जींद: उर्वरकों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से खेती जहरीली होती जा रही है. इसकी वजह से जमीन की उर्वरक क्षमता दिन-प्रतिदिन कम हो रही है. फसलों में बीमारी इतनी बढ़ गई हैं कि कीटनाशकों का छिड़काव करना किसानों की मजबूरी बन गई है. इससे जमीन तो बंजर होती ही है साथ ही जीव-जंतुओं पर भी इसका दुषप्रभाव पड़ रहा है. जिसकों ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 27 कीटनाशकों को प्रतिबंधित कर दिया है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों से कीटनाशक पदार्थों की रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें ये बात सामने आई कि 27 ऐसे कीटनाशक हैं, जिनका इस्तेमाल मनुष्य, पशु-पक्षियों, जलीय जीवों के लिए खतरनाक है. इसके बाद केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इन कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है.
इन कीटनाशकों को किया प्रतिबंधित
ऐसफेट, अल्ट्राजाइन, बेनफराकारब, बुटाक्लोर, कैप्टन, कारबेडेंजिम, कार्बोफ्यूरान, क्लोरप्यरिफॉस, 2.4-डी, डेल्टामेथ्रीन, डिकोफॉल, डिमेथोट, डाइनोकैप, डियूरॉन, मालाथियॉन, मैनकोजेब, मिथोमिल, मोनोक्रोटोफॉस, ऑक्सीफ्लोरीन, पेंडिमेथलिन, क्यूनलफॉस, सलफोसूलफूरोन, थीओडीकर्ब, थायोफनेट मिथाइल, थीरम, जीनेब और जीरम शामिल हैं.
क्या है किसानों की मांग?
इसपर किसानों का कहना है कि फैसला अच्छा है, लेकिन बिना कीटनाशकों के खेती करने दिक्कत बहुत होगी, कुछ कीटनाशक खरपतवारों को खत्म करने के लिए है. अगर खरपतवार खत्म नहीं होगी तो फसल में बड़ा नुकसान होगा. किसानों के पास लेबर भी बहुत कम है और अब दवाइयां बंद होने से उनका काम और बढ़ जाएगा. जिससे फसल में ज्यादा खर्चा होगा और पैदावार भी कम होगी.
किसान मनोज ने कहा कि सरकार ने कीटनाशकों पर फैसला बड़ी देरी से लिया है. दूसरे देशों में 20-30 साल पहले से ही मोनोक्रोटोफस दवाई बैन है. लेकिन हमारे यहां अब ये फैसला लिया गया है. अभी भी हमारे पास इसका कोई अल्टरनेट मौजूद नहीं है. किसानों को बता कर और जागरुक करने के बाद सरकार को ये फैसला लेना चाहिए था.
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वहीं कृषि विशेषज्ञ और कई सालों से किसानों के हक की आवाज उठाने वाले किसान रामफल कंडेला ने कहा कि पेस्टिसाइड का मामला संज्ञान में लिया वो बहुत सही है, सरकार ने इनको बंद करने की घोषणा तो कर दी है लेकिन उसके अल्टरनेट पर कोई जानकारी किसानों को नहीं दी गई. अगर फसल में कोई बीमारी आती है तो उसका विकल्प सरकार बताए.
रामफल कंडेला ने कहा कि अगर किसान जैविक खेती को अपना तो लेंगे लेकिन सरकार पहले फसलों को लेकर एमएसपी घोषित करें, आजतक इस बारे में कोई बात नहीं की गई, सरकार ने बिना किसी तैयारी के ये फैसला लिया है. जो किसानों के लिए बड़ा नुकसानदायक होगा.