जींद: देश में जब भी खेती की बात होती है तो हरियाणा का नाम सबसे पहले लोगों के जहन में आता है. क्योंकि हरियाणा की जमीन खेती के लिए बेहद अनुकूल है. पिछले कुछ समय से प्रदेश के किसानों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
साल भर में सिर्फ 42 दिन ही मिलता है खेतों को पानी
बात जींद की करते हैं जहां जिले में ऐसी कोई नदी नहीं है. जिससे साल के 12 महीने खेतों को पानी मिले, बल्कि यहां सिर्फ 42 दिन ही नहरों में पानी आता है. जिससे ज्यादातर खेत प्यासे ही रह जाते हैं. ज्यादातर किसान ट्यूबवेल के पानी पर ही निर्भर है क्योंकि भूमिगत जल बेहद खराब है.
पानी खपत में हर साल वृद्धि हो रही है और तेजी से भूजल स्तर गिर रहा है. किसानों की ये समस्या देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई योजना हर खेत को पानी के तहत जींद जिले में एक नया प्रोजेक्ट लगाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट से सीवर के गंदे पानी को ट्रीट करके प्रयोग करने लायक बनाया जाएगा. जिसकी मदद से 3 हजार एकड़ से ज्यादा खेत में सिंचाई हो पाएगी.
प्रशासन का दावा नए प्रोजेक्ट से होगा समाधान
सिंचाई विभाग के एसई मंगतराम ने बताया कि जिले का पहला सूक्ष्म सिंचाई प्रोजेक्ट जाजवान गांव में बनकर तैयार होगा. सोलर आधारित इस प्रोजेक्ट से गांव जाजवान, ढांडा खेड़ी, ईक्कस, ईंटल कलां, ईंटल खुर्द, अहिरका सहित जींद विधानसभा क्षेत्र के कुल 12 गांवों के हर खेत को पानी मिलेगा.
जिसके लिए जींद जिले को 28 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है. परियोजना के तहत जींद शहर से निकलने वाले सीवर के गंदे पानी को ट्रीट किया जाएगा. ट्रीट करके पानी को सिंचाई के लिए पाइपलाइन दबाकर सोलर सिस्टम से प्रेशर के साथ खेतों में पहुंचाया जाएगा.
किसानों का आरोप, पानी के नाम पर सिर्फ बरगलाया जाता है
जहां एक तरफ सिंचाईं विभाग के सीनियर इंजीनियर का दावा है कि जल्द ही जींद के ग्रामीण क्षेत्रों में हर खेत को पानी पहुंचाया जाएगा तो दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ बड़े-बड़े दावे ही करते ही रहते हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है.
किसान नेता सुनील चहल का कहना है कि पानी के नाम पर किसानों को सिर्फ बरगलाया ही जाता है. किसानों ने तो ये तक कह दिया कि बरोदा उपचुनाव को देखते हुए सरकार ने नहरों का पानी बरोदा की तरफ डाइवर्ट कर दिया और जींद जिले के खेत प्यासे ही रह गए हैं.
सिंचाई विभाग के एक्सईएन अनिल सभरवाल से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उनका कहना है कि हांसी ब्रांच की कैपसिटी को बढ़ाया जा रहा है. अब इस ब्रांच की क्षमता 6000 क्यूसेक है, जिसे बढ़ाकर 8000 क्यूसेक किया जा रहा है. जिससे जींद जिले में किसानों को सीधे तौर पर फायदा होगा और करीब 35000 हेक्टेयर जमीन को पानी मिलेगा.
कागजों पर नहीं जमीनी स्तर पर करना होगा काम
किसानों को जब बताया गया कि हांसी ब्रांच की क्षमता बढ़ाई जा रही है और जल्द ही उनके खेतों को जरुरत के हिसाब से पानी मिलेगा तो वो प्रशासन द्वारा कही गई बातों को मानने के लिए तैयार नहीं है. किसान दलबीर का कहना है कि नहरों की क्षमता बढ़ाना सिर्फ कागजी बातें हैं और मौजूदा परिस्थितियों से किसान बहुत दुखी है.
सरकार और किसान के बीच खींचतान लगातार जारी है. प्रशासन का कहना है कि जून 2021 तक सरकार का प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा और पानी की समस्या खत्म हो जाएगी. लेकिन प्रदेश के किसान को तभी विश्वास होगा, जब ये बातें सिर्फ कागज पर नहीं जमीनी स्तर भी पूरी होंगी.
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