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करनालः कृषि विभाग ने साठी धान की फसलों को किया नष्ट - karnal

रविवार को करनाल जिले की कृषी विभाग की टीम ने पुलिस बल के साथ क्षेत्र के गांव दरड़, संगोहा, संगोही और छाजपुर में कार्रवाई की. पुलिस बल ने चार एकड़ साठी धान को स्प्रे करवाकर नष्ट कर दिया.

साठी धान लगा रहे किसानों की फसलों को किया नष्ट
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Published : May 20, 2019, 12:00 AM IST

करनाल: लगातार गिर रहे भूजल स्तर के कारण करनाल को डार्क जोन घोषित किया हुआ है. बावजूद इसके किसान भूजल स्तर को दोहन कर साठी धान लगा रहे हैं. इंद्री क्षेत्र में भी धड़ल्ले से साठी धान लगाया जा रहा है, लेकिन विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

नलकूप से निकली जल धारा कृषि के लिए अति आवश्यक है
वैज्ञानिक मापदंड के आधार पर धान में प्रति एक किलो चावल की पैदावार के लिए 3000 से 3500 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है. जबकि उचित समय पर लगाये गये धान में यह लागत घट कर 1500 लीटर रह जाती है. अगेती धान में लगभग सारा पानी भूमिगत जल से मिलता है. नलकूप से निकली जल धारा कृषि के लिए अति आवश्यक है.

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करनाल जिले में धान खरीफ की मुख्य फसल है
करनाल जिले में धान खरीफ की मुख्य फसल है. पिछले कुछ वर्षों से गेहूं की कटाई के तत्काल बाद धान की अगेती फसल साठी धान लगाने का भी प्रचलन बढ़ रहा है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक जिले में अगेती साठी धान या अन्य किस्म की धान हो उसके लिए जिले के 63 हजार 952 नलकूपों द्वारा 2.60 करोड़ लीटर पानी को किसान जमीन से निकालते हैं.

सरकार ने करनाल को डार्क जोन किया घोषित
पानी के अत्यधिक दोहन के चलते जिले को सरकार द्वारा डार्क जोन घोषित किया जा चुका है. पिछले 10 वर्ष में करनाल के जल स्तर में 0.90 मीटर की दर से गिरावट हो रही है. भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. जिसके परिणाम स्वरूप सामान्य ट्यूबवेल ठप हो चुके हैं और हर जगह सबमर्सीबल लग चुके हैं.

कृषी विभाग ने की बड़ी कार्रवाई
जून से पहले धान की रोपाई करना अवैध है. 15 मई से पहले धान की नर्सरी भी नहीं लगाई जा सकती. जिन किसानों ने साठी धान लगाई है उनको नोटिस जारी किए थे. स्वयं धान नष्ट नहीं करने की सूरत में विभाग की तरफ से एक्शन लिया जाता है. जिन किसानों ने धान की रोपाई कर दी है उन्हें चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. हमारी टीमें फील्ड में पूरी तरह सक्रिय हैं. जिन्होंने रोपाई की है उनकी धान की फसल को नष्ट कराया जाएगा.

करनाल: लगातार गिर रहे भूजल स्तर के कारण करनाल को डार्क जोन घोषित किया हुआ है. बावजूद इसके किसान भूजल स्तर को दोहन कर साठी धान लगा रहे हैं. इंद्री क्षेत्र में भी धड़ल्ले से साठी धान लगाया जा रहा है, लेकिन विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

नलकूप से निकली जल धारा कृषि के लिए अति आवश्यक है
वैज्ञानिक मापदंड के आधार पर धान में प्रति एक किलो चावल की पैदावार के लिए 3000 से 3500 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है. जबकि उचित समय पर लगाये गये धान में यह लागत घट कर 1500 लीटर रह जाती है. अगेती धान में लगभग सारा पानी भूमिगत जल से मिलता है. नलकूप से निकली जल धारा कृषि के लिए अति आवश्यक है.

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करनाल जिले में धान खरीफ की मुख्य फसल है
करनाल जिले में धान खरीफ की मुख्य फसल है. पिछले कुछ वर्षों से गेहूं की कटाई के तत्काल बाद धान की अगेती फसल साठी धान लगाने का भी प्रचलन बढ़ रहा है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक जिले में अगेती साठी धान या अन्य किस्म की धान हो उसके लिए जिले के 63 हजार 952 नलकूपों द्वारा 2.60 करोड़ लीटर पानी को किसान जमीन से निकालते हैं.

सरकार ने करनाल को डार्क जोन किया घोषित
पानी के अत्यधिक दोहन के चलते जिले को सरकार द्वारा डार्क जोन घोषित किया जा चुका है. पिछले 10 वर्ष में करनाल के जल स्तर में 0.90 मीटर की दर से गिरावट हो रही है. भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. जिसके परिणाम स्वरूप सामान्य ट्यूबवेल ठप हो चुके हैं और हर जगह सबमर्सीबल लग चुके हैं.

कृषी विभाग ने की बड़ी कार्रवाई
जून से पहले धान की रोपाई करना अवैध है. 15 मई से पहले धान की नर्सरी भी नहीं लगाई जा सकती. जिन किसानों ने साठी धान लगाई है उनको नोटिस जारी किए थे. स्वयं धान नष्ट नहीं करने की सूरत में विभाग की तरफ से एक्शन लिया जाता है. जिन किसानों ने धान की रोपाई कर दी है उन्हें चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. हमारी टीमें फील्ड में पूरी तरह सक्रिय हैं. जिन्होंने रोपाई की है उनकी धान की फसल को नष्ट कराया जाएगा.

HAR                             KARNAL
REPORTER                 RAKESH KUMAR SHARMA
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स्टोरी  -  करनाल जिले के किसान नियमों व कानून का दरकिनार कर धड़ल्ले से कर रहे साठी धान की रोपाई ,  सूचना मिलते ही कृषि विभाग हुआ अलर्ट , की बड़ी कार्यवाही ,डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर डॉ. आदित्य प्रताप डबास ने  एसडीओ डॉ. सुनील बजाड़ की अध्यक्षता में टीम गठित कर साठी धान को करवाया नष्ट। 

एंकर  -   विभाग की टीम पुलिस बल के साथ क्षेत्र के गांव दरड़, संगोहा, संगोही व छाजपुर में पहुंची। टीम ने कार्रवाई करते हुए चार एकड़ साठी धान को स्प्रे कराकर नष्ट कर दिया। इसके अलावा चार अलग-अलग जगहों पर धान की नर्सरी में लगाई हुई थी, जिसको भी नष्ट किया गया। कार्रवाई का किसानों ने विरोध भी किया, लेकिन पुलिस बल साथ में होने के कारण उन्होंने अपने पैर पीछे खींच लिए। 

लगातार गिर रहे भूजल स्तर के कारण करनाल को डार्क जोन घोषित किया हुआ है। बावजूद इसके किसान भूजल स्तर को दोहन कर साठी धान लगा रहे हैं। इंद्री क्षेत्र में भी धड़ल्ले से साठी धान लगाई जा रही है, लेकिन विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।वैज्ञानिक मापदंड के आधार पर धान में प्रति एक किलो चावल की पैदावार के लिए 3000 से 3500 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है, जबकि उचित समय पर लगाई गई धान में यह लागत घट कर 1500 लीटर रह जाती है। अगेती धान में लगभग सारा पानी भूमिगत जल से मिलता है। नलकूप से निकली जल धारा कृषि के लिए अति आवश्यक है। करनाल जिले में धान की खरीफ की मुख्य फसल है। पिछले कुछ वर्षो से गेहूं की कटाई के तत्काल बाद धान की अगेती फसल साठी धान लगाने का भी प्रचलन बढ़ रहा है।कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक जिले में अगेती साठी धान या अन्य किस्म की धान हो उसके लिए जिले के 63 हजार 952 नलकूपों द्वारा 2.60 करोड़ लीटर पानी को किसान जमीन से निकालते हैं। पानी के अत्याधिक दोहन के चलते जिले को सरकार द्वारा डार्क जोन घोषित किया जा चुका है। पिछले 10 वर्ष में करनाल के जल स्तर की गिरावट 0.90 मीटर की दर से हो रही है। भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप सामान्य ट्यूबवेल ठप हो चुके हैं। हर जगह सबमर्सीबल लग चुके है

वीओ  - 15 जून से पहले धान की रोपाई करना अवैध है। 15 मई से पहले धान की नर्सरी भी नहीं लगाई जा सकती। जिन किसानों ने साठी धान लगाई है उनको नोटिस जारी किए थे, स्वयं धान नष्ट नहीं करने की सूरत में विभाग की तरफ से एक्शन लिया जाता है। जिन किसानों ने धान की रोपाई कर दी है चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जारी रही है। हमारी टीमें फील्ड में पूरी तरह सक्रिय हैं। जिन्होंने रोपाई की है उनकी धान की फसल को नष्ट कराया जाएगा।

डॉ. आदित्य प्रताप डबास, डीडीए करनाल।

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