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ट्रेंच विधि से करें गन्ने की खेती, कम लागत में कमाएं ज्यादा मुनाफा

ट्रेंच विधि में विशेष प्रकार के औजार यानी ट्रेंच ओपनर से 17 से 20 सेमी. गहरा और 30 सेमी चौड़ा गड्ढा किया जाता है, दूसरी विधियों से गन्ना बुवाई करने में चार से पांच बार गन्ना होता है. लेकिन इस विधि से गन्ना लगाने पर दस से पंद्रह बार गन्ना हो सकता है.

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Published : Dec 4, 2019, 2:43 PM IST

Updated : Dec 4, 2019, 2:50 PM IST

trench method
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करनालः भारत एक कृषि प्रधान देश है, वहीं हरियाणा राज्य में भी एक बड़ी आबादी खेती पर ही निर्भर है. लेकिन किसान खेती में बढ़ती लागत और कम मुनाफा से परेशान है. युवा पीढ़ी तो खेती करना ही नहीं चाहती है. क्योंकि खेती को अब घाटे का सौदा मान लिया गया है और युवा खेती किसानी को छोड़कर नौकरी ही करना चाहता है.

ट्रेंच विधि से करें खेती
लेकिन ऐसे ही किसानों और युवाओं को राह दिखा रहे हैं. करनाल के कमालपुर रोड़ान गांव के किसान इंद्रजीत सिंह. इंद्रजीत सिंह साल 2006 से ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती कर रहे हैं और खेत में गन्ने के साथ ही दूसरी फसलें उगाकर ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. इंद्रजीत सिंह के पास करीब 35 एकड़ जमीन है, जिसमें उन्होंने गन्ने की खेती कर रखी है. लेकिन इनमें से करीब 12 एकड़ जमीन पर ट्रेंच विधि से खेती की गई है.
इंद्रजीत सिंह का कहना है कि पहले वो परंपरागत खेती करते थे. लेकिन बाद में गन्ना प्रजनन संस्थान करनाल में ट्रेनिंग लेकर इंद्रजीत सिंह ने ट्रेंच विधि से खेती करनी शुरू की. ट्रेंच विधि से होने वाली खेती में पौधे को खेत में ट्रांसप्लांट किया जाता है.

ट्रेंच विधि में विशेष प्रकार के औजार यानी ट्रेंच ओपनर से 17 से 20 सेमी. गहरा और 30 सेमी चौड़ा गड्ढा किया जाता है, दूसरी विधियों से गन्ना बुवाई करने में चार से पांच बार गन्ना होता है. लेकिन इस विधि से गन्ना लगाने पर दस से पंद्रह बार गन्ना हो सकता है.

ट्रेंच विधि से करें गन्ने की खेतीः कम लागत में लें, ज्यादा मुनाफा, देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ेंः- फेसबुक फ्रेंड से मिलने पाकिस्तान पहुंची रोहतक की सिख युवती, पाक रेंजरों ने भारत को सौंपा

खेत में गन्ने के पौधों को किया जाता है ट्रांसप्लांट
इसके लिए गन्ने की पौध को सबसे पहले जर्मीनेट किया जाता है. पौध जब एक-डेढ़ महीने की हो जाती है, तब किसी भी ऋतु में इसको खेत में लगाया जा सकता है. इसी विधि से उगाई जाने वाली गन्ने की पौध को जुलाई महीने में भी लगाया जा सकता है. नवंबर और दिसंबर में भी गन्ने की पौध को लगा सकते हैं. केवल एक महीने जनवरी में छोड़ा रुकना पड़ता है क्योंकि ठंड तब ज्यादा होती है. गन्ने की पौध को खेत में जाकर ट्रांसप्लांट करना है और खेत में लगने के बाद पौधा अपनी ग्रोथ लेना शुरू कर देता है. इस विधि द्वारा दो या 3 क्विंटल बीज में पौध तैयार हो जाती है. पौध तैयार करने के बाद पांच हजार से लेकर 55 सौ के करीब पौधे एक एकड़ खेत में लगते हैं. जिसमे पौधे से पौधे की दूरी 5 फुट 2 इंच होती है और उसी के साथ हम दूसरी फसल भी ली जाती है.

परंपरागत खेती की तुलना में ज्यादा पैदावार
इस विधि से गन्ना लगाने से गन्ने की ज्यादा पैदावार होती है. परंपरागत विधि से जहां गन्ने की उपज 600-800 किवंटल प्रति हेक्टेयर होती है, वहीं ट्रेंच विधि से गन्ने की उपज 1200-2400 किवंटल प्रति हेक्टेयर ली जा सकती है.

कम लागत में होती है खेती
ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती के दौरान गन्ने के साथ ही अलग-अलग तरह की फसलें भी एक ही खेत में लगाई जा सकती हैं और उत्पादन भी काफी अच्छा मिलता है. ट्रेंच विधि से गन्ने की लम्बाई भी ज्यादा बढ़ती है. गन्ना कभी भी हवा या आंधी में नहीं गिरता, क्योंकि इस विधि से गन्ने की खेती में गन्ने की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाई जाती है, जिससे जड़ों की मजबूती बनी रहती है और गन्ने की बधाई भी नहीं की जाती है.
इस विधि से खेती करने में पानी की बचत के साथ-साथ जो किसानों के दूसरे खर्च भी कम आते हैं. परंपरागत खेती में किसान गन्ना लगाने के बाद निराई-गुड़ाई कराता है तो उसमें भी काफी खर्च आता है. लेकिन ट्रेंच विधि की खेती में निराई-गुड़ाई की कोई जरुरत नहीं है.

ये भी पढ़ेंः- 1 रुपये में कर्मचारी करते हैं पोस्टमॉर्टम का काम, कांट-छांट करने के लिए पीनी पड़ती है शराब

करनालः भारत एक कृषि प्रधान देश है, वहीं हरियाणा राज्य में भी एक बड़ी आबादी खेती पर ही निर्भर है. लेकिन किसान खेती में बढ़ती लागत और कम मुनाफा से परेशान है. युवा पीढ़ी तो खेती करना ही नहीं चाहती है. क्योंकि खेती को अब घाटे का सौदा मान लिया गया है और युवा खेती किसानी को छोड़कर नौकरी ही करना चाहता है.

ट्रेंच विधि से करें खेती
लेकिन ऐसे ही किसानों और युवाओं को राह दिखा रहे हैं. करनाल के कमालपुर रोड़ान गांव के किसान इंद्रजीत सिंह. इंद्रजीत सिंह साल 2006 से ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती कर रहे हैं और खेत में गन्ने के साथ ही दूसरी फसलें उगाकर ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. इंद्रजीत सिंह के पास करीब 35 एकड़ जमीन है, जिसमें उन्होंने गन्ने की खेती कर रखी है. लेकिन इनमें से करीब 12 एकड़ जमीन पर ट्रेंच विधि से खेती की गई है.
इंद्रजीत सिंह का कहना है कि पहले वो परंपरागत खेती करते थे. लेकिन बाद में गन्ना प्रजनन संस्थान करनाल में ट्रेनिंग लेकर इंद्रजीत सिंह ने ट्रेंच विधि से खेती करनी शुरू की. ट्रेंच विधि से होने वाली खेती में पौधे को खेत में ट्रांसप्लांट किया जाता है.

ट्रेंच विधि में विशेष प्रकार के औजार यानी ट्रेंच ओपनर से 17 से 20 सेमी. गहरा और 30 सेमी चौड़ा गड्ढा किया जाता है, दूसरी विधियों से गन्ना बुवाई करने में चार से पांच बार गन्ना होता है. लेकिन इस विधि से गन्ना लगाने पर दस से पंद्रह बार गन्ना हो सकता है.

ट्रेंच विधि से करें गन्ने की खेतीः कम लागत में लें, ज्यादा मुनाफा, देखें रिपोर्ट.

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खेत में गन्ने के पौधों को किया जाता है ट्रांसप्लांट
इसके लिए गन्ने की पौध को सबसे पहले जर्मीनेट किया जाता है. पौध जब एक-डेढ़ महीने की हो जाती है, तब किसी भी ऋतु में इसको खेत में लगाया जा सकता है. इसी विधि से उगाई जाने वाली गन्ने की पौध को जुलाई महीने में भी लगाया जा सकता है. नवंबर और दिसंबर में भी गन्ने की पौध को लगा सकते हैं. केवल एक महीने जनवरी में छोड़ा रुकना पड़ता है क्योंकि ठंड तब ज्यादा होती है. गन्ने की पौध को खेत में जाकर ट्रांसप्लांट करना है और खेत में लगने के बाद पौधा अपनी ग्रोथ लेना शुरू कर देता है. इस विधि द्वारा दो या 3 क्विंटल बीज में पौध तैयार हो जाती है. पौध तैयार करने के बाद पांच हजार से लेकर 55 सौ के करीब पौधे एक एकड़ खेत में लगते हैं. जिसमे पौधे से पौधे की दूरी 5 फुट 2 इंच होती है और उसी के साथ हम दूसरी फसल भी ली जाती है.

परंपरागत खेती की तुलना में ज्यादा पैदावार
इस विधि से गन्ना लगाने से गन्ने की ज्यादा पैदावार होती है. परंपरागत विधि से जहां गन्ने की उपज 600-800 किवंटल प्रति हेक्टेयर होती है, वहीं ट्रेंच विधि से गन्ने की उपज 1200-2400 किवंटल प्रति हेक्टेयर ली जा सकती है.

कम लागत में होती है खेती
ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती के दौरान गन्ने के साथ ही अलग-अलग तरह की फसलें भी एक ही खेत में लगाई जा सकती हैं और उत्पादन भी काफी अच्छा मिलता है. ट्रेंच विधि से गन्ने की लम्बाई भी ज्यादा बढ़ती है. गन्ना कभी भी हवा या आंधी में नहीं गिरता, क्योंकि इस विधि से गन्ने की खेती में गन्ने की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाई जाती है, जिससे जड़ों की मजबूती बनी रहती है और गन्ने की बधाई भी नहीं की जाती है.
इस विधि से खेती करने में पानी की बचत के साथ-साथ जो किसानों के दूसरे खर्च भी कम आते हैं. परंपरागत खेती में किसान गन्ना लगाने के बाद निराई-गुड़ाई कराता है तो उसमें भी काफी खर्च आता है. लेकिन ट्रेंच विधि की खेती में निराई-गुड़ाई की कोई जरुरत नहीं है.

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Intro:भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां पर किसान भाई करते है अलग-अलग तरह की खेती , काफी किसान धान कटने के बाद करते है गेहूं की खेती, आज हम आप की मुलाक़ात करवा रहे है प्रगतिशील किसान इन्दर जीत सिंह से जिन्होंने ट्रेंच विधि द्वारा ट्रेनिंग लेकर की है गन्ने की बुआई , आगे आने वाले दिनों में इस विधि से किसानों को मिल सकता है काफी अच्छा मुनाफा और पानी की भी होगी बचत , इस समय भी किसान इन्द्र सिंह इस विधि द्वारा कर रहे है गन्ने की बुआई , ट्रैंच विधि से गन्ने की बड़वार भी होती है काफी अच्छी , किसान ने बताया की किसान भाई जनवरी छोड़कर किसी भी महीने में ट्रेंच विधि द्वारा गन्ने की बिजाई  कर सकते है ,इंद्र सिंह किसान को अभी तक इस फसल से हुआ काफी अच्छा मुनाफा, किसान  गन्ने के साथ साथ कर रहे है मिश्रित खेती , उगा रहे है अलग-अलग तरह की सब्जियां।

Body:करनाल जिले के गाँव कमालपुर रोड़ान के रहने वाले किसान इंद्रजीत सिंह ने बताया की वह ट्रैंच विधि द्वारा करीब दो साल पहले से खेती कर रहा है , किसान इन्दरजीत सिंह ने बताया कि वह साल 2006 से गन्ने की खेती कर रहा है ! उनके पास  करीब 35 एकड़ जमीन है,जिसमे में गन्ने की खेती कर रखी है,सबसे पहले किसान परंपरागत खेती करता था ,यानी 2 फीट के अंदर जिसमें करीब 30 से 35 क्विंटल के करीब गन्ना लगता था लेकिन अब हमने  खेती करने का तरीका बदला है।  उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मै नई विधि प्रयोग कर रहा हूँ।  ट्रांसप्लांटिंग जिसमें हम गन्ने की पौध तैयार करते हैं। पौध तैयार करने के बाद हम पाँच हजार से लेकर 55 सौ के करीब हम एक खेत में पौधे लगाते हैं ,जिसमे पौधे की दूरी 5 फुट 2 इंच होती है उसी के साथ हम दूसरी फसल भी लेते हैं।  इस समय मैंने यह प्रयोग केवल 12 एकड़ जगह पर किया है।  पिछले साल जो मैंने प्रयोग किया था उसमें सिर्फ मैंने चने की खेती की थी जिसमे एक एकड़ से करीब 50 हजार रूपये  का हमारा चना निकला था और उसी के साथ साढ़े 600 सौ क्विंटल के करीब हमे गन्ने का उत्पादन हुआ था।  किसान परंपरागत तरीके से गन्ने की  बुआई  करते हैं लेकिन ट्रेंच विधि से गन्ने की बुआई करके किसान ज्यादा पैदावार कर सकते हैं।  इस विधि से फसल में ज्यादा पानी भी नहीं लगाना पड़ता है।  करनाल जिले के कमालपुर रोड़ान गाँव के किसान इन्द्र सिंह कहते हैं, “मैं अब पूरा गन्ना ट्रेंच विधि से ही लगाता हूँ ! इस विधि से गन्ना लगाने से गन्ने की ज्यादा पैदावार होती है।  दूसरी विधि से जहां गन्ने की उपज 600-800 किवंटल प्रति हेक्टेयर होती है, वहीं ट्रेंच विधि से गन्ने की उपज 1200-2400 किवंटल प्रति हेक्टेयर ली जा सकती है।  ट्रेंच विधि में विशेष प्रकार के औजार यानी ट्रेंच ओपनर से 17 से 20 सेमी. गहरा और 30 सेमी चौड़ा गड्ढा किया जाता है , वही दूसरी विधियों से गन्ना बुवाई करने में चार से पांच बार गन्ना होता है लेकिन इस विधि से गन्ना लगाने पर दस से पंद्रह बार गन्ना हो सकता है।  वही किसान ने बताया कि मैने ट्रेंच विधि से गन्ने की  बुआई करनाल जिले में स्तिथ भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में पहली बार देखी थी, उसके बाद मुझे भी इच्छा हुई कि मैं ट्रेंच विधि द्वारा गन्ने की बुवाई करूं उसके बाद संस्थान के वैज्ञानिकों ने मेरी मदद की और उन्होंने बताया कि किस प्रकार ट्रेंच विधि द्वारा गन्ने की बुआई की जाती है।  इसी संस्थान से अपनी ट्रेनिंग लेने के बाद अपने खेतों में 2 साल से ट्रेंच विधि द्वारा गन्ना लगा रहा हूँ।  गन्ने के साथ अलग अलग तरह की फसलें भी एक ही खेत में लगा रखी हैं और उत्पादन भी काफी अच्छा उसको मिल रहा है।  किसान ने कहा कि ट्रेंच विधि से गन्ने की बढ़वार बढ़ती है और जो गन्ने की हाइट है वह भी काफी ऊंचाई तक जाती है।  गन्ना कभी भी हवा या आंधी में नहीं गिरता और हम गन्ने की बधाई भी नहीं करते हैं।  वहीं किसान ने कहा कि हमने खेत में अलग-अलग बेड बनाए हुए हैं , उसके बीच में जो स्पेस बचा हुआ है उसके अंदर हम गन्ना ट्रेंच विधि यानी पौध बनाकर लगा रहे हैं।  आने वाले समय में इस विधि से काफी फायदा मिलेगा।  किसान ने बताया कि और भी किसानों को इस विधि को लेकर आगे आना चाहिए।  इस विधि में पानी की बचत के साथ साथ जो किसानों का खर्चा वह भी बहुत कम आता है। अगर माना जाए जिस तरह से किसान गन्ना लगाने के बाद निराई गुड़ाई कराता है तो उसमें भी काफी खर्च आता है। किसानों को इस विधि द्वारा निराई गुड़ाई की कोई आवश्यकता नहीं है  इस विधि में जो मिट्टी है वह गन्ने की जड़ों पर चढ़ाई जाती है जिससे गन्ने में मजबूती बनी रहती है। 


Conclusion: किसान ने कहा कि किसान अगर अपनी आय दुगनी करना चाहता है तो इस विधि द्वारा बीच में गन्ना और जो साइड के बेड हैं उन पर अलग-अलग प्रकार की सब्जियां जैसे धनिया,मूली,चने,बरसीम आदि किस्मों को लगा सकते हैं।  इस विधि द्वारा किसान को अभी तक काफी मुनाफा हो चुका है।  जो हम यह गन्ना लगा रहे हैं इसको हम कभी भी लगा सकते हैं। गन्ने की पौध को सबसे पहले हम अपने घर पर जर्मीनेट करते है। जब यह एक डेढ़ महीने की पौध हो जाती है तो हम किसी भी ऋतु में हम इसको खेतों में लगा सकते हैं। गन्ने की पौध को हम जुलाई के अंदर भी लगा सकते हैं, नवंबर और दिसंबर में भी हम गन्ने की पौध को लगा सकते हैं ,जनवरी में हम इसको थोड़ा जर्मीनेट करके फरवरी में फिर से लगा सकते हैं। एक महीना थोड़ा सा हम कह सकते हैं कि जनवरी के महीने में थोड़ा रोक लग सकती है क्योकि जनवरी में ठंड ज्यादा होती है  परंतु पौधा पहले ही जर्मीनेट हुआ है। गन्ने की पौध को सिर्फ हमें खेत में जाकर ट्रांसप्लांट करना है और खेत में लगने के बाद पौधा अपनी ग्रोथ लेना शुरू कर देता है।  इस विधि द्वारा हमारी दो या 3 क्विंटल बीज में पौध तैयार हो जाती है। सबसे बड़ा फायदा किसानों को है कि इसमें किसानों की पैसो की भी बचत होती हैं।  किसान को इस विधि से सारा खर्च निकल कर एक लाख 80 हजार रुपए की सीधी तौर पर बचत हो चुकी है।  

बाईट -  इन्दर जीत सिंह -  प्रगतिशील किसान    
Last Updated : Dec 4, 2019, 2:50 PM IST
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