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Tokyo Olympic 2020: महज 19 साल की उम्र में ओलंपिक में 'दंगल' करेगी हरियाणा की ये छोरी

टोक्यो ओलंपिक 2021(Tokyo Olympic-2021) में देश को हरियाणा के जींद जिले की पहलवान अंशु मलिक से काफी उम्मीदें हैं. देशवासी अंशु मलिक से गोल्ड मेडल की आस लगाए बैठे हैं. वहीं अंशु भी रात दिन एक कर देशवासियों का ये सपना पूरा करने की कोशिश में लगी हैं.

Tokyo Olympic 2020
महज 19 साल की उम्र में ओलंपिक में 'दंगल' करेगी हरियाणा की ये छोरी
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Published : Jun 17, 2021, 5:03 AM IST

जींद: चीते सी चपल फुर्ती, बाज सी तेज नजर, मजबूत पकड़ और सामने वाले के लिए खौफ का दूसरा नाम है अंशु मलिक (wrestler anshu malik). हरियाणा के जींद जिले के छोटे से गांव निडानी से दंगल की शुरुआत करने वाली धाकड़ छोरी अब टोक्यो ओलंपिक का टिकट (Tokyo Olympic-2021) लेकर पोलैंड में प्रैक्टिस कर रही हैं.

बता दें कि जींद जिले के निडानी गांव में भारतीय महिला पहलवानी का चमकता सितारा हैं अंशु मलिक. उन्होंने 2 साल पहले जूनियर वर्ग में होते हुए भी सीनियर नेशनल खेला और गोल्ड मेडल झटका. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वो एक के बाद एक जीत दर्ज करते हुए 57 किलो भार वर्ग में देश के नंबर वन पहलवान भी बन चुकी हैं.

महज 19 साल की उम्र में ओलंपिक में 'दंगल' करेगी हरियाणा की ये छोरी

दादी से मिली खेलने की प्रेरणा

अंशु मलिक की मां मंजू मलिक ने बताया कि खेल की प्रेरणा अंशु को उनकी दादी ने दिलाई थी. दादी से प्रेरणा मिलने के बाद अंशु ने 2013 से खेल शुरू कर दिया था. इसके बाद उन्होंने लगातार मेडल हासिल किए हैं. अंशु की मां ने कहा कि परिवार के सभी लोग अंशु का बेटे की तरह ही ध्यान रखते हैं और खूब लाड करते हैं.

ये भी पढ़िए: टोक्यो में देश का झंडा ऊंचा करेगा हरियाणा के किसान का ये बेटा, बड़े-बड़े बॉक्सरों के छुड़ा चुका है पसीने

घंटों मेहनत करती हैं अंशु

मंजू मलिक ने बताया कि जब अंशु गांव में रहती है तो वो 4 घंटे सुबह और शाम को 4 घंटे प्रैक्टिस करती है. इस बार उन्हें पूरी उम्मीद है कि अंशु मेडल लेकर आएगी और देश का नाम रौशन करेगी. यहां पर ये बता दें कि एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड और विश्व कप में सिल्वर जीतने वाली अंशु मलिक को पहलवानी विरासत में मिली है. उनके ताऊ नेशनल लेवल के पहलवान थे और पिता भी पहलवान ही हैं. उन्होंने ही अंशु मलिक को शुरुआती दांव-पेंच सिखाए थे.

अंशु मलिक के पिता धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि उनकी बेटी ग्राउंड पोजीशन में थोड़ी कमजोर है, जिसपर अंशु ने काफी मेहनत भी की है. इसके अलावा पेंडिंग में उनकी बेटी काफी मजबूत है.

इसके साथ ही अंशु मलिक के पिता ने ये भी बताया कि अंशु ने पहलवानी की शुरुआत 2016 में सीबीएसएम स्पोर्ट्स कॉलेज से की थी. वैसे 2016 भी अंशु के लिए खासा अच्छा साबित हुआ, लेकिन नाम अंशु को 2017 में मिला जब वो वर्ल्ड चैंपियन बनी थी.

wrestler anshu malik jind
पहलवान अंशु मलिक

ये भी पढ़िए: टोक्यो ओलंपिक में भारत की 4 महिला पहलवान, चारों हरियाणा की, देखिए लिस्ट

पूरे देश को है मेडल की आस

टोक्यो में 23 जुलाई से 8 अगस्त तक ओलंपिक खेलों का आयोजन किया जाएगा. अंशु मलिक जब अखाड़े में उतरेंगी तो पूरे देश को उनसे गोल्ड मेडल की आस रहेगी. अंशु को भी देश की उम्मीदों का बखूबी अंदाजा है. यही वजह है कि वो दिनरात जी तोड़ मेहनत कर रही हैं और आप बस दुआ कीजिए.

जींद: चीते सी चपल फुर्ती, बाज सी तेज नजर, मजबूत पकड़ और सामने वाले के लिए खौफ का दूसरा नाम है अंशु मलिक (wrestler anshu malik). हरियाणा के जींद जिले के छोटे से गांव निडानी से दंगल की शुरुआत करने वाली धाकड़ छोरी अब टोक्यो ओलंपिक का टिकट (Tokyo Olympic-2021) लेकर पोलैंड में प्रैक्टिस कर रही हैं.

बता दें कि जींद जिले के निडानी गांव में भारतीय महिला पहलवानी का चमकता सितारा हैं अंशु मलिक. उन्होंने 2 साल पहले जूनियर वर्ग में होते हुए भी सीनियर नेशनल खेला और गोल्ड मेडल झटका. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वो एक के बाद एक जीत दर्ज करते हुए 57 किलो भार वर्ग में देश के नंबर वन पहलवान भी बन चुकी हैं.

महज 19 साल की उम्र में ओलंपिक में 'दंगल' करेगी हरियाणा की ये छोरी

दादी से मिली खेलने की प्रेरणा

अंशु मलिक की मां मंजू मलिक ने बताया कि खेल की प्रेरणा अंशु को उनकी दादी ने दिलाई थी. दादी से प्रेरणा मिलने के बाद अंशु ने 2013 से खेल शुरू कर दिया था. इसके बाद उन्होंने लगातार मेडल हासिल किए हैं. अंशु की मां ने कहा कि परिवार के सभी लोग अंशु का बेटे की तरह ही ध्यान रखते हैं और खूब लाड करते हैं.

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घंटों मेहनत करती हैं अंशु

मंजू मलिक ने बताया कि जब अंशु गांव में रहती है तो वो 4 घंटे सुबह और शाम को 4 घंटे प्रैक्टिस करती है. इस बार उन्हें पूरी उम्मीद है कि अंशु मेडल लेकर आएगी और देश का नाम रौशन करेगी. यहां पर ये बता दें कि एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड और विश्व कप में सिल्वर जीतने वाली अंशु मलिक को पहलवानी विरासत में मिली है. उनके ताऊ नेशनल लेवल के पहलवान थे और पिता भी पहलवान ही हैं. उन्होंने ही अंशु मलिक को शुरुआती दांव-पेंच सिखाए थे.

अंशु मलिक के पिता धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि उनकी बेटी ग्राउंड पोजीशन में थोड़ी कमजोर है, जिसपर अंशु ने काफी मेहनत भी की है. इसके अलावा पेंडिंग में उनकी बेटी काफी मजबूत है.

इसके साथ ही अंशु मलिक के पिता ने ये भी बताया कि अंशु ने पहलवानी की शुरुआत 2016 में सीबीएसएम स्पोर्ट्स कॉलेज से की थी. वैसे 2016 भी अंशु के लिए खासा अच्छा साबित हुआ, लेकिन नाम अंशु को 2017 में मिला जब वो वर्ल्ड चैंपियन बनी थी.

wrestler anshu malik jind
पहलवान अंशु मलिक

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पूरे देश को है मेडल की आस

टोक्यो में 23 जुलाई से 8 अगस्त तक ओलंपिक खेलों का आयोजन किया जाएगा. अंशु मलिक जब अखाड़े में उतरेंगी तो पूरे देश को उनसे गोल्ड मेडल की आस रहेगी. अंशु को भी देश की उम्मीदों का बखूबी अंदाजा है. यही वजह है कि वो दिनरात जी तोड़ मेहनत कर रही हैं और आप बस दुआ कीजिए.

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