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कैथल: जलभराव के चलते खनोद गांव में खराब हुई धान की फसल - खनोद गांव जलभराव कैथल

कैथल के खनोद गांव में पिछले एक महीने से धान लगे खेतों में जलभराव है. जिसके चलते फसलें खराब हो गई हैं.

paddy crop destroyed due to waterlogging in khanod village kaithal
जलभराव के चलते खनोद गांव में खराब हुई धान की फसल
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Published : Aug 1, 2020, 9:06 PM IST

कैथल: मानसून का दौर जारी है. इसी दौरान किसानों के चेहरे मानसून पर आने से खिल जाते हैं, लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं जो की मानसून का शिकार हो जाते हैं. क्योंकि उनके खेतों में जलभराव हो जाता है. जिससे उनकी फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है. ईटीवी भारत ने कैथल के गांव खनोद में देखा कि वहां पर सैकड़ों एकड़ भूमि पर धान लगाई हुई है और वहां पूरा एरिया पिछले एक महीने से जलमग्न पड़ा हुआ है.

जलभराव के चलते खनोद गांव में खराब हुई धान की फसल

इस बारे में किसान धर्म सिंह और कुलदीप ने बताया कि 5 जुलाई को जो मानसून की बरसात हुई थी. तब से ही उनके खेतों में पानी भरा हुआ है. उनकी फसल पर एक एकड़ में लगभग 15 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं. अब नौबत ये आ चुकी है कि दोबारा उनको धान की रोपाई करनी पड़ेगी, लेकिन अब खर्च उससे भी ज्यादा होगा. क्योंकि धान की रोपाई करने के लिए इस समय धान की नर्सरी मुश्किल से मिलेगी. वहीं मजदूर मिलेंगे या नहीं इसकी भी चिंता है.

उन्होंने कहा कि सरकार का कोई भी नुमाइंदा हमारे पास नहीं आया है और ना ही कृषि विभाग की तरफ से पिछले एक महीने से हमारे बीच में कोई अधिकारी आया है. जो हमारी समस्या को जाने. अब एक महीना बीत जाने के बाद वो खुद अपना इंजन लगाकर पानी निकाल रहे हैं. किसानों ने बताया कि गांव में लगभग 800 एकड़ खेती योग्य भूमि है. जिसमें से ज्यादातर जलमग्न पड़ी हुई है. किसानों को इससे भारी नुकसान हुआ है.

बीजेपी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है, लेकिन इन हालातों से नहीं लगता कि उनकी आय इस तरह से दोगुनी हो सकती है. जहां पर एक एकड़ में किसान का 20 हजार रुपये खर्च होता था. अब वहां पर 40 हजार खर्च किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: हिसार: 17 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे रोडवेज कर्मचारी, चक्का जाम की चेतावनी

कैथल: मानसून का दौर जारी है. इसी दौरान किसानों के चेहरे मानसून पर आने से खिल जाते हैं, लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं जो की मानसून का शिकार हो जाते हैं. क्योंकि उनके खेतों में जलभराव हो जाता है. जिससे उनकी फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है. ईटीवी भारत ने कैथल के गांव खनोद में देखा कि वहां पर सैकड़ों एकड़ भूमि पर धान लगाई हुई है और वहां पूरा एरिया पिछले एक महीने से जलमग्न पड़ा हुआ है.

जलभराव के चलते खनोद गांव में खराब हुई धान की फसल

इस बारे में किसान धर्म सिंह और कुलदीप ने बताया कि 5 जुलाई को जो मानसून की बरसात हुई थी. तब से ही उनके खेतों में पानी भरा हुआ है. उनकी फसल पर एक एकड़ में लगभग 15 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं. अब नौबत ये आ चुकी है कि दोबारा उनको धान की रोपाई करनी पड़ेगी, लेकिन अब खर्च उससे भी ज्यादा होगा. क्योंकि धान की रोपाई करने के लिए इस समय धान की नर्सरी मुश्किल से मिलेगी. वहीं मजदूर मिलेंगे या नहीं इसकी भी चिंता है.

उन्होंने कहा कि सरकार का कोई भी नुमाइंदा हमारे पास नहीं आया है और ना ही कृषि विभाग की तरफ से पिछले एक महीने से हमारे बीच में कोई अधिकारी आया है. जो हमारी समस्या को जाने. अब एक महीना बीत जाने के बाद वो खुद अपना इंजन लगाकर पानी निकाल रहे हैं. किसानों ने बताया कि गांव में लगभग 800 एकड़ खेती योग्य भूमि है. जिसमें से ज्यादातर जलमग्न पड़ी हुई है. किसानों को इससे भारी नुकसान हुआ है.

बीजेपी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है, लेकिन इन हालातों से नहीं लगता कि उनकी आय इस तरह से दोगुनी हो सकती है. जहां पर एक एकड़ में किसान का 20 हजार रुपये खर्च होता था. अब वहां पर 40 हजार खर्च किया जाएगा.

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