करनाल: भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप की शुक्रवार को करनाल में बैठक हुई. ये बैठक कई घंटों तक चली. ये मीटिंग 26 नवंबर को आंदोलन (farmers protest) के एक साल पूरा होने पर आगे की रणनीति बनाने को लेकर की गई. इस बैठक की अध्यक्षता भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी (gurnam singh charuni) ने की. बैठक में फैसला लिया गया कि 24 नवंबर को सांपला में सर छोटू राम की स्मृति के आगे पुष्प अर्पित करके उन्हें श्रद्धांजलि देंगे. उसके बाद 25 नवंबर को मोड़ा अनाज मंडी अम्बाला से एक पैदल यात्रा की शुरुआत की जाएगी जिसका नाम शहीद किसान सम्मान यात्रा होगा.
ये यात्रा मोड़ा अनाज मंडी अम्बाला से शुरू होकर पानीपत, रोहतक होते हुए टिकरी बॉर्डर पर जाएगी. वहां जाकर ये फैसला लिया जाएगा कि किसान चाहे, वो पंजाब का हो या हरियाणा का, वो कर्जा नहीं भरेगा. किसान कर्जा तब तक नहीं भरेगा जब तक किसानों की मांगें नहीं नाम ली जाती और आंदोलन खत्म नहीं हो जाता. किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने साफ कहा कि हम किसी भी कीमत पर किसानों की जमीन नीलाम नहीं होने देंगे.
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वहीं उन्होंने कहा कि टिकरी बॉर्डर पर हमारी ये यात्रा 5 दिसम्बर को पहुंचेगी. साथ ही उन्होंने हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज के उस बयान पर पलटवार किया जिसमें उन्होंने कहा कि ये किसान नेता किसान हितेषी नहीं है क्योंकि इतने लंबे समय से किसानों को यहां बैठा रखा है और किन्हीं अज्ञान कारणों से बातचीत नहीं कर रहे. गुरनाम सिंह ने कहा कि ये अनिल विज हीरो बन रहे हैं, गुमराह कर रहे हैं, अगर सरकार लायक थी तो 11 दौर में कोई हल क्यों नहीं निकाला. हमने तो अभी भी बातचीत से इनकार नहीं किया.
उन्होंने कहा कि अनिल विज सरकार से बातचीत करके हमें वक्त दे दें. साथ ही चढूनी ने गृहमंत्री अनिल विज के उस बयान पर भी हमला किया जिसमें अनिल विज ने कहा था कि किसानों को अपना नेतृत्व बदल लेना चाहिए. इस पर चढूनी ने कहा कि बीजेपी को अपना नेतृत्व बदलने की जरूरत है. बता दें कि, किसान आंदोलन के पूरा होने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने 29 नवंबर से संसद सत्र के अंत तक 500 चयनित किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियों में हर दिन शांतिपूर्ण और पूरे अनुशासन के साथ संसद कूच करने का एलान किया है.
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गौरतलब है कि 26 नवंबर 2020 को हरियाणा और पंजाब के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे और उनको दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के विरोध में विरोध करने जाना था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सोनीपत में कुंडली सिंघु बॉर्डर, झज्जर जिले के टिकरी बॉर्डर और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोक दिया. इसके बाद किसान संगठनों ने फैसला लिया कि दिल्ली की सीमाओं पर ही किसान अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे, तब से आज तक किसान संगठन मोर्चे पर डटे हुए हैं.
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