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जींद: पटरी पर लौट रहा पोल्ट्री व्यवसाय, लॉकडाउन के बाद बढ़ी चिकन की डिमांड - पोल्ट्री व्यापारियों को राहत

लॉकडाउन के खत्म होने के बाद अब धीरे-धीरे पोल्ट्री व्यवसाय तेजी पकड़ने लगा है. जहां लॉकडाउन के दौरान मार्च, अप्रैल और मई में अंडे और चिकन के दामों में भारी गिरावट देखने को मिली थी तो वहीं अब दोबारा से डिमांड बढ़ने के साथ दाम भी बढ़ने लगे हैं. चिकन और अंडों की डिमांड बढ़ने से पोल्ट्री व्यापारियों ने राहत की सांस ली है.

jind poultry business returning on track, traders get relief
जींद: पटरी पर लौट रहा है पोल्ट्री व्यवसाय, व्यापारियों को मिली राहत
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Published : Sep 16, 2020, 2:04 PM IST

Updated : Sep 16, 2020, 2:29 PM IST

जींद: कोरोना वायरस की वजह से लागू हुए लॉकडाउन में सबसे ज्यादा नुकसान पोल्ट्री व्यवसाय करने वालों को हुआ. लॉकडाउन के दौरान अंडे और चिकन के दाम इतने नीचे गिर गए कि व्यापारियों के लिए ट्रांसपोर्ट खर्चा भी निकालना मुश्किल हो गया. अब लॉकडाउन हटने के बाद अंडा और चिकन के दामों में उछाल आने लगा है. जिसके बाद पोल्ट्री व्यवसायी थोड़ी राहत की सांस ले रहे हैं.

कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में लोगों की सेहत के साथ-साथ व्यापार में भी सबसे ज्यादा असर डाला है. इस वायरस की वजह से बड़े से लेकर छोटे उद्योग बिल्कुल ठप पड़ गए, करोड़ों नौकरियां चली गई, जिसकी वजह से लोगों के सामने दो वक्त की रोटी खाने के भी लाले पड़ गए थे.

पोल्ट्री व्यवसाय पर सबसे बुरा असर

कोरोना वायरस की भारत में एंट्री होते ही उद्योग जगत पर काफी बुरा असर हुआ. जिसकी वजह से सैकड़ों बड़ी कंपनियां बंद हो गई. लेकिस सबसे ज्यादा असर छोटे व्यापारियों पर हुआ, जो रोज़ाना कड़ी महनत कर अपना घर चलाते थे. बात की जाए पोल्ट्री से उद्योग की तो इन लोगों के लिए एक वक्त ऐसा भी आया, जब चिकन खरीदने वाले ग्राहक हीं नहीं मिल रहे थे. जिस वजह से पोल्ट्री फार्म में स्टॉक इतना ज्यादा हो गया था कि व्यवसायियों को घाटे के सौदे में 10 से 20 और ₹30 किलो तक मुर्गियां बेचनी पड़ी. व्यवसायियों का कहना था कि इससे ज्यादा खर्च तो उनके ट्रांसपोर्ट में लग जाता था.

जींद: पटरी पर लौट रहा पोल्ट्री व्यवसाय, लॉकडाउन के बाद बढ़ी चिकन की डिमांड

लॉकडाउन में 10, 20 और 30रुपये किलो तक बिका चिकन

पोल्ट्री फार्म मालिकों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले चिकन के 140 रुपये किलो तक बिक रहा था, लेकिन लॉकडाउन के दौरान वो ही चिकन 20 से ₹30 किलो तक बिकने लगा. वहीं अब लॉकडाउन खुलने लगा है तो चिकन के दाम आसमान छूने लगे हैं. जून और जुलाई के महीने में चिकन 230 रुपये किलो तक बिका और अगस्त में चिकन के दाम 200 रुपये तक रहे. अब सितंबर में फिलहाल चिकन 180 रुपये किलो तक मिल रहा है.

लॉकडाउन खत्म होने के बाद फिर बढ़े चिकन के दाम

लॉकडाउन के बाद सप्लाई पूरी ना होने की वजह से चिकन के दाम इस कदर बढ़ गए हैं कि लोगों की पहुंच से दूर होने लगा है. अब धीरे-धीरे सप्लाई बढ़ती जा रही है तो दाम नीचे आते जा रहे हैं. ऐसे में पोल्ट्री व्यवसाय करने वालों को अंडे का भाव भी बहुत तेज मिल रहा है. जिस अंडे की ट्रे जिसमें 30 अंडे होते हैं, वो लॉक डाउन से पहले 110 रुपए के हिसाब से मिलती थी लेकिन लॉकडाउन के दौरान वो 60 से 70 रुपये के हिसाब से मार्केट में बिक रही थी.

ये भी पढ़िए : राजस्थान : चंबल नदी में डूबी नाव, पांच की मौत, करीब दर्जन भर लापता

पोल्ट्री व्यापारी अंकित ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके पास 50,000 मुर्गियां थी, लेकिन अचानक लॉकडाउन लागू होने से बिक्री बंद हो गई. कुछ लोग कोरोना की वजह से डर रहे थे. ऐसे में हर रोज करीब 50,000 रुपये का फीड मुर्गियों को खिलाना पड़ता था. जिनका उन्हें कोई फायदा नहीं होता था.

अंकित ने बताया कि एक महीने से ज्यादा इंतजार करने के बावजूद हालात नहीं सुधरे और व्यापार में हो रहा घाटा बर्दाश्त नहीं कर सकते थे, इसलिए मजबूरी में 10 से 20 रुपये किलो तक मुर्गियां बेचनी पड़ी थी.

जींद: कोरोना वायरस की वजह से लागू हुए लॉकडाउन में सबसे ज्यादा नुकसान पोल्ट्री व्यवसाय करने वालों को हुआ. लॉकडाउन के दौरान अंडे और चिकन के दाम इतने नीचे गिर गए कि व्यापारियों के लिए ट्रांसपोर्ट खर्चा भी निकालना मुश्किल हो गया. अब लॉकडाउन हटने के बाद अंडा और चिकन के दामों में उछाल आने लगा है. जिसके बाद पोल्ट्री व्यवसायी थोड़ी राहत की सांस ले रहे हैं.

कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में लोगों की सेहत के साथ-साथ व्यापार में भी सबसे ज्यादा असर डाला है. इस वायरस की वजह से बड़े से लेकर छोटे उद्योग बिल्कुल ठप पड़ गए, करोड़ों नौकरियां चली गई, जिसकी वजह से लोगों के सामने दो वक्त की रोटी खाने के भी लाले पड़ गए थे.

पोल्ट्री व्यवसाय पर सबसे बुरा असर

कोरोना वायरस की भारत में एंट्री होते ही उद्योग जगत पर काफी बुरा असर हुआ. जिसकी वजह से सैकड़ों बड़ी कंपनियां बंद हो गई. लेकिस सबसे ज्यादा असर छोटे व्यापारियों पर हुआ, जो रोज़ाना कड़ी महनत कर अपना घर चलाते थे. बात की जाए पोल्ट्री से उद्योग की तो इन लोगों के लिए एक वक्त ऐसा भी आया, जब चिकन खरीदने वाले ग्राहक हीं नहीं मिल रहे थे. जिस वजह से पोल्ट्री फार्म में स्टॉक इतना ज्यादा हो गया था कि व्यवसायियों को घाटे के सौदे में 10 से 20 और ₹30 किलो तक मुर्गियां बेचनी पड़ी. व्यवसायियों का कहना था कि इससे ज्यादा खर्च तो उनके ट्रांसपोर्ट में लग जाता था.

जींद: पटरी पर लौट रहा पोल्ट्री व्यवसाय, लॉकडाउन के बाद बढ़ी चिकन की डिमांड

लॉकडाउन में 10, 20 और 30रुपये किलो तक बिका चिकन

पोल्ट्री फार्म मालिकों ने बताया कि लॉकडाउन से पहले चिकन के 140 रुपये किलो तक बिक रहा था, लेकिन लॉकडाउन के दौरान वो ही चिकन 20 से ₹30 किलो तक बिकने लगा. वहीं अब लॉकडाउन खुलने लगा है तो चिकन के दाम आसमान छूने लगे हैं. जून और जुलाई के महीने में चिकन 230 रुपये किलो तक बिका और अगस्त में चिकन के दाम 200 रुपये तक रहे. अब सितंबर में फिलहाल चिकन 180 रुपये किलो तक मिल रहा है.

लॉकडाउन खत्म होने के बाद फिर बढ़े चिकन के दाम

लॉकडाउन के बाद सप्लाई पूरी ना होने की वजह से चिकन के दाम इस कदर बढ़ गए हैं कि लोगों की पहुंच से दूर होने लगा है. अब धीरे-धीरे सप्लाई बढ़ती जा रही है तो दाम नीचे आते जा रहे हैं. ऐसे में पोल्ट्री व्यवसाय करने वालों को अंडे का भाव भी बहुत तेज मिल रहा है. जिस अंडे की ट्रे जिसमें 30 अंडे होते हैं, वो लॉक डाउन से पहले 110 रुपए के हिसाब से मिलती थी लेकिन लॉकडाउन के दौरान वो 60 से 70 रुपये के हिसाब से मार्केट में बिक रही थी.

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पोल्ट्री व्यापारी अंकित ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके पास 50,000 मुर्गियां थी, लेकिन अचानक लॉकडाउन लागू होने से बिक्री बंद हो गई. कुछ लोग कोरोना की वजह से डर रहे थे. ऐसे में हर रोज करीब 50,000 रुपये का फीड मुर्गियों को खिलाना पड़ता था. जिनका उन्हें कोई फायदा नहीं होता था.

अंकित ने बताया कि एक महीने से ज्यादा इंतजार करने के बावजूद हालात नहीं सुधरे और व्यापार में हो रहा घाटा बर्दाश्त नहीं कर सकते थे, इसलिए मजबूरी में 10 से 20 रुपये किलो तक मुर्गियां बेचनी पड़ी थी.

Last Updated : Sep 16, 2020, 2:29 PM IST
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