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केंद्र ने बढ़ाई खरीफ की MSP तो हरियाणा के किसान बोले, भरोसा नहीं, आंदोलन कमजोर करना चाहती है सरकार

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Published : Jun 10, 2021, 8:27 PM IST

केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों पर एमएसपी में बढ़ोतरी (Kharif Crops MSP Increased) की है. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने किसानों से सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया ली. जानें किसानों ने क्या कहा.

Haryana Farmers
Haryana Farmers

करनाल/पानीपत: केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों (Kharif Crops) की एमएसपी (Minimum Support Price) में बढ़ोतरी की है. धान की एमएसपी (Paddy MSP) पहले 1868 रुपये प्रति क्विंटल थी. सरकार ने अब उसे बढ़ाकर 1940 रुपये कर दिया गया है. वहीं बाजारा की एमएसपी (Millet MSP) में सौ रुपये की बढ़ोतरी की है. बाजरा अब 2250 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी पर बिकेगा. सरकार ने तिल की फसल में 452 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है.

ये भी पढ़ें- केंद्र ने खरीफ फसलों पर बढ़ाई MSP, ओपी धनखड़ ने जताया आभार

सरकार के इस फैसले पर हरियाणा के किसानों में मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. करनाल के भीम सिंह नाम के किसान ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में बताया कि अच्छी बात है कि सरकार ने खरीफ की फसलों पर एमएसपी बढ़ाया (Kharif Crops MSP Increased) है. किसान भीम सिंह ने कहा कि जो फसलें पहले भी एमएसपी में शामिल हैं, हमें उनका भी एमएसपी मूल्य पूरा नहीं मिल पाता. कभी नमी के नाम पर, कभी किसी और के नाम पर हमारा पैसा काटा जाता है.

खरीफ की फसल पर बढ़े MSP पर किसानों की प्रतिक्रिया. क्लिक कर देखें.

किसानों ने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए. किसानों ने कहा कि हो सकता है कि एमएसपी बढ़ाकर सरकार किसान आंदोलन (Farmers Agitation) को कमजोर करना चाहती हो. किसानों ने साफ किया कि जब तक उन्हें लिखित में एमएसपी का आश्वासन नहीं मिल जाता और तीनों कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.

'किसान आंदोलन के चलते दिखावा कर रही सरकार'

किसान जितेंद्र ने कहा कि सरकार सिर्फ किसान आंदोलन (Farmers Agitation) के चलते एक दिखावा कर रही है. पहले जो एमएसपी तय किया गया है. उसका पूरा लाभ किसानों को नहीं मिल पाता. किसी ना किसी चीज में कटौती की जाती है. उन्होंने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को कमजोर करना चाहती है. इन छोटी-मोटी बातों से किसान आंदोलन कमजोर पड़ने वाला नहीं है. किसान ओम प्रकाश ने कहा कि अच्छी बात है कि सरकार ने खरीफ की फसलों पर एमएसपी बढ़ाई है, लेकिन उन्हें सरकार पर भरोसा नहीं है. ओम प्रकाश ने कहा कि जब तक सरकार उन्हें लिखित में एमएसपी का आश्वासन नहीं देती. तबतक उनका आंदोलन जारी रहेगा.

ये भी पढ़ें- केंद्र सरकार ने बढ़ाई खरीफ फसलों की MSP, यहां देखें रेट लिस्ट

ईटीवी भारत की टीम ने जब पानीपत के किसानों से बातचीत की तो शमशेर नाम के किसान ने इसे शर्मनाक बताया. शमशेर ने कहा कि हमें एमएसपी नहीं बल्कि तीनों कानून रद्द चाहिए. क्योंकि एमएसपी पर कभी उनकी फसल बिकी ही नहीं तो फायदा क्या. धान की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (Paddy Crop Minimum Support Price) 70 रुपये बढ़ाया है. वहीं खेतों में इस्तेमाल होने वाले यूरिया खाद के 40 किलो के कट्टे पर 100 रुपये की बढ़ोतरी की है. ये सरकार ने किसानों के साथ मजाक किया है. आंदोलन के सवाल पर किसान ने कहा कि उनका आंदोलन पहले की तरह की जारी रहेगा.

जानें किसान नेता गुरनाम चढूनी ने क्या कहा?

खरीफ की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) की वृद्धि पर किसान नेता गुरनाम चढूनी (Gurnam chadhuni farmers leader) ने कहा कि ये वृद्धि ऊंट के मुंह में जीरा है. सरकार ने एमएसपी में मात्र 3% की वृद्धि की है. उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने पर किसान आंदोलन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. किसान सरकार के बहकावे में आने वाला नहीं है.

करनाल/पानीपत: केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों (Kharif Crops) की एमएसपी (Minimum Support Price) में बढ़ोतरी की है. धान की एमएसपी (Paddy MSP) पहले 1868 रुपये प्रति क्विंटल थी. सरकार ने अब उसे बढ़ाकर 1940 रुपये कर दिया गया है. वहीं बाजारा की एमएसपी (Millet MSP) में सौ रुपये की बढ़ोतरी की है. बाजरा अब 2250 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी पर बिकेगा. सरकार ने तिल की फसल में 452 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है.

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सरकार के इस फैसले पर हरियाणा के किसानों में मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. करनाल के भीम सिंह नाम के किसान ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में बताया कि अच्छी बात है कि सरकार ने खरीफ की फसलों पर एमएसपी बढ़ाया (Kharif Crops MSP Increased) है. किसान भीम सिंह ने कहा कि जो फसलें पहले भी एमएसपी में शामिल हैं, हमें उनका भी एमएसपी मूल्य पूरा नहीं मिल पाता. कभी नमी के नाम पर, कभी किसी और के नाम पर हमारा पैसा काटा जाता है.

खरीफ की फसल पर बढ़े MSP पर किसानों की प्रतिक्रिया. क्लिक कर देखें.

किसानों ने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए. किसानों ने कहा कि हो सकता है कि एमएसपी बढ़ाकर सरकार किसान आंदोलन (Farmers Agitation) को कमजोर करना चाहती हो. किसानों ने साफ किया कि जब तक उन्हें लिखित में एमएसपी का आश्वासन नहीं मिल जाता और तीनों कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.

'किसान आंदोलन के चलते दिखावा कर रही सरकार'

किसान जितेंद्र ने कहा कि सरकार सिर्फ किसान आंदोलन (Farmers Agitation) के चलते एक दिखावा कर रही है. पहले जो एमएसपी तय किया गया है. उसका पूरा लाभ किसानों को नहीं मिल पाता. किसी ना किसी चीज में कटौती की जाती है. उन्होंने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को कमजोर करना चाहती है. इन छोटी-मोटी बातों से किसान आंदोलन कमजोर पड़ने वाला नहीं है. किसान ओम प्रकाश ने कहा कि अच्छी बात है कि सरकार ने खरीफ की फसलों पर एमएसपी बढ़ाई है, लेकिन उन्हें सरकार पर भरोसा नहीं है. ओम प्रकाश ने कहा कि जब तक सरकार उन्हें लिखित में एमएसपी का आश्वासन नहीं देती. तबतक उनका आंदोलन जारी रहेगा.

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ईटीवी भारत की टीम ने जब पानीपत के किसानों से बातचीत की तो शमशेर नाम के किसान ने इसे शर्मनाक बताया. शमशेर ने कहा कि हमें एमएसपी नहीं बल्कि तीनों कानून रद्द चाहिए. क्योंकि एमएसपी पर कभी उनकी फसल बिकी ही नहीं तो फायदा क्या. धान की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (Paddy Crop Minimum Support Price) 70 रुपये बढ़ाया है. वहीं खेतों में इस्तेमाल होने वाले यूरिया खाद के 40 किलो के कट्टे पर 100 रुपये की बढ़ोतरी की है. ये सरकार ने किसानों के साथ मजाक किया है. आंदोलन के सवाल पर किसान ने कहा कि उनका आंदोलन पहले की तरह की जारी रहेगा.

जानें किसान नेता गुरनाम चढूनी ने क्या कहा?

खरीफ की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) की वृद्धि पर किसान नेता गुरनाम चढूनी (Gurnam chadhuni farmers leader) ने कहा कि ये वृद्धि ऊंट के मुंह में जीरा है. सरकार ने एमएसपी में मात्र 3% की वृद्धि की है. उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने पर किसान आंदोलन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. किसान सरकार के बहकावे में आने वाला नहीं है.

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