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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओः लिंगानुपात में सीएम सिटी करनाल हुआ पीछे - बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ करनाल

सीएम सिटी करनाल में बेटी बचाओ बना चिंता का विषय लिंग अनुपात में करनाल जिला हुआ पीछे रह गया हैं जिले में 1 हजार लड़कों की तुलना में करीब 900 लड़कियां हैं बीते 2 सालों से लिंग अनुपात के अनुपात में काफी गिरावट देखने को मिली है.

karnal sex ratio
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Published : Dec 9, 2020, 4:56 PM IST

करनाल: सीएम सिटी करनाल में बेटी बचाओ बना चिंता का विषय लिंग अनुपात में करनाल जिला हुआ पीछे, जिले में 1 हजार लड़कों की तुलना में करीब 900 लड़कियां. करनाल अतिरिक्त उपायुक्त ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक कर दिए कड़े दिशा निर्देश कहा लिंग अनुपात में सुधार को लेकर जब दूसरे जिलों में बढ़िया काम हो रहा तो करनाल में क्यों नहीं.

आपको बता दें कि 22 जनवरी 2015 को पानीपत जिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की थी जिसके बाद से हरियाणा प्रदेश के अंदर बेटियों को बचाने को लेकर कई अभियान शुरू किए गए और इसका असर भी देखने को मिला बात करते हैं करनाल जिले की वर्ष 2015 से लेकर 2018 तक लिंग अनुपात में खासा असर देखने को मिला वही बीते 2 सालों से लिंग अनुपात के अनुपात में काफी गिरावट देखने को मिली है.

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को लेकर लघु सचिवालय के सभागार में एडीसी ने लिंगानुपात को लेकर करनाल जिला की रैंकिंग पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि कहीं न कहीं संबंधित विभाग के अधिकारियों में इच्छा शक्ति की कमी है. उन्होंने सुझाव दिया कि जिस परिवार में पहले लड़कियां हैं, उन परिवारों पर पैनी नजर रखें. इसके अलावा अल्ट्रासाऊंड केन्द्रों पर रेड बढ़ाएं, ताकि कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को रोकने में कामयाब हों. एडीसी ने कहा कि लिंगानुपात में सुधार लाने का कार्य मुख्यत: स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग का है. जिला प्रशासन तो सहयोग कर सकता है.

ये भी पढ़ें:करनाल में आसानी से बन रहे फैमली आईडी कार्ड, ऐसे अपलोड होगी डिटेल

उन्होंने कहा कि इस अभियान से जुड़े विभाग के अधिकारी तालमेल के साथ कार्य करें ताकि लिंगानुपात में सुधार लाया जा सके. उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला परियोजना अधिकारी को निर्देश दिए कि वे आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से जागरूकता के साथ-साथ ऐसी महिलाओं पर भी कड़ी नजर रखें जिनके पहले से ही दो या तीन बेटियां हैं. उन्होंने कहा कि आज के समय में बेटा या बेटी में कोई अंतर नहीं है. लोगों की सोच में बदलाव लाने की जरूरत है. एडीसी ने पीएनडीटी के नोडल अधिकारी एवं उप सिसिल सर्जन डा. नरेश करड़वाल को निर्देश दिए कि कन्या भ्रूण हत्या की जांच जिले में ना हो इसके लिए एक्शन प्लान तैयार करें और सिस्टम में सुधार लाएं तथा हर महीने एक सफलतापूर्वक रेड अवश्य होनी चाहिए.

करनाल: सीएम सिटी करनाल में बेटी बचाओ बना चिंता का विषय लिंग अनुपात में करनाल जिला हुआ पीछे, जिले में 1 हजार लड़कों की तुलना में करीब 900 लड़कियां. करनाल अतिरिक्त उपायुक्त ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक कर दिए कड़े दिशा निर्देश कहा लिंग अनुपात में सुधार को लेकर जब दूसरे जिलों में बढ़िया काम हो रहा तो करनाल में क्यों नहीं.

आपको बता दें कि 22 जनवरी 2015 को पानीपत जिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की थी जिसके बाद से हरियाणा प्रदेश के अंदर बेटियों को बचाने को लेकर कई अभियान शुरू किए गए और इसका असर भी देखने को मिला बात करते हैं करनाल जिले की वर्ष 2015 से लेकर 2018 तक लिंग अनुपात में खासा असर देखने को मिला वही बीते 2 सालों से लिंग अनुपात के अनुपात में काफी गिरावट देखने को मिली है.

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को लेकर लघु सचिवालय के सभागार में एडीसी ने लिंगानुपात को लेकर करनाल जिला की रैंकिंग पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि कहीं न कहीं संबंधित विभाग के अधिकारियों में इच्छा शक्ति की कमी है. उन्होंने सुझाव दिया कि जिस परिवार में पहले लड़कियां हैं, उन परिवारों पर पैनी नजर रखें. इसके अलावा अल्ट्रासाऊंड केन्द्रों पर रेड बढ़ाएं, ताकि कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को रोकने में कामयाब हों. एडीसी ने कहा कि लिंगानुपात में सुधार लाने का कार्य मुख्यत: स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग का है. जिला प्रशासन तो सहयोग कर सकता है.

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उन्होंने कहा कि इस अभियान से जुड़े विभाग के अधिकारी तालमेल के साथ कार्य करें ताकि लिंगानुपात में सुधार लाया जा सके. उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला परियोजना अधिकारी को निर्देश दिए कि वे आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से जागरूकता के साथ-साथ ऐसी महिलाओं पर भी कड़ी नजर रखें जिनके पहले से ही दो या तीन बेटियां हैं. उन्होंने कहा कि आज के समय में बेटा या बेटी में कोई अंतर नहीं है. लोगों की सोच में बदलाव लाने की जरूरत है. एडीसी ने पीएनडीटी के नोडल अधिकारी एवं उप सिसिल सर्जन डा. नरेश करड़वाल को निर्देश दिए कि कन्या भ्रूण हत्या की जांच जिले में ना हो इसके लिए एक्शन प्लान तैयार करें और सिस्टम में सुधार लाएं तथा हर महीने एक सफलतापूर्वक रेड अवश्य होनी चाहिए.

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