करनाल: हरियाणा में जल्द ही मानसून (Mansoon in Haryana) का असर देखने को मिलेगा. इन मानसून के सुहावने दिनों का हर शख्स को इंतजार रहता है, लेकिन बारिश के बाद इन बड़े शहरों में नर्क से भी बदतर हालात बन जाते हैं. जलभराव की वजह से सड़कें पानी से लबा-लब (Water Logging) हो जाती हैं. गलियों में पानी भर जाता है. ये पानी महीनों तक जमा रहता है, जिससे इलाके में बीमारियां पनपने लगती है और इन सब की मुख्य वजह है शहरों में खराब सीवरेज व्यवस्था.
हरियाणा में भी हर साल मानसून में जलभराव की समस्या सामने आती है. ऐसे में ईटीवी भारत हरियाणा की टीम करनाल जिले में मानसून से पहले शहर की सीवरेज व्यवस्था (Sewage water) की तैयारियों की पड़ताल करने पहुंची. सबसे पहले हम शहर के उन इलाकों में गए, जो जल भराव से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
हर साल होते हैं बाढ़ जैसे हालात- ग्रामीण
गांव बड़थल के रहने वाले संदीप का कहना है कि वो बारिश के दिनों में सबसे ज्यादा परेशान हो जाते हैं. जलभराव की वजह से सड़क पर पैदल चलना मुश्किल हो जाता है, महीनों तक ऐसी स्थिति बनी रहती है, क्योंकि प्रशासन ने जल निकासी की कोई प्लानिंग नहीं की है. इतना ही नहीं ओवरफ्लो की वजह से खेतों में पानी भर जाता है. जिस वजह से उनकी फसल तक भी खराब हो जाती है.
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सभी काम बस कागजों तक सीमित रहते हैं- ग्रामीण
वहीं गांव पिंगली के निवासी कुलदीप का कहना है कि गांव में जितने भी ड्रेन या नाले हैं. किसी की भी सफाई नहीं करवाई जा रही, सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहता है. हर साल नाले भर जाते हैं और उनका पानी ओवरफ्लो (Overflow of Drainages) होकर खेतों में भर जाता है. बरसात के दिनों में उनको भारी अव्यवस्था का सामना करना पड़ता है.
हर साल साफ होते हैं नाले और ड्रेन- निगम कमिश्नर
स्थानीय लोगों का साफ कहना है कि सरकार और प्रशासन कागजों पर काम दिखा कर आम लोगों को उनके हालात पर छोड़ देती है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि हर साल वो मानसून से पहले सभी नाले, मेनहोल, सीवरेज ओर ड्रैनों को साफ करवाते हैं. ईटीवी भारत की टीम से नगर निगम के कमिश्नर मनोज कुमार ने बताया कि हमने सभी अधिकारियों को विशेष रुप से हिदायत दे रखी है कि इस महीने में अपने बारिश से संबंधित सभी व्यवस्था को पूरा कर ले.
कभी किसी कर्मचारी की नहीं गई जान- निगम कमिश्नर
निगम के कमिश्नर मनोज कुमार ने बताया कि जिले में सभी बड़ी ड्रैन नाले की सफाई का काम चल रहा है. नगर निगम के पास कुछ मशीनें हैं जिनसे हम सफाई करते हैं, चाहे वह सीवरेज हो या कोई मेनलाइन जहां से पानी की निकासी होती है और अभी तक करनाल में कोई ऐसा हादसा नहीं हुआ कि किसी नाले सीवरेज की सफाई करते हुए किसी कर्मचारी को चोट लगी हो या किसी की जान गई हो.
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इंद्रजीत कुमार करनाल नगर निगम के प्रधान हैं. इंद्रजीत ने हमारी टीम से बातचीत में निगम कमिश्नर की कर्मचारियों की सुरक्षा के बयान का खंडन किया. इंद्रजीत बताते हैं कि उनके जितने भी कर्मचारी सीवरेज और नाले की सफाई करते हैं. किसी को भी सुरक्षा के लिहाज से कोई भी समान नगर निगम की तरफ से नहीं दिया जाता. जो बयान निगम कमिश्नर की तरफ से दिया गया है वो उसकी आलोचना करते हैं कि वह झूठ बोल रहे हैं.
'मशीनों के बावजूद सफाई कर्मचारी करते हैं सीवरेज साफ'
वहीं जब इस बारे में हमने करनाल सफाई कर्मचारी संघ की प्रदेश सचिव शारदा से बात की तो उन्होंने कहा कि नगर निगम के पास काफी मशीनें तो आई हुई हैं, लेकिन वो सिर्फ खड़ी हैं. आज भी सफाई कर्मचारियों से ही ड्रैन में सफाई का काम करवाया जा रहा है और यह काम भी उनकी जान को जोखिम में डालकर करवाया जा रहा है.
जरा सोचिए जब निगम और कर्मचारियों के बयानों में ही तालमेल नहीं है, तो व्यवस्थाओं में तालमेल कैसे बन सकता है. ये हालात आज के नहीं है. हर साल जिले भर में कई कालॉनियों जलभराव की समस्या से जूझती हैं, जल निकासी वाले कैनाल में सफाई नहीं होने की वजह से सैकड़ों गांवों में पानी भर जाता है और शहरों से कनेक्शन कट जाता है, लेकिन हर बार प्रशासन अपना पल्ला झाड़ लेता है, लेकिन झेलना तो आम जन को पड़ता है.
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