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क्या सुरजेवाला का किला भेद पाएगी BJP? 2014 चुनाव में सिर्फ एक सीट पर खिला था 'कमल' - Political situation of Kaithal assembly

हरियाणा का चुनावी रण हर दिन रोचक होता जा रहा है. इस बार बीजेपी ने कैथल में रणदीप सुरजेवाला के गढ़ में सेंध लगाने के लिए पूरी ताकत लगा दी है. हालांकि 2014 में मोदी की लहर में रणदीप सुरजेवाला का किला टस से मस नहीं हुआ था.

randeep surjewala won two time from kaithal constituency
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Published : Oct 14, 2019, 7:09 AM IST

कैथल: हरियाणा में हर रोज सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. सभी पार्टियों ने चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी है लेकिन इस बार के चुनाव में किसी पार्टी के लिए राह इतनी भी आसान होती नहीं दिख रही है. कांग्रेस के धुरंधरों को हराने के लिए बीजेपी ने सारी रणनीति बना ली है.

कैथल में अब तक 6 बार जीती कांग्रेस

अगर कैथल की बात करें तो. कैथल में 1967 से लेकर 2014 तक कुल 12 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. जिसमें से कांग्रेस 6 बार जीती है. साल 2005 में इंडियन नेशनल लोकदल के विधायक लीला राम को हराकर रणदीप सुरजेवाला के पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला ने जीत हासिल की थी.

तब से अभी तक इस सीट पर कांग्रेस का ही वर्चस्व बना हुआ है. पिछले दो विधानसभा यानि 2009 और 2014 में यहां से रणदीप सुरजेवाला विधायक बने. कैथल की चुनावी फिजा भी इस बार बदली हुई है. जींद उपचुनाव में हार के बाद इस बार बड़ा सवाल ये है कि क्या बीजेपी कांग्रेस के दिग्गज रणदीप सुरजेवाला को कैथल में भी पटखनी दे पाएगी.

रणदीप सुरजेवाला के गढ़ में सैंध लगाने की तैयारी में बीजेपी, देखें वीडियो

क्या कैथल में सेंध लगा पाएगी बीजेपी?

बीजेपी के लिए रणदीप सुरजेवाला के गढ़ में सेंध लगाना इतना आसान नहीं होगा. साल 2014 में जब पूरे देश में मोदी नाम की आंधी चल रही थी उस समय भी रणदीप सुरजेवाला ने यहां अपनी जीत का परचम लहराया था. कैथल में चार विधानसभा सीटें हैं. 2014 में बीजेपी केवल एक सीट ही जीत पाई थी. दो सीटें पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए थे. सुरजेवाला ने 23 हजार से ज्यादी वोटों से जीत हासिल की थी.

ये भी पढ़ें:-अबकी बार वादों की बौछार, जानिए किस पार्टी ने घोषणा पत्र में किये कौन-से बड़े वादे ?

कैथल में बीजेपी की रणनीति

कांग्रेस ने इस बार भी भरोसा जताते हुए सुरजेवाला को टिकट दिया है. वहीं बीजेपी ने भी इस बार रणदीप सुरजेवाला को हराने के लिए कैथल से लीला राम गुर्जर को टिकट दिया है. लीला राम एक बार फिर से सुरजेवाला के सामने मैदान में खड़े हैं. जब सुरजेवाला के पिता ने लीलाराम को हराया था उस समय लीला राम इनेलो से विधायक थे लेकिन बाद में बीजेपी में शामिल हो गए और इस बार बीजेपी ने उनको भी दिया है. बीजेपी लगातार रणदीप सुरजेवाला के गढ़ में एक के बाद एक रैली कर अपनी ताकत दिखा रही है.

गृहमंत्री अमित शाह, केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर समेत कई मंत्री दिग्गज रैली कर चुके हैं. कैथल में बनिया और गुर्जर समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. शायद ये भी बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है कि सीएम मनोहर लाल ने कैथल के क्योडक गांव को गोद लिया है. देखना होगा कि बीजेपी रणदीप सुरजेवाला का किला भेद पाती है या नहीं.

कैथल: हरियाणा में हर रोज सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. सभी पार्टियों ने चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी है लेकिन इस बार के चुनाव में किसी पार्टी के लिए राह इतनी भी आसान होती नहीं दिख रही है. कांग्रेस के धुरंधरों को हराने के लिए बीजेपी ने सारी रणनीति बना ली है.

कैथल में अब तक 6 बार जीती कांग्रेस

अगर कैथल की बात करें तो. कैथल में 1967 से लेकर 2014 तक कुल 12 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. जिसमें से कांग्रेस 6 बार जीती है. साल 2005 में इंडियन नेशनल लोकदल के विधायक लीला राम को हराकर रणदीप सुरजेवाला के पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला ने जीत हासिल की थी.

तब से अभी तक इस सीट पर कांग्रेस का ही वर्चस्व बना हुआ है. पिछले दो विधानसभा यानि 2009 और 2014 में यहां से रणदीप सुरजेवाला विधायक बने. कैथल की चुनावी फिजा भी इस बार बदली हुई है. जींद उपचुनाव में हार के बाद इस बार बड़ा सवाल ये है कि क्या बीजेपी कांग्रेस के दिग्गज रणदीप सुरजेवाला को कैथल में भी पटखनी दे पाएगी.

रणदीप सुरजेवाला के गढ़ में सैंध लगाने की तैयारी में बीजेपी, देखें वीडियो

क्या कैथल में सेंध लगा पाएगी बीजेपी?

बीजेपी के लिए रणदीप सुरजेवाला के गढ़ में सेंध लगाना इतना आसान नहीं होगा. साल 2014 में जब पूरे देश में मोदी नाम की आंधी चल रही थी उस समय भी रणदीप सुरजेवाला ने यहां अपनी जीत का परचम लहराया था. कैथल में चार विधानसभा सीटें हैं. 2014 में बीजेपी केवल एक सीट ही जीत पाई थी. दो सीटें पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए थे. सुरजेवाला ने 23 हजार से ज्यादी वोटों से जीत हासिल की थी.

ये भी पढ़ें:-अबकी बार वादों की बौछार, जानिए किस पार्टी ने घोषणा पत्र में किये कौन-से बड़े वादे ?

कैथल में बीजेपी की रणनीति

कांग्रेस ने इस बार भी भरोसा जताते हुए सुरजेवाला को टिकट दिया है. वहीं बीजेपी ने भी इस बार रणदीप सुरजेवाला को हराने के लिए कैथल से लीला राम गुर्जर को टिकट दिया है. लीला राम एक बार फिर से सुरजेवाला के सामने मैदान में खड़े हैं. जब सुरजेवाला के पिता ने लीलाराम को हराया था उस समय लीला राम इनेलो से विधायक थे लेकिन बाद में बीजेपी में शामिल हो गए और इस बार बीजेपी ने उनको भी दिया है. बीजेपी लगातार रणदीप सुरजेवाला के गढ़ में एक के बाद एक रैली कर अपनी ताकत दिखा रही है.

गृहमंत्री अमित शाह, केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर समेत कई मंत्री दिग्गज रैली कर चुके हैं. कैथल में बनिया और गुर्जर समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. शायद ये भी बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है कि सीएम मनोहर लाल ने कैथल के क्योडक गांव को गोद लिया है. देखना होगा कि बीजेपी रणदीप सुरजेवाला का किला भेद पाती है या नहीं.

Intro:एंकर -
हरियाणा में विधानसभा चुनाव सभी राजनीतिक दालों की तरफ से अधिक से अधिक सीटों पर जीत का दावा ठोका जा रहा है । हरियाणा विधानसभा के चुनाव में कई दिग्गजों की साख दांव पर है । कई सीटों पर चुनाव बेहद रोमांचक और अहम नजर आ रहा है । हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को पटखनी देने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं हरियाणा के पूर्व मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला की बात की जाए तो इस बार से कैथल से ताल ठोक रहे हैं । रणदीप सिंह सुरजेवाला का यह चुनाव काफी अहम है जिसमें भारतीय जनता पार्टी भी पूरी तरह से जोर आजमाइश कर रही है । बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं गृहमंत्री अमित शाह भी रैलियों के माध्यम से रणदीप सिंह सुरजेवाला पर हमला बोल चुके हैं । रणदीप सिंह सुरजेवाला का यह चुनाव इसलिए भी काफी है है क्योंकि इससे पहले जींद उपचुनाव में रणदीप सिंह सुरजेवाला कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जरूर लड़े थे मगर करारी हार सुरजेवाला को झेलनी पड़ी थी भारतीय जनता पार्टी की तरफ से रणदीप सिंह सुरजेवाला का दुर्ग फतेह करने के लिए भी एड़ी चोटी का जोर लगा जा रहा है हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो रणदीप सिंह सुरजेवाला की लिए इस बार कई चुनौतियां हैं जबकि कई ऐसी बातें हैं जो सुरजेवाला के पक्ष में जाती है ।


Body:वीओ -
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला की साख भी दांव पर है जिस तरह से अमित शाह बड़े मंचों से हूं रणदीप सिंह सुरजेवाला पर हमला बोल रहे हैं उसके बाद कैथल विधानसभा सीट पर भी सभी की निगाहें हैं । कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला अक्सर भाजपा सरकार पर निशाना साधते नजर आते हैं साथ ही कांग्रेस का भी बचाव करते हैं । हरियाणा के जिन बड़े नेताओं के दुर्ग भेदने का प्रयास भारतीय जनता पार्टी कर रही है उसमें रणदीप सिंह सुरजेवाला भी एक है । भारतीय जनता पार्टी के लिए रणदीप सिंह सुरजेवाला का दुर्ग भेजना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सुरजेवाला की गिनती कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में होती है सुरजेवाला अगर चुनाव हारते है तो ये बड़ा झटका कांग्रेस के लिए रहेगा । वहीं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला को हराने वाले रणदीप सिंह सुरजेवाला के लिए यह चुनाव इसलिए भी अहम हैं क्योंकि इससे पहले जींद उपचुनाव में उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी है । जींद उपचुनाव की हार का गम जीत की खुशी में बदलना सुरजेवाला के लिए बड़ी चुनोती रहेग ।
हालांकि राजनीतिक विश्लेषक रणदीप सिंह सुरजेवाला कि इस चुनाव में जीत और हार को लेकर कई अहम फैक्टर देखते हैं जो दोनों ही स्थितियों में अहम रहेंगे । वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक नरेश कौशल की माने तो रणदीप सिंह सुरजेवाला के पक्ष में कई बातें जाती हैं मगर सुरजेवाला के खिलाफ भी कई ऐसे मुद्दे हैं जो जनता के मन में बैठे तो सुरजेवाला के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है ।
जींद उपचुनाव लड़ना -
कैथल से मौजूदा विधायक रहते हुए जींद उपचुनाव लड़ना रणदीप सिंह सुरजेवाला के खिलाफ बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है । माना जा रहा है कि 2009 के चुनाव में सुरजेवाला को कैथल से मिली जीत के बाद उससे भी बड़े अंतर से 2014 में सुरजेवाला को कैथल की जनता ने जितवा कर विधानसभा भेजा था । विपक्षी पार्टियों के साथ-साथ आम लोगों में भी रणदीप सिंह सुरजेवाला के कैथल छोड़कर जींद में जाकर चुनाव लड़ने की चर्चाएं आम हैं । जींद उपचुनाव में रणदीप सिंह सुरजेवाला को करारी हार झेलनी पड़ी थी यह भी उन लोगों के मन में रहेगा , ऐसे में कैथल की जनता रणदीप सिंह सुरजेवाला के जींद से उपचुनाव लड़ने को कितनी गंभीरता से देखती है यह देखना होगा ।

दिल्ली में व्यस्तथात -
रणदीप सिंह सुरजेवाला राष्ट्रीय स्तर पर काफी सक्रिय हैं हर मुद्दों को लेकर कांग्रेस का पक्ष रखने वाले रणबीर सिंह सुरजेवाला कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने के बाद दिल्ली में ज्यादा समय गुजारना पड़ रहा है । विपक्षी नेताओं समेत आम लोगों की तरफ से भी यह सिखाते हैं कि सुरजेवाला अपने गृह क्षेत्र में अधिकतर हाजिरी नहीं देते हैं ।

विधानसभा में कम हाजिरी -
दूसरी तरफ हरियाणा विधानसभा में सुरजेवाला की कम हजरियो और जनता के मुद्दों को सदन में ना उठाने का मुद्दा भी विपक्षी पार्टियों की तरफ से रखा जा रहा है । इस मुद्दे को लेकर आम जनता में भी चर्चा बनी रहती है कि आखिर विधायक महोदय विधानसभा में हलके के मुद्दे नहीं रखेंगे तो विकास कार्य और समस्याएं किस तरह से दूर हो पाएंगे ।

बीजेपी की घेराबंदी -
अमित शाह ने सीधे मंच से रणदीप सिंह सुरजेवाला पर निशाना साधा है वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री समेत हरियाणा के कई मंत्री सीधे रणदीप सिंह सुरजेवाला को निशाने पर लेते रहे हैं । भाजपा सीधे तौर पर हरियाणा के इनेलो और कांग्रेस के बड़े नेताओं के गृह क्षेत्र में अपना खास प्रभाव बनाना चाहती है ।

जाट आरक्षण आंदोलन -
नरेश कौशल के अनुसार जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान कैथल के भी कई व्यापारियों की दुकानें तोड़ी गई जिसका अभी भी कई वर्गों में गुस्सा है जनता रणदीप सिंह सुरजेवाला से सवाल पूछ सकती है कि जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान आखिर वो कहां रहे ।


कांग्रेस का प्रचार अभियान धीमा -
भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता लगातार हरियाणा में ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं जिस तरह से बीजेपी का चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है इतने बड़े स्तर पर कांग्रेस एक्टिव नजर नहीं आ रही बड़े नेता अभी भी चुनावी कार्यक्रमों से नदारद नजर आ रहे हैं ऐसे में जितनी देरी से कांग्रेस का प्रचार अभियान जोर पकड़ेगा उतना रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ-साथ कांग्रेस के अन्य उम्मीदवारों को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है ।

हालांकि रणदीप सिंह सुरजेवाला के पक्ष में भी कई बातें जरूर जाती हैं --

पक्ष में -

रणदीप सिंह सुरजेवाला अच्छे वक्ता मिलनसार नेता एवं आम जनता के सा थ के बीच पकड़ रखने वाले नेता हैं । 2014 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद रणदीप सिंह सुरजेवाला कैथल से और भी बड़ी अंतर से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे । मंत्री रहते हुए रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कैथल में कई काम किए हैं जिसके बदौलत ही जनता ने उन्हें 2014 के विधानसभा चुनाव में फिर मौका दिया ।

राष्ट्रीय स्तर की राजनीति -
अपने हलके को पूरा समय ना दे नहीं जैसे आरोप रणदीप सिंह सुरजेवाला पर लगते जरूर हैं मगर उसके दूसरी तरफ रणदीप सिंह सुरजेवाला राष्ट्रीय स्तर पर कॉन्ग्रेस का जहां बचाव करते नजर आते हैं वहीं कई मुद्दों को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर हमला भी बोलते नजर आते हैं यह रणदीप सिंह सुरजेवाला के पक्ष में रह सकता है ।

कांग्रेस में बड़ा कद-
रणदीप सिंह सुरजेवाला कांग्रेस में बड़ा कद रखते हैं ऐसे में अगर हरियाणा में कांग्रेस बहुमत ले लेती है तो सुरजेवाला की तरफ से मंचों पर किए जाने बाद वाले वादों के ध्यान में रखते हुए जनता वोट कर सकती है सुरजेवाला अक्सर जनता को हरियाणा की चाबी कैथल में लेकर आने की बात करते हैं ( यानी उनकी ओर कांग्रेस के बहुमत पर उनका सीएम बनना तय है ) ऐसे में जनता मतदान के समय इस वादे को ध्यान में रख सकती है ।
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Conclusion:हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञों विश्लेषकों की माने तो रणदीप सिंह सुरजेवाला के जहां पक्ष में कई बातें जा रही हैं वहीं कुछ मुद्दे सुरजेवाला के खिलाफ भी हैं जो सुरजेवाला के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं ऐसे में देखना यह होगा कि कैथल की जनता जब 22 अक्टूबर को मतदान करेगी तो उनके जहन में क्या रहेगा ।
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