कैथल: जिले को सीधे उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाली कैथल-करनाल-मेरठ रेल लाइन निर्माण के लिए 2017 में शुरू हुआ सर्वे 2019 के अंत में पूरा हो चुका है. केंद्र सरकार ने सर्वे पूरा होने के बाद 3 हजार 282 करोड़ रुपये का बजट का प्रस्ताव भी पास कर दिया है, अब ये प्रोजेक्ट रेलवे विभाग की हरी झंडी के इंतजार में है.
रेलवे की तरफ से कैथल से मेरठ वाया करनाल तक 175 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बिछाने का सर्वे किया गया था. इस प्रस्तावित रेलवे लाइन पर 23 रेलवे स्टेशन बनेंगे. लेकिन ये काम रेलवे बोर्ड की हरी झंडी मिलने के बाद ही स्वीकृत हो पाएगा. इस वर्ष फरवरी में बजट जारी होने के बाद जारी होने वाली पिक बुक में कार्य शामिल होने के बाद ही कार्य शुरू हो पाने की उम्मीद है.
ये रहेगा रूट
रेलवे की तरफ से किए सर्वे के मुताबिक कैथल जिला मुख्यालय से पूंडरी, हाबड़ी, करनाल के निसिग, बहलालपुर, शेखपुरा, बिड़ौली सैयद, झिझाना, शामली जिले के गुजरान बलवा, खंदरावली, कांधला, मुजफ्फरनगर जिले का राजपुर, जौला, बुढ़ाना, तलहेरा, मेरठ जिले के सरधना, दौराला, कस्बे से मेरठ तक रेलवे लाइन का रूट निकला गया है.
रेल कल्याण समिति के चेयरमैन सतपाल गुप्ता ने बताया कि कैथल के लोगों की नई रेलवे लाइन और नई ट्रेनों के शुरू होने की बहुत मांगे हैं. मेरठ तक रेलवे लाइन के लिए सर्वे कार्य पूरा होने के बाद निर्माण कार्य को हरी झंडी मिल जानी चाहिए. रेलवे लाइन का निर्माण होने के बाद काफी लोगों को फायदा होगा.
काम पूरा होने में लगेगा काफी समय
उन्होंने कहा कि किसी भी नई रेलवे लाइन का निर्माण होता है तो उसमें कई वर्षों का समय लग जाता है. उत्तर रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों के मुताबिक नई रेलवे लाइन बिछाने में काफी समय लगता है. उन्होंने बताया कि मेरठ शामली, करनाल और कैथल रेलवे परियोजना को पूरा होने में भी दस साल से ज्यादा का समय लगेगा.
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रेल कल्याण समिति के चेयरमैन ने बताया कि नई रेलवे लाइन निर्माण की प्रक्रिया को पूरा करने का अधिकार रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के पास होता है. सर्वे पूरा होने और बजट मिलने के बाद भी कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, जिस कारण प्रोजेक्ट के पूरा होने में लंबा समय लगता है. उन्होंने बताया कि बोर्ड के अधिकारी ही तय करते हैं कि किस समय कहां पर क्या करना है.