जींदः कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बुधवार को नरवाना, उचाना और जींद की अनाज मंडियों का दौरा किया. इस दौरान सुरजेवाला ने गेहूं और सरसों की खरीद को लेकर आढ़ती, किसान और मजदूरों से उनकी समस्या जानी. वहीं रणदीप सुरजेवाला ने प्रदेश सरकार पर किसान, आढ़ती और मजदूर के गठजोड़ को तोड़ने का षडयंत्र करने का आरोप लगाया और फसल खरीद की पुरानी नीति को बहाल करने की मांग की.
मंडियों में किसान और मजदूर बेहाल
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रदेश की 99 प्रतिशत मंडियों में किसान और मजदूर बेहाल हैं. सरकार अपनी हठधर्मिता के कारण आढ़ती, किसान और मजदूर के गठबंधन को तोड़ने का षडयंत्र रच रही है. लेकिन कांग्रेस इस षडयंत्र को कभी कामयाब नहीं होने देगी.
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और मुख्यमंत्री मनोहल लाल खट्टर को खुली चुनौती देते हुए रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि वे एक बार प्रदेश की मंडियों, विशेषकर जींद जिले की अनाज मंडियों का दौरा कर देख लें कि जिस किसान, मजदूर और व्यापारी ने उन्हें अर्श पर पहुंचाया था वो कितना दुखी है.
सरकार के पास गेहूं खरीदने के पैसे नहीं
उन्होंने कहा कि सरकार के पास गेहूं खरीदने के पैसे ही नहीं है. क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार ने फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया का 75 हजार करोड़ रुपया काट दिया है. जिसके चलते गलत नीतियां लागू कर सरकार गेंहू खरीद से आनाकानी कर रही है और हरियाणा का किसान फसल गेहूं की खरीद न हो पाने से बेहद निराश और हताश है.
रणदीप सुरेजवाला ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कटाई के 20 दिन बाद भी गेहूं की खरीद सुनिश्चित नहीं कर सकते तो उन्हें अपने पदों पर बने रहना का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.
सुरजेवाला ने सरकार से पूछे पांच सवाल
सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से पांच सवाल भी पूछे:-
- गेहूं खरीद में चौतरफा बदइंतजामी और बदहाली का क्या कारण है ? खट्टर सरकार किसान की गेहूं, मंडियों में आने के बावजूद क्यों नहीं खरीद रही ? क्या यह सरकार की संपूर्ण विफलता का सबूत नहीं ?
- भाजपा-जजपा सरकार किसान-आढ़ती के दशकों पुराने गठजोड़ को तोड़ने का षडयंत्र क्यों कर रही है ? किसान-आढ़ती-मजदूर के सामूहिक सहयोग के बगैर फसल कैसे खरीदी जाएगी ? फसल खरीद के बारे आए दिन बदलते हुए परस्पर विरोधी तुगलकी फरमान जारी करने का क्या कारण है ?
- भाजपा-जजपा सरकार हर किसान और आढ़ती से सारी गेहूं न खरीद कर, सीमित खरीद ही क्यों कर रही है ? क्या इस प्रकार से गेहूं खरीद की प्रक्रिया (जिसमें पहले ही 20 दिन की देरी हो चुकी) अब तीस दिन के खरीद चक्र से बढ़कर 100 से 120 दिन नहीं हो जाएगी ? ऐसे में, गरीब किसान अपनी फसल का भंडारण कहां और कैसे करेगा ? मजदूर को मेहनताना कैसे देगा और बेमौसमी बारिश से फसल नष्ट होने को कैसे बचाएगा ? ऐसे में किसान अगली खरीफ की फसल की बुआई कैसे कर पाएगा ?
- क्या कारण है कि गेहूं मंडी में लाने वाले किसान का मौके पर रजिस्ट्रेशन हो, गेहूं की बिक्री नहीं हो रही? 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा वेब पोर्टल पर गेहूं खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख, 19 अप्रैल 2020 ही क्यों, जैसा खट्टर साहब ने 7 अप्रैल की पत्रकार वार्ता में कहा है ?
- भाजपा-जजपा सरकार किसान को गेहूं खरीद पर 125 रु. क्विंटल का बोनस न देकर विश्वासघात क्यों कर रही है ? क्या 125 रु. क्विंटल बोनस देने का वादा खट्टर सरकार ने 26 मार्च 2020 को लिखित में नहीं किया था ?
सरकार को सुरजेवाला की सलाह
प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि हरियाणा की जजपा-भाजपा सरकार लगातार तीसरे दिन गेहूं खरीद मामले में फेल साबित हुई है. रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार गेहूं खरीद की पुरानी पद्धति को बहाल करें और यदि इससे इससे भी आगे एक कदम बढ़ाते हुए आढ़ती को ही फसल खरीद का जिम्मा सौंप दें तो सोशल डिस्टेंसिंग में भी इजाफा होगा.
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