कैथल: हरित क्रांति के बाद से देश के किसानों ने आधुनिक खेती को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा...जैसे-जैसे वक्त बदला खेती भी बदलती चली गई. कीटनाशकों के इस्तेमाल से लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ने लगा, इसलिए अब किसानों ने एक बार फिर जैविक खेती की ओर रुख करना शुरू कर दिया है.
हम बात कर रहे हैं कैथल के प्योदा गांव के किसान सतबीर गिल की. सतबीर गिल अपने खेत में अमरूद, नींबू, बेर, किन्नू, संतरा और गन्ने की फसल उगाते हैं. उनका मानना है कि जैविक फल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है और इसमें मेहनत भी कम होती है.
किसान सतबीर के बाग में लगने वाले अमरूद और नींबू की मांग हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ तक है. सतबीर बताते हैं कि उनको अपने फल बेचने के लिए बाजार भी नहीं जाना पड़ता, बल्कि व्यापारी और ग्राहक फल खरीदने के लिए सीधा उनके बगीचे आते हैं.
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खेतों में ज्यादा केमिकल रसायनों का प्रयोग करना स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है. साथ ही इससे किसानों पर भी आर्थिक बोझ बढ़ रहा है. ऐसे में जैविक खेती को बढ़ावा मिले ये बेहद जरूरी है. कैथल के इस किसान ने ये बता दिया है कि अगर थोड़ी सी समझदारी और बरती जाए, तो खर्च कम होगा और मुनाफा ज्यादा.
सतबीर गिल की कहानी से काफी किसान प्रेरित हो रहे हैं. 3-4 सालों में ही उन्होंने खेती का तरीका बदला और आज उनकी तरक्की की तस्वीर आपके सामने है. वो कृषि क्षेत्र में जैविक खेती को एक बार फिर जिंदा करने में अहम भूमिक निभा रहे हैं.