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कोरोना काल में फेल हुआ डोर-टू-डोर सफाई अभियान, घरेलू कचरे का नहीं हुआ निष्पादन

कैथल के हर चौक चौराहे पर आपको गंदगी के ढेर देखने को मिल जाएंगे. लोगों का कहना है कि जो डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए वाहन आता था, वो भी आना अब बंद हो गया है. नगर परिषद के अधिकारियों को इस बारे में शिकायत की गई. लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई.

domestic garbage clearance
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Published : Aug 30, 2020, 2:16 PM IST

Updated : Aug 31, 2020, 1:43 PM IST

कैथल: कोरोना वायरस से बचने के लिए लोग अब साफ सफाई पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. इस महामारी के दौर में सरकार और प्रशासन की तरफ से भी स्वचछ्ता पर काफी जोर दिया जा रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने ये जानने की कोशिश की कि शहरों में सफाई व्यवस्था का क्या हाल है. क्या नगर परिषद या नगर निगम के जरिए घरेलू कचरे का सही से निष्पादन किया जा रहा है. कोरोना काल में सफाई का स्तर बढ़ा है या घटा है.

ईटीवी भारत हरियाणा का रियलिटी चेक

इन्हीं सवालों जवाब पाने के लिए हमारी टीम ने कैथल जिले में रियलिटी चेक किया और यहां के लोगों से बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि प्रशासन की तरफ से सफाई के कोई खास इंतजाम नहीं किए गए हैं.

कोरोना काल में फेल हुआ डोर-टू-डोर सफाई अभियान

कैथल के हर चौक चौराहे पर आपको गंदगी के ढेर देखने को मिल जाएंगे. लोगों का कहना है कि जो डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए वाहन आता था, वो भी आना अब बंद हो गया है. नगर परिषद के अधिकारियों को इस बारे में शिकायत की गई. लेकिन कोई भी इस मामले पर संज्ञान नहीं लेता. जिसके चलते वो खुद इन नालियों की सफाई करते हैं.

स्वास्थ्य कर्मियों को नहीं मिली सुविधाएं

शहर में कुछ लोगों ने माना कि डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए गाड़ियां दो-तीन दिन में एक बार आती हैं. जब हमने डोर टू डोर कचरा उठाने वाले कर्मचारी रवि से बात कि तो उसने चौकाने वाले खुलासे किए. रवि ने बताया कि नगर परिषद की तरफ से ना तो उन्हें मास्क दिए गए हैं और ना ही सैनिटाइजर. उन्होंने कहा कि सुरक्षा के लिए भी उन्हें विभाग की तरफ से कुछ नहीं मिला है

सफाई कर्मचारियों के नेता विक्की ने भी नगर परिषद और अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि नगर परिषद की तरफ से कोई प्रबंध नहीं किए गए हैं. ना ही उनकी सैलरी वक्त पर मिल रही है. वहीं निगम अधिकारी से जब इस बारे में बात की गई तो वो फिर से दावा किया कि सफाई कर्मियों को सभी सुविधाएं दी गई हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना काल: लोगों में तनाव की समस्या से आत्महत्या और घरेलू हिंसा के मामलों में हुई बढ़ोतरी

सफाई कर्मचारी रवि का कहना है कि शहर में 31 वार्ड हैं. जबकि डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए 12 वाहन हैं. हालांकि डोर टू डोर कचरा उठाने का काम 85 कर्मचारी काम करते हैं. झाडू लगाने वाले सफाई कर्मचारियों की बात की जाए तो शहर में उनकी संख्या 170 के करीब है. बता दें कि सफाई सर्वेक्षण में राज्य में कैथल को 14 रैंक मिली है. पहले ये 18 थी. अगर बात करें पूरे भारत की कैथल 199 नंबर पर रहा है. पहले ये 357 नंबर पर था. लेकिन हकिकत में तो कुछ और ही नजर आ रहा है.

कैथल: कोरोना वायरस से बचने के लिए लोग अब साफ सफाई पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. इस महामारी के दौर में सरकार और प्रशासन की तरफ से भी स्वचछ्ता पर काफी जोर दिया जा रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने ये जानने की कोशिश की कि शहरों में सफाई व्यवस्था का क्या हाल है. क्या नगर परिषद या नगर निगम के जरिए घरेलू कचरे का सही से निष्पादन किया जा रहा है. कोरोना काल में सफाई का स्तर बढ़ा है या घटा है.

ईटीवी भारत हरियाणा का रियलिटी चेक

इन्हीं सवालों जवाब पाने के लिए हमारी टीम ने कैथल जिले में रियलिटी चेक किया और यहां के लोगों से बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि प्रशासन की तरफ से सफाई के कोई खास इंतजाम नहीं किए गए हैं.

कोरोना काल में फेल हुआ डोर-टू-डोर सफाई अभियान

कैथल के हर चौक चौराहे पर आपको गंदगी के ढेर देखने को मिल जाएंगे. लोगों का कहना है कि जो डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए वाहन आता था, वो भी आना अब बंद हो गया है. नगर परिषद के अधिकारियों को इस बारे में शिकायत की गई. लेकिन कोई भी इस मामले पर संज्ञान नहीं लेता. जिसके चलते वो खुद इन नालियों की सफाई करते हैं.

स्वास्थ्य कर्मियों को नहीं मिली सुविधाएं

शहर में कुछ लोगों ने माना कि डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए गाड़ियां दो-तीन दिन में एक बार आती हैं. जब हमने डोर टू डोर कचरा उठाने वाले कर्मचारी रवि से बात कि तो उसने चौकाने वाले खुलासे किए. रवि ने बताया कि नगर परिषद की तरफ से ना तो उन्हें मास्क दिए गए हैं और ना ही सैनिटाइजर. उन्होंने कहा कि सुरक्षा के लिए भी उन्हें विभाग की तरफ से कुछ नहीं मिला है

सफाई कर्मचारियों के नेता विक्की ने भी नगर परिषद और अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि नगर परिषद की तरफ से कोई प्रबंध नहीं किए गए हैं. ना ही उनकी सैलरी वक्त पर मिल रही है. वहीं निगम अधिकारी से जब इस बारे में बात की गई तो वो फिर से दावा किया कि सफाई कर्मियों को सभी सुविधाएं दी गई हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना काल: लोगों में तनाव की समस्या से आत्महत्या और घरेलू हिंसा के मामलों में हुई बढ़ोतरी

सफाई कर्मचारी रवि का कहना है कि शहर में 31 वार्ड हैं. जबकि डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए 12 वाहन हैं. हालांकि डोर टू डोर कचरा उठाने का काम 85 कर्मचारी काम करते हैं. झाडू लगाने वाले सफाई कर्मचारियों की बात की जाए तो शहर में उनकी संख्या 170 के करीब है. बता दें कि सफाई सर्वेक्षण में राज्य में कैथल को 14 रैंक मिली है. पहले ये 18 थी. अगर बात करें पूरे भारत की कैथल 199 नंबर पर रहा है. पहले ये 357 नंबर पर था. लेकिन हकिकत में तो कुछ और ही नजर आ रहा है.

Last Updated : Aug 31, 2020, 1:43 PM IST
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