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जींद में मकान निर्माण की परमिशन देने में देरी कर रहा निगम, लोग हुए परेशान

जींद में नए घरों के निर्माण कार्यों के लिए प्रशासन द्वारा पिछले दो साल में सिर्फ 10 नक्शों को ही पास कर घर बनाने की मंजूरी दी गई है. स्थानीय लोगों ने नगर निगम पर काम को धीमी गति करने के आरोप लगाए हैं तो दूसरी तरफ बहुत से लोग बिना परमिशन लिए ही घरों का निर्माण कर रहे हैं, जो कि निमयों के खिलाफ है.

jind nagar nigam house construction permission
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Published : Sep 17, 2020, 5:12 PM IST

जींद: नक्शा पास करवाने के लिए भले ही सरकार ने ऑनलाइन प्रक्रिया की शुरुआत की हो, लेकिन जींद में आज भी लोग जागरूक नहीं हुए हैं. इसके अलावा जो आवेदन दिए भी गए हैं उनमें भी नगर निगम की ओर से परमिशन देने में देरी की जा रही है. 19 नवंबर 2018 से सरकार ने ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन जिले में अभी तक सिर्फ 324 आवेदन नक्शा पास करवाने के लिए नगर निगम के पास पहुंचे हैं और इनमें से भी सिर्फ 10 नक्शों को ही नगर निगम द्वारा मंजूरी दी गई है.

दो साल में आए 324 आवेदनों में से सिर्फ 10 को मिला अप्रूवल

19 नवंबर 2018 से सरकार ने मकान बनाने के लिए नक्शा पास कराने की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया था, ताकि लोग घर बैठे ही नगर निगम से ऑनलाइन घर या बिल्डिंग का नक्शा पास करवाकर निर्माण कार्य की शुरुआत करवा सकें, लेकिन जब से ऑनलाइन प्रक्रिया की शुरुआत हुई है, तब से नक्शे पास करवाने की संख्या में बेहद कमी आई है. करीब दो साल में जींद नगर परिषद में सिर्फ 324 आवेदन नक्शा पास करवाने के लिए आए हैं, जिनमें से सिर्फ 10 ही नगर पालिका परिषद द्वारा अप्रूव किए गए हैं.

जींद में मकान निर्माण की परमिशन देने में देरी कर रहा निगम, लोग हुए परेशान

नगर निगम के ढीले रवैये से परेशान लोग

बता दें कि जींद में नगर निगम के दायरे में आने वाले 53,358 मकानों में से 10% से भी कम मकानों के नक्शे नगर निगम द्वारा पास करवाए गए हैं. अब ऐसे में ये स्पष्ट होता है कि शहर में ज्यादातर मकान बिना नक्शे के यानि अवैध रूप से बनाए गए हैं.

लोगों का ये भी कहना है कि उन्होंने नगर निगम को नक्शा पास करवाने के लिए आवेदन भी दिया है, लेकिन निगम के ढ़ीले रवैये के कारण नक्शा पास नहीं किया गया और मजबूरन उन्हें बिना इजाजत लिए ही मकान का निर्माण कार्य शुरू करवाना पड़ा. वहीं मकान बना रहे एक अन्य नागरिक ने बताया कि नगर निगम में एनओसी लेने के लिए उसने कई चक्कर लगाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

दो साल तक निगम कार्यालय के लगाने पड़े चक्कर

नक्शा पास करवाने के लिए आवेदन कर चुके बलजीत सिंहरोहा ने बताया कि उन्होंने 2 साल पहले नक्शा पास करवाने के लिए आवेदन किया था. ऑफिस के कई चक्कर लगाने पड़े थे कभी जेई द्वारा फाइल हटा दी जाती तो कभी कागजों की मांग की जाती है. कुछ अधिकारी भी भ्रष्टाचार के लिए फाइलों को उलझाते रहते हैं और 1 साल कार्यालय के चक्कर लगाने के बाद नक्शा पास किया जाता है. यानि कोई व्यक्ति अगर नए घर का निर्माण करवाने का विचार कर रहा हो तो वो नक्शा पास कराने के लिए करीब एक से दो साल तक इंतजार करे या फिर बिना इजाजत ही अवैध तरीके से घर का निर्माण करे.

अवैध निर्माण करने वालों पर रखी जा रही है नजर

जींद नगर निगम के कार्यकारी अधिकारी एसके चौहान से जब नक्शे कम पास होने का सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इस समस्या को लेकर एक मुहिम चलाई जा रही है और कई लोगों को नक्शा पास करवाने को लेकर नोटिस भी दिए गए हैं. वहीं अवैध रूप से बन रहे मकानों पर विभाग द्वारा निगरानी रखी जा रही है और उन पर कार्रवाई भी कि जाएगी.

अब सवाल ये भी उठता है कि क्या ऑनलाइन प्रक्रिया सभी लोगों को समझ आ रही है या नहीं, क्यों कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो आज भी कंप्यूटर या स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने के आदी नहीं है और ऐसे में ऑनलाइन सिस्टम को समझना उनके लिए थोड़ा मुश्किल साबित हो रहा है. वहीं नगर निगम द्वारा परमिशन देने में की जा रही सुस्ती भी सवालों के घेरे में हैं.

ये भी पढ़िए: 30 सितम्बर को रिटायर हो रहीं केशनी आनंद अरोड़ा, इन्हें मिल सकती है जिम्मेदारी

जींद: नक्शा पास करवाने के लिए भले ही सरकार ने ऑनलाइन प्रक्रिया की शुरुआत की हो, लेकिन जींद में आज भी लोग जागरूक नहीं हुए हैं. इसके अलावा जो आवेदन दिए भी गए हैं उनमें भी नगर निगम की ओर से परमिशन देने में देरी की जा रही है. 19 नवंबर 2018 से सरकार ने ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन जिले में अभी तक सिर्फ 324 आवेदन नक्शा पास करवाने के लिए नगर निगम के पास पहुंचे हैं और इनमें से भी सिर्फ 10 नक्शों को ही नगर निगम द्वारा मंजूरी दी गई है.

दो साल में आए 324 आवेदनों में से सिर्फ 10 को मिला अप्रूवल

19 नवंबर 2018 से सरकार ने मकान बनाने के लिए नक्शा पास कराने की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया था, ताकि लोग घर बैठे ही नगर निगम से ऑनलाइन घर या बिल्डिंग का नक्शा पास करवाकर निर्माण कार्य की शुरुआत करवा सकें, लेकिन जब से ऑनलाइन प्रक्रिया की शुरुआत हुई है, तब से नक्शे पास करवाने की संख्या में बेहद कमी आई है. करीब दो साल में जींद नगर परिषद में सिर्फ 324 आवेदन नक्शा पास करवाने के लिए आए हैं, जिनमें से सिर्फ 10 ही नगर पालिका परिषद द्वारा अप्रूव किए गए हैं.

जींद में मकान निर्माण की परमिशन देने में देरी कर रहा निगम, लोग हुए परेशान

नगर निगम के ढीले रवैये से परेशान लोग

बता दें कि जींद में नगर निगम के दायरे में आने वाले 53,358 मकानों में से 10% से भी कम मकानों के नक्शे नगर निगम द्वारा पास करवाए गए हैं. अब ऐसे में ये स्पष्ट होता है कि शहर में ज्यादातर मकान बिना नक्शे के यानि अवैध रूप से बनाए गए हैं.

लोगों का ये भी कहना है कि उन्होंने नगर निगम को नक्शा पास करवाने के लिए आवेदन भी दिया है, लेकिन निगम के ढ़ीले रवैये के कारण नक्शा पास नहीं किया गया और मजबूरन उन्हें बिना इजाजत लिए ही मकान का निर्माण कार्य शुरू करवाना पड़ा. वहीं मकान बना रहे एक अन्य नागरिक ने बताया कि नगर निगम में एनओसी लेने के लिए उसने कई चक्कर लगाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

दो साल तक निगम कार्यालय के लगाने पड़े चक्कर

नक्शा पास करवाने के लिए आवेदन कर चुके बलजीत सिंहरोहा ने बताया कि उन्होंने 2 साल पहले नक्शा पास करवाने के लिए आवेदन किया था. ऑफिस के कई चक्कर लगाने पड़े थे कभी जेई द्वारा फाइल हटा दी जाती तो कभी कागजों की मांग की जाती है. कुछ अधिकारी भी भ्रष्टाचार के लिए फाइलों को उलझाते रहते हैं और 1 साल कार्यालय के चक्कर लगाने के बाद नक्शा पास किया जाता है. यानि कोई व्यक्ति अगर नए घर का निर्माण करवाने का विचार कर रहा हो तो वो नक्शा पास कराने के लिए करीब एक से दो साल तक इंतजार करे या फिर बिना इजाजत ही अवैध तरीके से घर का निर्माण करे.

अवैध निर्माण करने वालों पर रखी जा रही है नजर

जींद नगर निगम के कार्यकारी अधिकारी एसके चौहान से जब नक्शे कम पास होने का सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इस समस्या को लेकर एक मुहिम चलाई जा रही है और कई लोगों को नक्शा पास करवाने को लेकर नोटिस भी दिए गए हैं. वहीं अवैध रूप से बन रहे मकानों पर विभाग द्वारा निगरानी रखी जा रही है और उन पर कार्रवाई भी कि जाएगी.

अब सवाल ये भी उठता है कि क्या ऑनलाइन प्रक्रिया सभी लोगों को समझ आ रही है या नहीं, क्यों कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो आज भी कंप्यूटर या स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने के आदी नहीं है और ऐसे में ऑनलाइन सिस्टम को समझना उनके लिए थोड़ा मुश्किल साबित हो रहा है. वहीं नगर निगम द्वारा परमिशन देने में की जा रही सुस्ती भी सवालों के घेरे में हैं.

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