जींद: सरकार द्वारा दिव्यांगों को सहायता देने के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन क्या इन योजनाओं का लाभ दिव्यांगों को मिल भी रहा है या फिर नहीं इसकी जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने जींद का दौरा किया.
इस दौरान जींद के नागरिक अस्पताल से लेकर, मेडिकल बोर्ड तक के चक्कर लगाए गए. जहां पाया गया की दिव्यांगों को सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए जिस सर्टिफिकेट यानी विकलांग प्रमाण पत्र की जरूरत होती है उसके लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है और वो पिछले काफी समय से जिला अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं और कुछ लोगों को तो अगले वर्ष जनवरी में आने के लिए कह दिया गया है.
दरअसल दिव्यांगों को जिला अस्पताल से एक सर्टिफिकेट लेना पड़ता है. या फिर जिन लोगों के सर्टिफिकेट की वैधता खत्म हो गई है उनको हर 3 साल में ये सर्टिफिकेट रिन्यू करवाना होता है. जिसके आधार पर ही ये तय किया जाता है कि व्यक्ति शारीरिक रूप से कितने प्रतिशत अपंग है, फिर उसी हिसाब से उक्त लाभार्थी को सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाता है. लेकिन यहां ये सर्टिफिकेट पाने के लिए लाभार्थी कई महीनों से चक्कर काट रहे हैं.
नागिरक अस्पताल पहुंची एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि वो पिछले डेढ़ साल से चक्कर काट रही है और जिस दिन वो आती है उस दिन अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं होता या फिर उन्हें कुछ दिनों बाद आने के लिए कहा जाता है.
वहीं जब नागरिक अस्पताल के डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. गोपाल से पूछा गया की क्यों इन लोगों को सर्टिफिकेट पाने के लिए इतने चक्कर काटने पड़ रहे हैं तो उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से लागू हुए लॉक डाउन के कारण आवेदकों की संख्या बेहद ज्यादा हो गई है और अब करोना के दिशा निर्देश के चलते सिर्फ 40 लोगों को ही सप्ताह के हर बुधवार को जांच के लिए बुलाया जाता है.
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दिव्यांगों को सरकारी सुविधाएं देने और कागजी कार्रवाई के लिए सरकार द्वारा हर कार्यालय में अलग से खिड़कियां, बसों में अलग से सीट और इनको पेंशन देने का प्रावधान है. लेकिन इन सब सुविधाओं का तभी फायदा होगा जब इनके सर्टिफिकेट बनकर इनके हाथों में दिए जाएंगे. फिलहाल इन्हें अभी और इंतजार करना पड़ेगा.