जींद: जालंधर की एक नेटवर्क कंपनी का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. कंपनी ने लोगों को जोड़कर करीब 16 करोड़ रुपए एकत्रित कर लिए और फिर फरार हो गई. कंपनी से जुड़े लोगों को जब इस धोखाधड़ी के बारे में पता चला तो कंपनी के खिलाफ पुलिस को शिकायत दी.
इलेक्ट्रॉनिक्स का सस्ता सामान उपलब्ध करवाने और सोना देने के नाम पर ठगी करने वाली पंजाब की एमएलएम कंपनी के संचालक के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस ने शिकायतकर्ता से वो दस्तावेज मंगवाए हैं, जिनके माध्यम से उन्होंने कंपनी में पैसा निवेश किया था.
इसमें कंपनी किस तरह से लोगों को स्कीम देकर ठगी कर रही थी, इन सभी के आधार पर शुरुआती जांच होगी. पुलिस ने अर्बन एस्टेट निवासी सज्जन मलिक से कंपनी के खिलाफ सबूत एकत्रित करने शुरू कर दिए हैं. सभी सबूत एकत्रित होने के बाद ही पुलिस कंपनी संचालक सीईओ गुरविंद्र सिंह, एमडी रणजीत सिंह व गगनदीप के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगी.
सज्जन मलिक ने डीआईजी जींद कार्यालय में दी शिकायत में बताया कि वर्ष 2017 में उसने नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी एमएलएम में काम शुरू किया था. इसमें लोगों की शृंखला बनानी थी. कंपनी से जुड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति को दो हजार रुपये प्रतिमाह की 11 किस्त जमा करनी थी. 12वीं किस्त कंपनी खुद जमा करती थी. 24 हजार रुपये जमा होने पर कंपनी से जुड़े व्यक्ति को बाजार से सस्ती कीमत पर इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान देती थी. इसमें व्यक्ति को ऊपर होता था कि वो कौन सा आइटम लेगा.
इसके बाद कंपनी ने 2017 में सोने का काम शुरू किया. इसमें भी वही पद्धति अपनाई गई. इसके तहत कंपनी दो हजार रुपये मासिक दर से 11 महीने तक किस्त जमा करवाती थी. 12वीं किस्त कंपनी देती थी. कंपनी ने दावा किया था कि वो 22 हजार रुपये लेकर 24 हजार कीमत का शुद्ध सोना देगी. कंपनी ने नवंबर 2019 तक उपभोक्ताओं को ठीक सोना दिया. इसके बाद उसने सोना और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान को देना बंद कर दिया, मगर लोगों से पैसे जमा करवाती रही.
जुलाई 2020 में कंपनी कार्यालय को ताला लगाकर फरार हो गई. इसमें सज्जन सिंह की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है. पुलिस के मुताबिक सज्जन मलिक से कंपनी के खिलाफ सबूत एकत्रित किए जा रहे हैं. सबूत एकत्रित होने के बाद सभी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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इस कंपनी ने जींद, रोहतक, पानीपत, सोनीपत, बहादुरगढ़, कैथल और पंजाब से भी करीब 42 हजार लोगों का नेटवर्क बना लिया था. इन लोगों से कंपनी ने लोगों से विदेश यात्रा के नाम करीब 90 लाख रुपए लिए थे और वीजा लगवाने के नाम पर जींद के आसपास के जिलों के 15 लोगों से 50-50 हजार रुपए कुल साढ़े 7 लाख रुपए लिए थे. ये 50-50 हजार रुपए वीजा लगवाते समय फाइलों के खर्च को लेकर लिए थे.