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प्रदूषण के मामले में दूसरे नंबर पर कैथल, 133 किसानों पर लग चुका है 3.5 लाख का जुर्माना

कैथल में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए विभाग ने 133 किसानों को करीब साढ़े तीन  लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. बता दें कि कैथल हरियाणा में प्रदूषण के मामले में दूसरे नंबर पर है.

second polluted district of haryana
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Published : Nov 3, 2019, 5:21 PM IST

कैथल: वातावरण में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. इस प्रदूषण को रोकने के लिए जिला प्रशासन कई माह से लगा हुआ है लेकिन तीन-तीन विभागों के प्रयासों के बाद भी कैथल में वातावरण प्रदूषण का स्तर राज्य में दूसरे स्थान पर बना हुआ है. बढ़ रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए विभाग ने 133 किसानों को करीब साढ़े तीन लाख रुपए का जुर्माना भी लगा दिया है.

प्रदूषण से लोगों की आंख में जलन
हालांकि प्रदूषण विभाग कहना है कि पिछले साल की तुलना में जिले में किसानों ने खेतों में धान के अवशेष जलाने के मामलों में 60 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन इसके बावजूद भी प्रदूषण के मामले में यह हाल बना हुआ है. वातावरण प्रदूषण बढने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस कारण लोगों को घर से निकलते ही आंखों में जलन होने लगती है.

कैथल में प्रदूषण, देखें वीडियो

कैथल में बढ़ा प्रदूषण का स्तर
सुबह से लेकर शाम तक आसमान में स्मॉग फैला रहता है. लोगों को सांस लेने में भी परेशानी होने लगी है. अस्पताल में आंख और गले के मरीजों की संख्या में एकदम से इजाफा हो गया है. पूरे राज्य में कैथल जिले का प्रदूषण स्तर दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है. बारिश और तेज हवा न चलने के कारण प्रदूषण का स्तर कम नहीं हो रहा है.

लोगों को रही परेशानी
लगातार बढ़ रहा प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है. जो लोग पहले ही सांस की बीमारी से परेशान हैं, ऐसे लोगों के लिए परेशानी ओर बढ़ सकती है. डॉक्टरों ने भी लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दी है. जिला प्रशासन और कृषि विभाग के अधिकारी भी पिछले कई महीनों से किसानों को पर्यावरण के प्रति सचेत कर रह हैं.

अधिकारी लोगों को कर रहे जागरूक
कृषि अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को शिविरों के माध्यम से धान की पराली न जलाने के लिए सचेत कर रहे हैं. जिला प्रशासन की ओर से सरपंचों को धान के अवशेष न जलाने को लेकर भी जागरूक किया जा रहा है. सरपंचों को आदेश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने गांव में मुनादी करवा दें कि अवशेष जलाने पर एफआइआर दर्ज होगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा. खेतों में फसलों के अवशेष जलाने से भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है.

अवशेष जलाने के मामलों में 60 प्रतिशत की कमी
कृषि उपनिदेशक डा. पवन कुमार शर्मा ने बताया कि पिछले डेढ़ माह से अधिक से रेवन्यू विभाग, पंचायत विभाग और कृषि विभाग के संयुक्त प्रयासों से काम कर रहे हैं. पिछले वर्ष 31 अक्टूबर तक उनके पास खेतों में अगजनी के 1056 मामले आए थे. अबकी बार 898 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 456 मामले जांच में फेक पाए गए हैं. देखा गया है कि पिछने वर्ष की तुलना में अबकी बार आगजनी की घटनाओं में 60 प्रतिशत की कमी आई है.

ये भी पढ़ें:-देश के सबसे प्रदूषित राज्यों में हरियाणा शामिल, शहरों में टॉप पर हिसार

जुर्माना न भरने पर होगी कार्रवाई
कृषि उपनिदेशक पवन शर्मा ने बताया कि कृषि विभाग ने किसानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए 133 किसानों को 2500 रुपए के हिसाब से जुर्माना किया है. जो किसान जुर्माने का भुगतान नहीं करेंगे उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा.

कैथल: वातावरण में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. इस प्रदूषण को रोकने के लिए जिला प्रशासन कई माह से लगा हुआ है लेकिन तीन-तीन विभागों के प्रयासों के बाद भी कैथल में वातावरण प्रदूषण का स्तर राज्य में दूसरे स्थान पर बना हुआ है. बढ़ रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए विभाग ने 133 किसानों को करीब साढ़े तीन लाख रुपए का जुर्माना भी लगा दिया है.

प्रदूषण से लोगों की आंख में जलन
हालांकि प्रदूषण विभाग कहना है कि पिछले साल की तुलना में जिले में किसानों ने खेतों में धान के अवशेष जलाने के मामलों में 60 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन इसके बावजूद भी प्रदूषण के मामले में यह हाल बना हुआ है. वातावरण प्रदूषण बढने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस कारण लोगों को घर से निकलते ही आंखों में जलन होने लगती है.

कैथल में प्रदूषण, देखें वीडियो

कैथल में बढ़ा प्रदूषण का स्तर
सुबह से लेकर शाम तक आसमान में स्मॉग फैला रहता है. लोगों को सांस लेने में भी परेशानी होने लगी है. अस्पताल में आंख और गले के मरीजों की संख्या में एकदम से इजाफा हो गया है. पूरे राज्य में कैथल जिले का प्रदूषण स्तर दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है. बारिश और तेज हवा न चलने के कारण प्रदूषण का स्तर कम नहीं हो रहा है.

लोगों को रही परेशानी
लगातार बढ़ रहा प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है. जो लोग पहले ही सांस की बीमारी से परेशान हैं, ऐसे लोगों के लिए परेशानी ओर बढ़ सकती है. डॉक्टरों ने भी लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दी है. जिला प्रशासन और कृषि विभाग के अधिकारी भी पिछले कई महीनों से किसानों को पर्यावरण के प्रति सचेत कर रह हैं.

अधिकारी लोगों को कर रहे जागरूक
कृषि अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को शिविरों के माध्यम से धान की पराली न जलाने के लिए सचेत कर रहे हैं. जिला प्रशासन की ओर से सरपंचों को धान के अवशेष न जलाने को लेकर भी जागरूक किया जा रहा है. सरपंचों को आदेश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने गांव में मुनादी करवा दें कि अवशेष जलाने पर एफआइआर दर्ज होगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा. खेतों में फसलों के अवशेष जलाने से भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है.

अवशेष जलाने के मामलों में 60 प्रतिशत की कमी
कृषि उपनिदेशक डा. पवन कुमार शर्मा ने बताया कि पिछले डेढ़ माह से अधिक से रेवन्यू विभाग, पंचायत विभाग और कृषि विभाग के संयुक्त प्रयासों से काम कर रहे हैं. पिछले वर्ष 31 अक्टूबर तक उनके पास खेतों में अगजनी के 1056 मामले आए थे. अबकी बार 898 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 456 मामले जांच में फेक पाए गए हैं. देखा गया है कि पिछने वर्ष की तुलना में अबकी बार आगजनी की घटनाओं में 60 प्रतिशत की कमी आई है.

ये भी पढ़ें:-देश के सबसे प्रदूषित राज्यों में हरियाणा शामिल, शहरों में टॉप पर हिसार

जुर्माना न भरने पर होगी कार्रवाई
कृषि उपनिदेशक पवन शर्मा ने बताया कि कृषि विभाग ने किसानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए 133 किसानों को 2500 रुपए के हिसाब से जुर्माना किया है. जो किसान जुर्माने का भुगतान नहीं करेंगे उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा.

Intro:बढ़ रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए विभाग ने 133 किसानों को करीब साढ़े तीन  लाख रुपए का जुर्माना भी ठोका है।Body:कैथल में लगातार वातावरण में प्रदूषण का बढ़ता जा रहा है। इस प्रदूषण को रोकने के लिए जिला प्रशासन कई माह से लगा हुआ है लेकिन तीन तीन विभागों के प्रयासों के बाद भी कैथल में वातावरण प्रदूषण का स्तर राज्य में दूसरे स्थान पर है।  बढ़ रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए विभाग ने 133 किसानों को करीब साढ़े तीन  लाख रुपए का जुर्माना भी ठोका है। हालांकि विभाग कह रहा है कि पिछले वर्ष की तुलना में जिले में किसानों द्वारा खेतों में धान के अवशेष जलाने में 60 प्रतिशत कमी आई है लेकिन कमी के बाद भी यह हाल है। वातावरण प्रदूषण बढऩे के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण लोगों को घर से निकलते ही आंखों में जलन होने लगती है। सुबह से लेकर शाम तक आसमान में स्मॉग फैला रहता है। लोगों को सांस लेने में भी परेशानी होने लगी है। अस्पताल में आंख व गले के मरीजों की संक्चया में भी एकदम से इजाफा हुआ है। पूरे राज्य में कैथल का प्रदूषण का स्तर दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है। बारिश व तेज हवा न चलने के कारण प्रदूषण का स्तर कम नहीं हो रहा है। हालांकि लगातार बढ़ रहा प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। जो लोग पहले ही अस्थमा व सांस की बीमारी से परेशान हैं, ऐसे लोगों के लिए परेशानी ओर बढ़ सकती है। डाञ्चटरों ने भी लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दी है। जिला प्रशासन व कृषि विभाग के अधिकारी भी पिछले कई महीनों से किसानों को पर्यावरण के प्रति सचेत कर रह हैं। कृषि अधिकारियों ने गांव गांव जाकर किसानों को शिविरों के माध्यम से धान की पराली न जलाने के लिए सचेत कर रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से सरपंचों को धान के अवशेष न जलाने को लेकर भी जागरूक किया जा रहा है। सरपंचों को आदेश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने गांव में मुनादी करवा दें कि अवशेष जलाने पर एफआइआर दर्ज होगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा। खेतों में फसलों के अवशेष जलाने से भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। कृषि उपनिदेशक डा. पवन कुमार शर्मा ने बताया कि पिछले डेढ़ माह से अधिक से रेवन्यू विभाग, पंचायत विभाग व कृषि विभाग संयुञ्चत प्रयासों से काम कर रहे हैं। पिछले वर्ष 31 अक्टूबर  तक उनके पास खेतों में अगजनी के 1056 मामले आए थे। अबकी बार 898 मामले प्रकाश में आए हैं जिनमें से 456 मामले जांच में फेक पाए गए हैं। देखा गया है कि पिछने वर्ष की तुलना में अबकी बार आगजनी की घटनाओं में 60 प्रतिशत की कमी आई है। कृषि उपनिदेशक पवन शर्मा ने बताया कि कृषि विभाग ने किसानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए 133 किसानों को 2500 रुपए के हिसाब से जुर्माना किया है। उन्होंने बताया कि जो किसान जुर्माने का भुगतान नहीं करेंगे उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।
किसानो द्वारा खेतो में फसलों के अवशेषों को आग लगाने को लेकर लोगो से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि किसानो द्वारा खेतो में आग लगाने से वातावरण में भारी  प्रदूषण  फ़ैल जाता है जिस कारण आम लोगो को साँस लेना भी मुश्किल हो जाता है।  उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।   
 Conclusion: कैथल कृषि उपनिदेशक डा. पवन शर्मा 
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