करनाल: आबादी बढ़ने के साथ ही दूग्ध उत्पादों की मांग भी बेतहाशा बढ़ रही है. ये मांग तब पूरी होगी जब जानवरों की संख्या बढ़ेगी. हरियाणा कृषि प्रधान होने के साथ ही पशुधन प्रधान प्रदेश भी रहा है. यहां का पशुधन पूरे देश में जाना जाता है, लेकिन जानवरों की बढ़ती संख्या के साथ ही इनकी देखभाल बड़ी चुनौती है.
ईटीवी भारत ने सीएम सिटी करनाल में इसकी पड़ताल की तो पता चला सरकारी डॉक्टरों का टोटा है. जिसके चलते इलाज के नाम पर पुशपालकों को प्राइवेट डॉक्टरों को मोटी रकम चुनानी पड़ती है.
ये भी पढे़ं- गुरुग्राम: दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए 34 हजार पशुधन क्रेडिट कार्ड बनाने का लक्ष्य
पशुपालकों के मुताबिक करनाल के नीलोखेड़ी ब्लॉक के अंदर 30 से 40 गांव आते हैं. एक डॉक्टर के पास कई गांव के चार्ज हैं. जिसके चलते समय पर सरकारी डॉक्टर नहीं मिलते. पशुओं की बड़ी संख्या होने के कारण पशुधन मालिक अपने जानवरों का टीका भी निजी डॉक्टरों से लगवाते हैं.

4 लाख पशुधन पर महज 34 डॉक्टर
लोगों के आरोपों की तस्दीक करने के लिए ईटीवी ने करनाल पशु चिकित्सालय के उपनिदेशक डॉ धर्मेंद्र से संपर्क किया. डॉक्टर धर्मेंद्र के जवाब के मुताबिक डॉक्टरों की कमी तो है. उनके मुताबिक करनाल में 53 पशु चिकित्सालय हैं, लेकिन मौजूदा समय में केवल 34 डॉक्टर हैं और 19 पद खाली हैं. पूरे करनाल जिले में करीब 4 लाख पशु हैं. हलांकि इसके बावजूद उनका दावा है कि एक फोन कॉल पर लोगों को घर जाकर सुविधा दी जाती है.
ये भी पढ़ें- अब 200 रुपये में गाय देगी बछड़ी को जन्म, कम रेट पर किसानों को जल्द मिलेगा टीका
हरियाणा दूध उत्पादन में देश के सबसे अगड़े राज्यों में आता है. यहां की मुर्रा नस्ल की भैंसें देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में जानी जाती हैं. पशुधन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार हैं. लेकिन बढ़ती संख्या के साथ उनकी देखभाल किसानों के लिए चुनौती हैं. सरकार को पशुओं के लिए ज्यादा गंभीर होने की जरूरत है.