करनालः किसानों का सिर फोड़ने के आदेश देने वाले एसडीएम आयुष सिन्हा पर कार्रवाई (Demand for action on SDM) का मामला गरमा गया है, किसान करनाल के लघु सचिवालय (Mini Secretariat Karnal) के बाहर पक्का मोर्चा बनाकर बैठ गए हैं और वहां सिंघू बॉर्डर जैसा माहौल बन गया है. लेकिन इस सबके बाद भी सरकार टस से मस होने को तैयार नहीं है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तमाम दबाव के बावजूद अभी तक आईएएस आयुष सिन्हा (SDM Ayush Sinha) पर कोई कार्रवाई नहीं की है.
इसके पीछे की वजह आखिर क्या है? आखिर क्यों मनोहर लाल एक अधिकारी के लिए किसानों के सामने खड़े दिख रहे हैं? इस पर राजनीति के जानकार मानते हैं कि आयुष सिन्हा (SDM Ayush Sinha) पर कार्रवाई ना करने के कई कारण हैं जिनमें से पांच बड़े कारण हम आपको यहां बता रहे हैं. सबसे पहला और बड़ा कारण तो ये है कि अगर आयुष सिन्हा पर मनोहर लाल ने कार्रवाई की तो अधिकारियों के बीच गलत संदेश जाएगा और आगे से वो किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकिचा सकते हैं.
दूसरा बड़ा कारण ये है कि अगर सीएम मनोहर लाल ने आयुष सिन्हा पर कार्रवाई की तो जनता में संदेश जाएगा कि सरकार किसानों से घबरा रही है. आयुष सिन्हा पर कार्रवाई ना करने का तीसरा कारण है कि इससे किसानों के हौसले और बुलंद हो जाएंगे, अगर भविष्य में फिर से किसानों पर किसी अधिकारी ने इस तरह से कार्रवाई की तो वो लामबंद होंगे, जो सरकार के लिए ही चिंता बढ़ाएगा.
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चौथा बड़ा कारण ये है कि आयुष सिन्हा के पीछे सबसे पहले गुरनाम चढ़ूनी पड़े थे और सरकार लगातार ये बोलती रही है कि गुरनाम चढ़ूनी एक आढ़ती हैं और राजनीतिक फायदे के लिए किसानों का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ऐसे में कार्रवाई करने से एक तरीके से गुरनाम चढ़ूनी की जीत मानी जाएगी, जो मनोहर लाल कतई नहीं चाहते. पांचवा और बड़ा कारण ये है कि किसान कहीं भी बीजेपी नेताओं के कार्यक्रम नहीं होने दे रहे, ना ही वो सरकार के किसी नुमाइंदे को विकास कार्यों के उद्घाटन या शिलान्यास करने दे रहे हैं.
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यहां तक कि सीएम का हेलिपैड भी एक बार किसानों ने उखाड़ दिया था. और जब आयुष सिन्हा ने किसानों का सिर फोड़ने का आदेश दिया था तब भी सीएम का ही कार्यक्रम था. सरकार लगातार ये कहती रही है कि किसानों का ये विरोध सही नहीं है लेकिन अगर आयु सिन्हा पर कार्रवाई कर दी तो जनता के बीच ये संदेश जाएगा कि किसान जो कर रहे हैं वो सही है. जो सरकार के लिए आगे मुश्किलें और बढ़ाएगा.
अब आपको ये भी बता दें कि आखिर ये पूरा विवाद है क्या, दरअसल बीते दिनों सीएम का एक कार्यक्रम करनाल में था जिसका विरोध किसान कर रहे थे, इसकी सुरक्षा का जिम्मा तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के हाथों में था. उसी वक्त का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें आयुष सिन्हा कहते दिख रहे हैं कि जो भी किसान यहां आने की कोशिश करे उसका सिर फोड़ देना, इसी पर किसान भड़के हुए हैं. और करनाल लघु सचिवालय के बाहर धरना दे रहे हैं, जिसमें राकेश टिकैत भी शामिल हुए थे.
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किसानों की मांगें: इससे पहले 28 अगस्त को हुए लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने तीन मांगें सरकार के सामने रखी थी. पहली मांग ये है कि एसडीएम सहित जिन सरकारी अधिकारियों ने लाठीचार्ज किया था, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो. दूसरी मांग ये है कि जिस किसान की मौत हुई है, उसके परिवार को 25 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए. तीसरी मांग ये है कि पुलिस की लाठीचार्ज से घायल हुए सभी किसानों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए. इन तीनों मांगों को मानने के लिए किसानों ने सरकार को 6 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन सरकार ने इन मांगों को मानने से साफ इनकार कर दिया था.