करनाल: लगातार गिर रहे भूजल स्तर के कारण करनाल को डार्क जोन घोषित किया हुआ है. बावजूद इसके किसान भूजल स्तर को दोहन कर साठी धान लगा रहे हैं. इंद्री क्षेत्र में भी धड़ल्ले से साठी धान लगाया जा रहा है, लेकिन विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.
नलकूप से निकली जल धारा कृषि के लिए अति आवश्यक है
वैज्ञानिक मापदंड के आधार पर धान में प्रति एक किलो चावल की पैदावार के लिए 3000 से 3500 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है. जबकि उचित समय पर लगाये गये धान में यह लागत घट कर 1500 लीटर रह जाती है. अगेती धान में लगभग सारा पानी भूमिगत जल से मिलता है. नलकूप से निकली जल धारा कृषि के लिए अति आवश्यक है.
करनाल जिले में धान खरीफ की मुख्य फसल है
करनाल जिले में धान खरीफ की मुख्य फसल है. पिछले कुछ वर्षों से गेहूं की कटाई के तत्काल बाद धान की अगेती फसल साठी धान लगाने का भी प्रचलन बढ़ रहा है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक जिले में अगेती साठी धान या अन्य किस्म की धान हो उसके लिए जिले के 63 हजार 952 नलकूपों द्वारा 2.60 करोड़ लीटर पानी को किसान जमीन से निकालते हैं.
सरकार ने करनाल को डार्क जोन किया घोषित
पानी के अत्यधिक दोहन के चलते जिले को सरकार द्वारा डार्क जोन घोषित किया जा चुका है. पिछले 10 वर्ष में करनाल के जल स्तर में 0.90 मीटर की दर से गिरावट हो रही है. भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. जिसके परिणाम स्वरूप सामान्य ट्यूबवेल ठप हो चुके हैं और हर जगह सबमर्सीबल लग चुके हैं.
कृषी विभाग ने की बड़ी कार्रवाई
जून से पहले धान की रोपाई करना अवैध है. 15 मई से पहले धान की नर्सरी भी नहीं लगाई जा सकती. जिन किसानों ने साठी धान लगाई है उनको नोटिस जारी किए थे. स्वयं धान नष्ट नहीं करने की सूरत में विभाग की तरफ से एक्शन लिया जाता है. जिन किसानों ने धान की रोपाई कर दी है उन्हें चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. हमारी टीमें फील्ड में पूरी तरह सक्रिय हैं. जिन्होंने रोपाई की है उनकी धान की फसल को नष्ट कराया जाएगा.