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ऑल हरियाणा अर्थ मूवर्स संगठन का जींद में प्रदर्शन, सरकार को आंदोलन की चेतावनी - जींद एकलव्य स्टेडियम

Earthen Workers Protest in Jind: रविवार को जींद में ऑल हरियाणा अर्थ मूवर्स संगठन के आह्वान पर मिट्टी का कार्य करने वाले मजदूरों ने प्रदर्शन किया. अर्थ मूवर्स का कहना है कि माइनिंग विभाग उन्हें बेवजह परेशान कर रहा है. जिससे मिट्टी के कार्य से जुड़े लोगों की रोजी रोटी का खतरा पैदा हो गया है.

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ऑल हरियाणा अर्थ मूवर्स संगठन का जींद में प्रदर्शन, सरकार को आंदोलन की चेतावनी
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 7, 2024, 8:03 PM IST

जींद: ऑल हरियाणा अर्थ मूवर्स संगठन के आह्वान पर रविवार को प्रदेश भर से एकजुट हुए मिट्टी का कार्य करने वालों ने मिट्टी के कार्य को माइनिंग से बाहर करने की मांग की. इस मांग को लेकर संगठन ने जींद एकलव्य स्टेडियम से हुंकार भरी. अर्थ मूवर्स का कहना है कि माइनिंग विभाग उन्हें बेवजह परेशान कर रहा है. जिससे मिट्टी के कार्य से जुड़े लोगों की रोजी रोटी का खतरा पैदा हो गया है. इससे किसानों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

संगठन के नेताओं ने सरकार और प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने मिट्टी के कार्य को माइनिंग से बाहर नहीं किया, तो अर्थ मूवर्स आंदोलन करने को मजबूर हो जाएगा. जिसके लिए उन्होंने 20 जनवरी तक अल्टीमेटम सरकार को दिया है. अर्थ मूवर्स संगठन के वक्ताओं ने कहा कि लाखों परिवार खेतों से मिट्टी उठाने के कार्य से जुड़े हैं. उनका परिवार भी इस कार्य पर निर्भर है.

किसान पानी तथा अन्य समस्याओं के चलते किसान अपने खेत को समतल करवाने के लिए मिट्टी उठवाता है. अगर किसी के पास अनुमति नहीं है, तो माईनिग विभाग भारी भरकम जुर्माना लगाता है. जिसके डर से कोई खेत से मिट्टी नहीं उठा पा रहा है. जिससे किसान भी परेशान हैं. मिट्टी उठवाने के लिए पहले माइनिंग विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है. बिना इसके किसान अपनी मर्जी से खेत को समतल नहीं करवा सकता.

अगर किसान अपने खेत से मिट्टी बिना परमिशन उठाई, तो माइनिंग विभाग उनके खिलाफ भी कार्रवाई करता है. इसी प्रकार अपने प्लॉट की भरती भी नहीं करवा सकता. काफी ऐसे किसान हैं. जिन्होंने किश्तों पर ट्रैक्टर तथा ट्रॉली ली हैं. पूरा साल खेत में काम ना होने के कारण किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली को मिट्टी उठाने में किराये पर लगा देता है. साल 2017 से पहले माइनिंग विभाग की कोई अनुमति नहीं लेनी पड़ती थी. जिसके बाद सरकार ने मिट्टी को माइनिंग के अधीन ला दिया.

उन्होंने कहा कि गरीब आदमी मिट्टी डलवाते हैं, मकान की छत के लिये, पशुओं के नीचे, अपने घर को पानी की मार से बचाने के लिये, अपने प्लॉट आदि को पानी की मार से बचाने के लिए. तो माइनिंग विभाग के नियमों के कारण वो इन छोटे कामों के लिये भी मिट्टी नहीं ला सकता. उन्होंने कहा कि विभाग में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है. कोई व्यक्ति माइनिंग की परमिशन के लिये विभाग में कागज लेकर जाता है. कर्मी उसे परेशान करना शुरू कर देते हैं.

उन्होंने कहा कि विभाग के नियम भी टेढ़े हैं. अनुमति के लिए लंबा समय लग जाता है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने अर्थ मूवर्स को माइनिंग से बाहर नहीं किया तो एक बड़े तबके पर रोजी रोटी की समस्या आ जाएगी. अर्थ मूवर्स संगठन के महासचिव आनंद ने कहा कि मिट्टी का कार्य करने वाले छोटे मजदूर और किसान हैं. माइनिंग के दायरे में लाने से उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 20 जनवरी तक का समय सरकार को दिया गया है. जिसके बाद प्रदेश स्तरीय बैठक बुलाकर आंदोलन का बिगुल फूंका जाएगा.

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ये भी पढ़ें- अहीर के बाद अब हरियाणा में उठी ब्राह्मण रेजिमेंट के गठन की मांग, चलाया जाएगा हस्ताक्षर अभियान

जींद: ऑल हरियाणा अर्थ मूवर्स संगठन के आह्वान पर रविवार को प्रदेश भर से एकजुट हुए मिट्टी का कार्य करने वालों ने मिट्टी के कार्य को माइनिंग से बाहर करने की मांग की. इस मांग को लेकर संगठन ने जींद एकलव्य स्टेडियम से हुंकार भरी. अर्थ मूवर्स का कहना है कि माइनिंग विभाग उन्हें बेवजह परेशान कर रहा है. जिससे मिट्टी के कार्य से जुड़े लोगों की रोजी रोटी का खतरा पैदा हो गया है. इससे किसानों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

संगठन के नेताओं ने सरकार और प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने मिट्टी के कार्य को माइनिंग से बाहर नहीं किया, तो अर्थ मूवर्स आंदोलन करने को मजबूर हो जाएगा. जिसके लिए उन्होंने 20 जनवरी तक अल्टीमेटम सरकार को दिया है. अर्थ मूवर्स संगठन के वक्ताओं ने कहा कि लाखों परिवार खेतों से मिट्टी उठाने के कार्य से जुड़े हैं. उनका परिवार भी इस कार्य पर निर्भर है.

किसान पानी तथा अन्य समस्याओं के चलते किसान अपने खेत को समतल करवाने के लिए मिट्टी उठवाता है. अगर किसी के पास अनुमति नहीं है, तो माईनिग विभाग भारी भरकम जुर्माना लगाता है. जिसके डर से कोई खेत से मिट्टी नहीं उठा पा रहा है. जिससे किसान भी परेशान हैं. मिट्टी उठवाने के लिए पहले माइनिंग विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है. बिना इसके किसान अपनी मर्जी से खेत को समतल नहीं करवा सकता.

अगर किसान अपने खेत से मिट्टी बिना परमिशन उठाई, तो माइनिंग विभाग उनके खिलाफ भी कार्रवाई करता है. इसी प्रकार अपने प्लॉट की भरती भी नहीं करवा सकता. काफी ऐसे किसान हैं. जिन्होंने किश्तों पर ट्रैक्टर तथा ट्रॉली ली हैं. पूरा साल खेत में काम ना होने के कारण किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली को मिट्टी उठाने में किराये पर लगा देता है. साल 2017 से पहले माइनिंग विभाग की कोई अनुमति नहीं लेनी पड़ती थी. जिसके बाद सरकार ने मिट्टी को माइनिंग के अधीन ला दिया.

उन्होंने कहा कि गरीब आदमी मिट्टी डलवाते हैं, मकान की छत के लिये, पशुओं के नीचे, अपने घर को पानी की मार से बचाने के लिये, अपने प्लॉट आदि को पानी की मार से बचाने के लिए. तो माइनिंग विभाग के नियमों के कारण वो इन छोटे कामों के लिये भी मिट्टी नहीं ला सकता. उन्होंने कहा कि विभाग में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है. कोई व्यक्ति माइनिंग की परमिशन के लिये विभाग में कागज लेकर जाता है. कर्मी उसे परेशान करना शुरू कर देते हैं.

उन्होंने कहा कि विभाग के नियम भी टेढ़े हैं. अनुमति के लिए लंबा समय लग जाता है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने अर्थ मूवर्स को माइनिंग से बाहर नहीं किया तो एक बड़े तबके पर रोजी रोटी की समस्या आ जाएगी. अर्थ मूवर्स संगठन के महासचिव आनंद ने कहा कि मिट्टी का कार्य करने वाले छोटे मजदूर और किसान हैं. माइनिंग के दायरे में लाने से उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 20 जनवरी तक का समय सरकार को दिया गया है. जिसके बाद प्रदेश स्तरीय बैठक बुलाकर आंदोलन का बिगुल फूंका जाएगा.

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