में बड़े पैमाने पर होता है चावल उत्पादन
हरियाणा में बासमती बड़े पैमाने पर करनाल और आसपास के जिलों में उगाया जाता है. 2019 में खरीफ सीजन में धान का रकबा करनाल जिले में 1.3 लाख मीट्रीक टन और इसमें लगभग 40% बासमती का था. करनाल जिले में लगभग 35 चावल निर्यातक है जो ईरान और अन्य देशों के साथ व्यापार करते हैं. करनाल देश का सबसे बड़ा चावल हब है.

निर्यातक और एयरिया के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि ईरान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार था. 2018-19 में भारत ने ईरान को बासमती चावल का 14 लाख मैट्रिक टन एलएमटी निर्यात किया, लेकिन 2019 के वित्तीय वर्ष में अब तक केवल 7 एमएलडी का निर्यात किया जा सका है.

स्थानीय बाजार पर ध्यान केंद्रित करने का लिया फैसला
अगले 3 महीनों में लगभग 7 एमएलटी चावल ईरान को निर्यात किया जाना था. ईरान की मौजूदा स्थिति के कारण हमें स्थानीय बाजार पर ध्यान केंद्रित करना होगा जिससे कीमतों में गिरावट हो सकती है. उन्होंने कहा कि संकट ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतों को भी प्रभावित किया है. हम ईरानी खरीदारों पर भरोसा करते हैं और व्यापार को जारी रखना चाहते हैं, लेकिन ईरान अमेरिका के बढ़ते तनाव के कारण एसोसिएशन ने चावल के निर्यात को तुरंत रोकने का अग्रिम भुगतान के खिलाफ चावल भेजने के लिए सलाह जारी की है.

ये भी पढ़िए: भिवानी में 11वीं एनसीसी हरियाणा बटालियन ने ली एनसीसी सर्टिफिकेट की परीक्षा

ईरान ने सिर्फ 40% भुगतान किया है
ईरान ने 12 सौ करोड़ रुपये के चावल आयात में से लगभग 40% भुगतान जारी किया है जो मई 2019 से अटका हुआ था. पिछले साल दिसंबर में लगभग 500 करोड़ रुपये चावल का इरान को निर्यात किया गया है. भारतीय निर्यातकों को ईरान से 14 सौ करोड़ रुपए प्राप्त करना बाकी है. हम अपने भुगतान के लिए सुरक्षा चाहते हैं.

Intro:अमेरिका और ईरान की तनावपूर्ण स्थिति के चलते ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने लिया फैसला, 14 करोड रुपए बकाया भुगतान के चलते नहीं करेंगे ईरान को चावल निर्यात, जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक तीन इस्लामिक देशों को नहीं होगा चावल निर्यात ।


Body:ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव ने व्यापार संगठन बना दिया है । ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ईरान को विशेषकर बासमती चावल के निर्यात को रोकने का निर्णय किया है ।जब तक की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक निर्यात नही होगा । निर्यातक अपने भुगतान को लेकर परेशान है । तीन इस्लामिक राष्ट्र (एयरिया) यानी ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने अग्रिम भुगतान या ऋण पत्र के खिलाफ चावल का निर्यात करने का फैसला किया है । चावल निर्यातकों ने कहा कि वे ईरान में लगभग 14 करोड रुपए के भुगतान के बाद से कोई जोखिम नहीं लेंगे । जो भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा बाजार है जिसमें पूसा बासमती 1509 और पूसा 1121 शामिल है । उन्हें डर है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ यह चावल उत्पादकों और निर्यातको दोनों को बुरी तरह से प्रभावित करेगा । हरियाणा में बासमती बड़े पैमाने पर करनाल और आसपास के जिलों में उगाया जाता है ।2019 में खरीफ सीजन में धान का रकबा करनाल जिले में 1.3 लाख तथा इसमें लगभग 40% बासमती का था । करनाल जिले में लगभग 35 चावल निर्यातक है जो ईरान और अन्य देशों के साथ व्यापार करते हैं ।करनाल देश का सबसे बड़ा चावल हव है ।




Conclusion: निर्यातक और एयरिया के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि ईरान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार था । 2018 19 में भारत ने ईरान को बासमती चावल का 14 लाख मैट्रिक टन एलएमटी निर्यात किया लेकिन 2019 के वित्तीय वर्ष में अब तक केवल 7 एमएलडी का निर्यात किया जा सका है अगले 3 महीनों में लगभग 7 एमएलटी चावल ईरान को निर्यात किया जाना था । ईरान की मौजूदा स्थिति के कारण हमें स्थानीय बाजार पर ध्यान केंद्रित करना होगा जिससे कीमतों में गिरावट हो सकती है ।उन्होंने कहा कि संकट ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतों को भी प्रभावित किया है । हम ईरानी खरीदारों पर भरोसा करते हैं और व्यापार को जारी रखना चाहते हैं लेकिन ईरान अमेरिका के बढ़ते तनाव के कारण एसोसिएशन ने चावल के निर्यात को तुरंत रोकने का अग्रिम भुगतान के खिलाफ चावल भेजने के लिए सलाह जारी की है । ईरान ने 12 सो करोड़ रुपए के चावल आयात में से लगभग 40% भुगतान जारी किया है जो मई 2019 से अटका हुआ था । पिछले साल दिसंबर में लगभग ₹500 करोड़ चावल का इरान को निर्यात किया गया है ।भारतीय निर्यातकों को ईरान से 14 सौ करोड रुपए प्राप्त करना बाकी है । हम अपने भुगतान के लिए सुरक्षा चाहते हैं ।

बाईट - विजय सेतिया - एक्स ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन प्रेसिडेंट
वाक थ्रू
Last Updated : Jan 17, 2020, 5:10 PM IST
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