करनाल: एक इंसान के लिए उसकी ज्ञान इंद्रियां बेहद जरूरी होती हैं. देखने, महसूस करने, सूंघने और सुनने की ताकत एक इंसान को पूरा उसके पूर्ण होने का एहसास करवाता है, लेकिन किसी वजह से कुछ लोग इन ताकतों से वंचित रह जाते हैं, लेकिन आज साइंस उन के लिए वरदान साबित हो रहा है.
इस कार्यक्रम का मकसद लोगों को जागरूक करना था. इस कार्यक्रम में जोर दिया गया कि सभी नवजात शिशुओं की सुनने की क्षमता की जांच जन्म के समय ही की जानी जरूरी है. ऐसा करने से समय रहते ही ताकी बच्चे को होने वाले बहरेपन की समस्या को वक्त से पहले ही खत्म कर दिया जाए.
सभी को होना चाहिए सुनने का अधिकारी- ब्रेट ली
ब्रेट ली ने इस मौके पर कहा कि सुनना हर व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है. न्यूबॉर्न हियरिंग स्क्रीनिंग के बारे में सभी को जागरूक होना चाहिए. बहरेपन की समस्या के साथ जीवन दुखदाई है. इस समस्या को सुलझाने के लिए स्टेट गवर्नमेंट को साथ देना चाहिए. जागरूकता कैंप लगाने चाहिए और गरीब लोगों को सरकारी मदद मिलने चाहिए. इसमें आईएम में भी सहयोग कर सकती है.
'जन्म से पहले ही बच्चों की हियंरिंग पावर की हो जांच'
करनाल मेडिकल सेंटर के संयोजक डॉ. संजय खन्ना ने बताया कि जन्म के समय ही नवजात शिशु की सुनने की क्षमता की जांच होना महत्वपूर्ण है. इस कार्यक्रम के तहत सभी नवजात शिशुओं की जन्म के समय ही जांच की जाएगी. हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को यूएचएस के बारे में जागरूक करना चाहते हैं और मानते हैं कि बाल रोग विशेषक और अन्य सभी डॉक्टर जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. हम सभी राज्य सरकारों से अनुरोध करते हैं कि नवजात शिशुओं की सुनने की क्षमता की जांच जन्म के समय ही कराने पर जोर दिया जाए. बहरेपन की समस्या के खिलाफ इस लड़ाई में हमें सहयोग मिले और देश का भविष्य स्वस्थ खुशहाल रहेगा.
प्रदेश में 11 लाख बच्चे सुनने में हैं असक्षम
वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया में बहरेपन की समस्या से पीड़ित 466 मिलीयन लोगों में से 34 मिलियन बच्चे हैं, केवल हरियाणा में ही 11 लाख से अधिक लोग बहरेपन की समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में बच्चों में बढ़ते बहरेपन की समस्या को जन्म से पहले ही रोकना बेहद जरूरी हो गया है.