झज्जरः रजिस्ट्री टोकन के नाम पर बहादुरगढ़ में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है. ई-दिशा केन्द्र पर जिस टोकन की कीमत 10 रुपये है. वही टोकन 100 से 5 हजार रुपये में दिया जा रहा है. टोकन का ये भ्रष्टाचार सीएससी सेंटरों के जरिए होता है. जहां से एडवांस में 100 रूपये के स्टाम्प पेपर पर भी रजिस्ट्री के टोकन काट दिए जाते हैं. लोगों का कहना है कि ई-दिशा केन्द्र और सीएससी केन्द्र 10 रुपये के टोकन के बदले 200 रुपये लेते हैं और उसके बाद टोकन को ब्लैक में भी बेचा जाता है.
टोकन का भ्रष्टाचार
रजिस्ट्री करने वाला अधिकारी हो या कराने वाला हो या फिर कोई दलाल, रजिस्ट्री के नाम पर जमकर रिश्वत का खेल खेला जाता है. प्रदेश की हर तहसील का यही हाल है. रजिस्ट्री के इस भ्रष्टाचार में नए भ्रष्टाचार की पोल खुली है. जो है टोकन का भ्रष्टाचार. दरअसल प्रदेश में ई-दिशा केन्द्रों की स्थापना के साथ ही रजिस्ट्री करवाने से पहले टोकन कटवाना जरूरी होता है. ई-दिशा केन्द्र पर इस टोकन की कीमत महज 10 रूपये हैं, लेकिन 10 रूपये का ये टोकन हजारों, लाखों रूपये का भ्रष्टाचार हर रोज कराता है.
बहादुरगढ़ तहसील में हर रोज रजिस्ट्री के लिए 100 टोकन की सीमा तय कर रखी है, लेकिन ये टोकन कई-कई दिन पहले एडवांस में दलाल कटवा लेते हैं और जो लोग रजिस्ट्री के लिए आते हैं उन्हें ये टोकन दलालों से खरीदना पड़ता है. ऐसे में सबसे ज्यादा अगर कोई परेशान है तो वो है आम जनता.
सोमवार से गुरुवार तक के टोकन
जानकारी के मुताबिक सोमवार को 100 टोकन काटे गए लेकिन रजिस्ट्री हुई महज 20 की. वहीं मंगलवार को 104 टोकन काटे गए, जिनमें 4 इमरजेंसी टोकन थे. लेकिन रजिस्ट्री हुई महज 8 की. बुधवार को भी 100 टोकन काटे गए. गुरूवार को भी 100 टोकन काटे गए. शुक्रवार के टोकन भी एडवांस में 100 कट चुके हैं. 9 दिसंबर के लिए भी 66 टोकन और 10 दिसंबर के लिए 28 टोकन पांच दिन पहले ही कट चुके हैं.
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ऐसे चलता है भ्रष्टाचार का खेल
रजिस्ट्री कराने के लिए अधिकृत लोगों का कहना है कि टाइपिस्ट टाईप के दलाल सीएसी सेंटरों से एडवांस में टोकन कटवा लेते हैं. सीएससी सेंटरों से महज 100 रुपये के स्टाम्प पर भी रजिस्ट्री का टोकन मिल जाता है. ई-दिशा केन्द्र पर भी 10 रुपये के टोकन के लिये 200 रुपये तक लिए जाते हैं. अवैध कॉलोनियों में रजिस्ट्री के लिए एडवांस टोकन का खेल खेला जाता है. इस चक्कर में जो सही लोग रजिस्ट्री के लिए आते हैं, उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है.
अधिकारियों की मनमानी
टोकन पर रजिस्ट्री का समय भी निश्चित होता है. जिसके मुताबिक अगर टोकन नंबर 10 को 11 बजे का समय मिला है और टोकन नंबर 15 को 12 बजे का समय मिला है. लेकिन अगर टोकन नंबर 10 से 15 के बीच के टोकन रजिस्ट्री के लिए नहीं आते हैं तो 15 नंबर वाले टोकन को 12 बजे तक इंतजार करना होगा. अपनी रजिस्ट्री के लिए और इस एक घंटे के लिए रजिस्ट्री करने वाला पूरा स्टाफ खाली बैठा रहेगा. फिर चाहे लोगों की लंबी लाईनें ही क्यों न लगी हुई हों.