करनाल: सीएम सिटी करनाल के लघु सचिवालय पर 5 दिनों तक चला किसानों का धरना (karnal farmer protest) आखिरकार शनिवार को खत्म हो गया. शनिवार को जिला प्रशासन और किसान नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई है. जिसके बाद अब किसानों का धरना खत्म (Farmers Protest End) हो गया है. किसान नेता गुरनाम चढूनी (gurnam chaduni) ने बताया कि लाठीचार्ज मामले की न्यायायिक जांच होगी. जांच पूरी होने तक तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे. प्रशासन ने किसानों को जांच पूरी करने के लिए एक महीने का वक्त दिया है, और हाई कोर्ट के रिटायर जज से इस पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी. इसके अलावा प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसान के परिवार को डीसी रेट पर दो पक्की नौकरी देने की बात भी तय हुई है.
बहरहाल आपको बताते हैं कि आखिर ये पूरा मामला कब और कैसे शुरू हुआ था. दरअसल, बीती 28 अगस्त को करनाल में हरियाणा बीजेपी की बैठक हुई थी. इस बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ समेत कई बड़े नेता शामिल हुए थे. इस बैठक का विरोध करते हुए किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया था. 28 अगस्त की सुबह जैसे ही बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ की गाड़ी बसताड़ा टोल प्लाजा पर पहुंची तो कुछ किसानों ने इस दौरान ओपी धनखड़ की गाड़ी पर डंडे बरसाए थे.
इसके बाद किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. पुलिस ने किसानों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था. वहीं किसानों की तरफ से पत्थरबाजी की गई, और लाठीचार्ज के दौरान किसान घायल हो गए. वहीं पुलिस वालों भी चोट लगी. कई किसानों को पुलिस द्वारा हिरासत में भी लिया गया था. हरियाणा के एडीजीपी (कानून व्यवस्था) नवदीप सिंह विर्क ने लाठीचार्ज को लेकर कहा था कि दोपहर 12 बजे कुछ प्रदर्शनकारी किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया और करनाल शहर की ओर मार्च करने की कोशिश की. रोकने पर कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव कर दिया. पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया. इस दौरान 4 किसान और 10 पुलिसकर्मी घायल हुए.
इसके बाद किसानों पर हुए लाठीचार्ज की खबर आग की तरह फैल गई. वहीं इसी बीच करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा का एक वीडियो भी सामने आया जिसमें वे पुलिसवालों को किसानों का सिर फोड़ने का आदेश दे रहे हैं. एसडीएम ने कहा कि 'मेरा आदेश सिंपल है. जो भी हो. इससे बाहर कोई भी नहीं जायेगा बाहर. किसी तरह से स्पष्ट कर देता हूं. सिर फोड़ देना. नहीं जायेगा. मैं ड्यूटी मजिस्ट्रेट हूं. लिखित में दे रहा हूं. सीधे लट्ठ मारो. कोई डाउट (पुलिस वाले कहते हैं..नहीं सर). मारोगे? (पुलिस वाले कहते हैं...यस सर). कोई जायेगा इधर से (पुलिस वाले कहते हैं...नहीं सर). सीधे उठा उठाकर मारना. कोई डाउट नहीं है. कोई डायरेक्शन की जरूरत नहीं है. ये रास्ता हम किसी भी हालत में ब्रीच नहीं होने देंगे. हमारे पास पर्याप्त फोर्स है.'
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किसानों पर लाठीचार्ज के बाद किसान संगठनों ने पूरे हरियाणा में जाम लगा दिया था. इसके बाद किसानों और सरकार के बीच में गतिरोध बढ़ता गया. किसान जहां लाठीचार्ज के लिए सरकार को दोष देते रहे तो वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी किसानों को स्पष्ट कहा कि अगर पत्थरबाजी करोगे और हाईवे रोकेगे तो पीटे जाओगे. सरकारी कामकाज में बाधा डालना लोकतंत्र के खिलाफ है. अगर किसान विरोध करना चाहते थे, तो उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिए था. अगर वे नेशनल हाईवे जाम करते हैं और पुलिस पर पथराव करते हैं, तो पुलिस भी कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठाएगी.
इसके बाद विपक्ष ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया था. पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा समेत कई विपक्षी नेताओं ने लाठीचार्ज के लिए सरकार की आलोचना की थी. इसी बीच घायल हुए किसानों में से एक किसान की रविवार 29 अगस्त को मौत हो गई. मृतक किसान का नाम सुशील काजल था. किसान करनाल के घरौंडा के रायपुर जट्टान गांव का रहने वाला था. किसान की मौत के बाद आंदोलन और तेज हो गया. इसके बाद किसानों ने सरकार के सामने तीन मांगें रखी हैं.
![karnal farmer protest](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13033657_karnal4.png)
पहली मांग ये है कि एसडीएम सहित जिन सरकारी अधिकारियों ने लाठीचार्ज में गलत किया है, इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो. दूसरी मांग ये है कि जिस किसान की मौत हुई है, उसके परिवार को 25 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए. तीसरी मांग ये है कि पुलिस की लाठीचार्ज से घायल हुए सभी किसानों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए. इन तीनों मांगों को मानने के लिए किसानों ने सरकार को 6 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया गया. किसानों ने कहा कि अगर 6 सितंबर तक सरकार ने बात नहीं मानी तो 7 सितंबर को पूरे हरियाणा के किसान करनाल में पहुंचेंगे और लघु सचिवालय का अनिश्चितकालीन घेराव करेंगे.
बहरहाल सरकार ने कोई मांग नहीं मानी और 7 सितंबर को करनाल में पहले किसानों ने महापंचायत की जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत समेत कई लोग पहुंचे. इसके बाद प्रशासन को आखिरी चेतावनी दी गई. प्रशासन की ओर से भी बड़ी संख्या में फोर्स की तैनाती की गई थी. मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए प्रशासन ने किसानों को वार्ता का न्यौता दिया. किसान नेताओं और प्रशासन के बीच कई दौर की बातचीत चली, लेकिन कोई हल नहीं निकला.
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बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की मंशा टकराव की स्थिति पैदा करना है. सरकार हल ही नहीं निकालना चाहती. प्रशासन से बातचीत विफल होने के बाद किसान जिला सचिवालय का घेराव करने के लिए निकले. जिला सचिवालय की ओर जाते समय किसान नेता राकेश टिकैत और प्रदर्शनकारी किसानों को पुलिस की तैनाती का सामना करना पड़ा. इसके बाद किसान पुलिस बैरिकेड़ तोड़ते हुए आगे बढ़ गए. वहीं किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने भी वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया.
बहरहाल जोरदार प्रदर्शन, बैरिकेड़ तोड़ने और पानी की बौछारों के बीच किसानों ने जिला सचिवालय घेर लिया. किसान नेता राकेश टिकैत बाकी किसानों के साथ सचिवालय के गेट पर ही धरने पर बैठ गए हैं. किसानों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती तब तक वे धरने से नहीं उठेंगे. रात होते-होते किसानों ने लंगर भी लगा लिया और सचिवालय के बाहर ही खाना भी खाया. इस दौरान किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमने धरना दे दिया है जब तक प्रशासन मांगें नहीं मानती है तब तक धरना चलेगा और लंगर भी जारी रहेगा.
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इसके बाद किसानों ने करनाल लघु सचिवालय पर दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन के जैसे ही पक्का मोर्चा बना दिया. करनाल में किसानों की संख्या बढ़ती चली गई. प्रशासन ने फिर किसानों से वार्ता की, लेकिन एक बार फिर ये बातचीत बेनतीजा रही. मामले को खत्म करने के लिए फिर शुक्रवार को चंडीगढ़ से एसीएस देवेंद्र सिंह को भेजा गया, और किसानों को फिर से बातचीत का न्यौता भेजा गया. शुक्रवार रात तक चली ये बैठक सकारात्मक रही और लगा की मामला सुलझ सकता है. प्रशासन और किसानों में तय हुआ कि शनिवार सुबह भी एक बैठक की जाएगी.
शनिवार की सुबह हुई और किसान बातचीत के लिए प्रशासन के पास पहुंचे. बैठक के बाद किसान नेताओं और करनाल प्रशासन के बीच सहमति बन गई. जिसके बाद किसानों का धरना खत्म हो गया है. किसान नेता गुरनाम चढूनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि बसताड़ा टोल पर हुए लाठीचार्ज की न्यायिक जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से करवाई जाएगी. तब तक तत्कालीन एसडीएम आयषी सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे. ये जांच 1 महीने में पूरी कर दी जाएगी. दूसरा मृतक किसान सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा और डीसी रेट की दो नौकरी दी जाएंगी. दो नौकरी योग्यता के आधार पर एक सप्ताह में दे दी जाएगी, और घायल किसानों को भी 2-2 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा.
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इसके बाद किसानों ने लघु सचिवालय से अपना सामान समेटा और धरना खत्म करते हुए चले गए. इस मामले को खत्म करने को लेकर दो बातें और सामने आ रही हैं. पहली तो ये कि करनाल में कल प्रमुख परीक्षाओं का आयोजन होगा जिसमें नीट, एचसीएस व एचपीएस मुख्य परीक्षाएं हैं. किसानों के घेराव के चलते प्रशासन को इन परीक्षाओं के आयोजन की चिंता सता रही थी. हालांकि आयुक्त निशान्त यादव ने ये साफ कर दिया था कि इन परीक्षाओं के चलते कोई भी खलल डालने की कोशिश करेगा तो सख्त कार्रवाई होगी.
![karnal farmer protest](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13033657_karnal7.png)
वहीं दूसरी बात ये सामने आ रही है कि टिकरी, सिंघु बॉर्डर पर धरने में मजबूती बरकरार रहे और किसान दो-दो जगह ना बटें रहे इसके चलते किसानों ने भी प्रशासन के साथ वार्ता में इस बार नरमी का रुख रखा. कुल मिलाकर किसानों ने जाते-जाते ईटीवी भारत के साथ बातचीत में बताया कि किसानों की आज जीत हुई है, और 'किसान एकता जिंदाबाद' के नारे लगाते हुए किसान अपने घरों को रवाना हो गए.
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