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करनाल में लगातार घट रहा भूजल स्तर, अभी और गहराएगा पानी का संकट

करनाल में पानी की कमी (water crisis in karnal) के कारण लोग काफी परेशान हैं. करनाल में भूजल खतरनाक स्तर पर गिरता जा रहा है. इससे आने वाले दिनों में लाखों लोग पानी की समस्या से जूझ सकते हैं. घटते भूजल स्तर को लेकर ईटीवी भारत ने करनाल के ग्राउंड वॉटर सेल के तकनीकी अधिकारी डॉ. महावीर सिंह से खास बातचीत की. पढ़िए ये खास रिपोर्ट

water crisis in karnal
करनाल में लगातार घट रहा भूजल स्तर.
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Published : May 1, 2022, 10:56 AM IST

करनाल: हरियाणा का प्रमुख कृषि जिला करनाल लगातार गिरते भूजल (Decreasing ground water level in Karnal) की समस्या से जूझ रहा है. करनाल में भूजल स्तर खतरनाक स्तर पर गिरता जा रहा है. यदि भूमिगत जल की निकासी इसी प्रकार जारी रही, तो खेतों की प्यास बुझना तो दूर, करनालवासी पानी की एक-एक बूंद के लिए भी तरस जाएंगे. करनाल कृषि विभाग के भूजल सेल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पिछले दो दशक में करनाल जिले का भूजल स्तर लगभग 12.86 मीटर से ज्यादा नीचे चला गया है. करनाल की जल तालिका जोकि वर्ष 2000 में लगभग 8.57 मीटर थी और अब वर्तमान में यानि वर्ष 2021 में 21.81 मीटर हो गई है.

water crisis in karnal
करनाल में लगातार घट रहा भूजल स्तर.

आंकड़े के अनुसार सबसे तेज गिरावट 1999 के बाद शुरू हुई है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण कृषि उत्पाद के लिए सबमर्सिबल ट्यूबवेल का प्रयोग बड़ी संख्या में होना बताया जा रहा है. इसके साथ-साथ लोगों ने अपने घर, अस्पताल, स्कूल और होटल आदि बड़े संस्थानों में भी समर्सिबल पंप का उपयोग शुरू कर दिया है. इन सबके बीच खास बात यह है कि करनाल के इंद्री ब्लॉक को छोड़कर जिले में सात ब्लॉक अति-शोषित श्रेणी में आ गए हैं.

water crisis in karnal
करनाल में लगातार घट रहा भूजल स्तर.

विशेषज्ञों की माने तो ऐसी स्थिति के पीछे भूमि जल का अधिक प्रयोग और जल का कम संरक्षण असली कारण है. जल संरक्षण के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. इसके लिए लोगों को जागरूक होना बेहद जरूरी है. ताकि कृषि के लिए प्रयोग होने वाले पानी के साथ-साथ पीने के लिए भी लोगों को पानी मिल सके. अगर पानी का ऐसा ही दुरुपयोग होता रहा, तो आने वाले समय में पानी की बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है.

करनाल में लगातार घट रहा भूजल स्तर.

वहीं, सूत्रों के अनुसार करनाल जिले में हजारों अवैध बोरवेल हैं और कई बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों ने तो अधिसूचित क्षेत्रों में भूजल दोहन की अवैध रूप से अनुमति ले रखी है. करनाल ग्राउंड वॉटर सेल के तकनीकी अधिकारी डॉ. महावीर सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा जल संरक्षण, प्रबंधन और रेगुलेट करने के लिए हरियाणा जल संशाधन प्राधिकरण की स्थापना की गई है. करनाल में लगभग 90 फीसदी भूजल का प्रयोग कृषि के लिए किया जा रहा है और 10 फीसदी अन्य जरूरतों के लिए किया जा रहा है.

water crisis in karnal
करनाल में लगातार घट रहा भूजल स्तर.

उन्होंने कहा कि भूजल रिचार्ज के लिए पूरे जिले में लगभग ढाई सौ से तीन सौ रिचार्ज स्ट्रक्चर अभी तक लगे हैं. जबकि भूजल दोहन के लिए लगभग 70 हजार अलग-अलग साधनों का प्रयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पूरे हरियाणा में जहां पानी की गुणवत्ता अच्छी है, वहीं लगातार भूजल स्तर नीचे गिर रहा है. जबकि जहां भूजल की गुणवत्ता ठीक नहीं है, वहां भूजल स्तर ऊपर उठ रहा है. डॉ. महावीर सिंह ने कहा कि अगर भूजल स्तर की यही स्थिति रही, तो आने वाले समय में हरियाणा में भूजल संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाएगा और हरियाणा में स्वच्छ पानी की स्थिति काफी भयानक हो जाएगी.

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करनाल: हरियाणा का प्रमुख कृषि जिला करनाल लगातार गिरते भूजल (Decreasing ground water level in Karnal) की समस्या से जूझ रहा है. करनाल में भूजल स्तर खतरनाक स्तर पर गिरता जा रहा है. यदि भूमिगत जल की निकासी इसी प्रकार जारी रही, तो खेतों की प्यास बुझना तो दूर, करनालवासी पानी की एक-एक बूंद के लिए भी तरस जाएंगे. करनाल कृषि विभाग के भूजल सेल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पिछले दो दशक में करनाल जिले का भूजल स्तर लगभग 12.86 मीटर से ज्यादा नीचे चला गया है. करनाल की जल तालिका जोकि वर्ष 2000 में लगभग 8.57 मीटर थी और अब वर्तमान में यानि वर्ष 2021 में 21.81 मीटर हो गई है.

water crisis in karnal
करनाल में लगातार घट रहा भूजल स्तर.

आंकड़े के अनुसार सबसे तेज गिरावट 1999 के बाद शुरू हुई है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण कृषि उत्पाद के लिए सबमर्सिबल ट्यूबवेल का प्रयोग बड़ी संख्या में होना बताया जा रहा है. इसके साथ-साथ लोगों ने अपने घर, अस्पताल, स्कूल और होटल आदि बड़े संस्थानों में भी समर्सिबल पंप का उपयोग शुरू कर दिया है. इन सबके बीच खास बात यह है कि करनाल के इंद्री ब्लॉक को छोड़कर जिले में सात ब्लॉक अति-शोषित श्रेणी में आ गए हैं.

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करनाल में लगातार घट रहा भूजल स्तर.

विशेषज्ञों की माने तो ऐसी स्थिति के पीछे भूमि जल का अधिक प्रयोग और जल का कम संरक्षण असली कारण है. जल संरक्षण के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. इसके लिए लोगों को जागरूक होना बेहद जरूरी है. ताकि कृषि के लिए प्रयोग होने वाले पानी के साथ-साथ पीने के लिए भी लोगों को पानी मिल सके. अगर पानी का ऐसा ही दुरुपयोग होता रहा, तो आने वाले समय में पानी की बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है.

करनाल में लगातार घट रहा भूजल स्तर.

वहीं, सूत्रों के अनुसार करनाल जिले में हजारों अवैध बोरवेल हैं और कई बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों ने तो अधिसूचित क्षेत्रों में भूजल दोहन की अवैध रूप से अनुमति ले रखी है. करनाल ग्राउंड वॉटर सेल के तकनीकी अधिकारी डॉ. महावीर सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा जल संरक्षण, प्रबंधन और रेगुलेट करने के लिए हरियाणा जल संशाधन प्राधिकरण की स्थापना की गई है. करनाल में लगभग 90 फीसदी भूजल का प्रयोग कृषि के लिए किया जा रहा है और 10 फीसदी अन्य जरूरतों के लिए किया जा रहा है.

water crisis in karnal
करनाल में लगातार घट रहा भूजल स्तर.

उन्होंने कहा कि भूजल रिचार्ज के लिए पूरे जिले में लगभग ढाई सौ से तीन सौ रिचार्ज स्ट्रक्चर अभी तक लगे हैं. जबकि भूजल दोहन के लिए लगभग 70 हजार अलग-अलग साधनों का प्रयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पूरे हरियाणा में जहां पानी की गुणवत्ता अच्छी है, वहीं लगातार भूजल स्तर नीचे गिर रहा है. जबकि जहां भूजल की गुणवत्ता ठीक नहीं है, वहां भूजल स्तर ऊपर उठ रहा है. डॉ. महावीर सिंह ने कहा कि अगर भूजल स्तर की यही स्थिति रही, तो आने वाले समय में हरियाणा में भूजल संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाएगा और हरियाणा में स्वच्छ पानी की स्थिति काफी भयानक हो जाएगी.

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