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रजिस्ट्री टोकन के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल, 10 रुपये के बदले आम जनता से हजारों की लूट!

प्रदेश में ई-दिशा केन्द्रों की स्थापना के साथ ही रजिस्ट्री करवाने से पहले टोकन कटवाना जरूरी होता है. ई-दिशा केन्द्र पर इस टोकन की कीमत महज 10 रूपये हैं, लेकिन 10 रूपये का ये टोकन हजारों, लाखों रूपये का भ्रष्टाचार हर रोज कराता है.

registry token scam bahadurgarh
रजिस्ट्री टोकन के नाम पर भ्रष्टाचारी का खेल
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Published : Dec 6, 2019, 11:41 AM IST

झज्जरः रजिस्ट्री टोकन के नाम पर बहादुरगढ़ में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है. ई-दिशा केन्द्र पर जिस टोकन की कीमत 10 रुपये है. वही टोकन 100 से 5 हजार रुपये में दिया जा रहा है. टोकन का ये भ्रष्टाचार सीएससी सेंटरों के जरिए होता है. जहां से एडवांस में 100 रूपये के स्टाम्प पेपर पर भी रजिस्ट्री के टोकन काट दिए जाते हैं. लोगों का कहना है कि ई-दिशा केन्द्र और सीएससी केन्द्र 10 रुपये के टोकन के बदले 200 रुपये लेते हैं और उसके बाद टोकन को ब्लैक में भी बेचा जाता है.

टोकन का भ्रष्टाचार
रजिस्ट्री करने वाला अधिकारी हो या कराने वाला हो या फिर कोई दलाल, रजिस्ट्री के नाम पर जमकर रिश्वत का खेल खेला जाता है. प्रदेश की हर तहसील का यही हाल है. रजिस्ट्री के इस भ्रष्टाचार में नए भ्रष्टाचार की पोल खुली है. जो है टोकन का भ्रष्टाचार. दरअसल प्रदेश में ई-दिशा केन्द्रों की स्थापना के साथ ही रजिस्ट्री करवाने से पहले टोकन कटवाना जरूरी होता है. ई-दिशा केन्द्र पर इस टोकन की कीमत महज 10 रूपये हैं, लेकिन 10 रूपये का ये टोकन हजारों, लाखों रूपये का भ्रष्टाचार हर रोज कराता है.

बहादुरगढ़ तहसील में हर रोज रजिस्ट्री के लिए 100 टोकन की सीमा तय कर रखी है, लेकिन ये टोकन कई-कई दिन पहले एडवांस में दलाल कटवा लेते हैं और जो लोग रजिस्ट्री के लिए आते हैं उन्हें ये टोकन दलालों से खरीदना पड़ता है. ऐसे में सबसे ज्यादा अगर कोई परेशान है तो वो है आम जनता.

झज्जर में रजिस्ट्री टोकन के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल.

सोमवार से गुरुवार तक के टोकन
जानकारी के मुताबिक सोमवार को 100 टोकन काटे गए लेकिन रजिस्ट्री हुई महज 20 की. वहीं मंगलवार को 104 टोकन काटे गए, जिनमें 4 इमरजेंसी टोकन थे. लेकिन रजिस्ट्री हुई महज 8 की. बुधवार को भी 100 टोकन काटे गए. गुरूवार को भी 100 टोकन काटे गए. शुक्रवार के टोकन भी एडवांस में 100 कट चुके हैं. 9 दिसंबर के लिए भी 66 टोकन और 10 दिसंबर के लिए 28 टोकन पांच दिन पहले ही कट चुके हैं.

ये भी पढ़ेंः हरियाणा के इन आठ शहरों में हवा की गुणवत्ता हुई खराब, सीपीसीबी ने जारी किए आंकड़े

ऐसे चलता है भ्रष्टाचार का खेल
रजिस्ट्री कराने के लिए अधिकृत लोगों का कहना है कि टाइपिस्ट टाईप के दलाल सीएसी सेंटरों से एडवांस में टोकन कटवा लेते हैं. सीएससी सेंटरों से महज 100 रुपये के स्टाम्प पर भी रजिस्ट्री का टोकन मिल जाता है. ई-दिशा केन्द्र पर भी 10 रुपये के टोकन के लिये 200 रुपये तक लिए जाते हैं. अवैध कॉलोनियों में रजिस्ट्री के लिए एडवांस टोकन का खेल खेला जाता है. इस चक्कर में जो सही लोग रजिस्ट्री के लिए आते हैं, उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है.

अधिकारियों की मनमानी
टोकन पर रजिस्ट्री का समय भी निश्चित होता है. जिसके मुताबिक अगर टोकन नंबर 10 को 11 बजे का समय मिला है और टोकन नंबर 15 को 12 बजे का समय मिला है. लेकिन अगर टोकन नंबर 10 से 15 के बीच के टोकन रजिस्ट्री के लिए नहीं आते हैं तो 15 नंबर वाले टोकन को 12 बजे तक इंतजार करना होगा. अपनी रजिस्ट्री के लिए और इस एक घंटे के लिए रजिस्ट्री करने वाला पूरा स्टाफ खाली बैठा रहेगा. फिर चाहे लोगों की लंबी लाईनें ही क्यों न लगी हुई हों.

झज्जरः रजिस्ट्री टोकन के नाम पर बहादुरगढ़ में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है. ई-दिशा केन्द्र पर जिस टोकन की कीमत 10 रुपये है. वही टोकन 100 से 5 हजार रुपये में दिया जा रहा है. टोकन का ये भ्रष्टाचार सीएससी सेंटरों के जरिए होता है. जहां से एडवांस में 100 रूपये के स्टाम्प पेपर पर भी रजिस्ट्री के टोकन काट दिए जाते हैं. लोगों का कहना है कि ई-दिशा केन्द्र और सीएससी केन्द्र 10 रुपये के टोकन के बदले 200 रुपये लेते हैं और उसके बाद टोकन को ब्लैक में भी बेचा जाता है.

टोकन का भ्रष्टाचार
रजिस्ट्री करने वाला अधिकारी हो या कराने वाला हो या फिर कोई दलाल, रजिस्ट्री के नाम पर जमकर रिश्वत का खेल खेला जाता है. प्रदेश की हर तहसील का यही हाल है. रजिस्ट्री के इस भ्रष्टाचार में नए भ्रष्टाचार की पोल खुली है. जो है टोकन का भ्रष्टाचार. दरअसल प्रदेश में ई-दिशा केन्द्रों की स्थापना के साथ ही रजिस्ट्री करवाने से पहले टोकन कटवाना जरूरी होता है. ई-दिशा केन्द्र पर इस टोकन की कीमत महज 10 रूपये हैं, लेकिन 10 रूपये का ये टोकन हजारों, लाखों रूपये का भ्रष्टाचार हर रोज कराता है.

बहादुरगढ़ तहसील में हर रोज रजिस्ट्री के लिए 100 टोकन की सीमा तय कर रखी है, लेकिन ये टोकन कई-कई दिन पहले एडवांस में दलाल कटवा लेते हैं और जो लोग रजिस्ट्री के लिए आते हैं उन्हें ये टोकन दलालों से खरीदना पड़ता है. ऐसे में सबसे ज्यादा अगर कोई परेशान है तो वो है आम जनता.

झज्जर में रजिस्ट्री टोकन के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल.

सोमवार से गुरुवार तक के टोकन
जानकारी के मुताबिक सोमवार को 100 टोकन काटे गए लेकिन रजिस्ट्री हुई महज 20 की. वहीं मंगलवार को 104 टोकन काटे गए, जिनमें 4 इमरजेंसी टोकन थे. लेकिन रजिस्ट्री हुई महज 8 की. बुधवार को भी 100 टोकन काटे गए. गुरूवार को भी 100 टोकन काटे गए. शुक्रवार के टोकन भी एडवांस में 100 कट चुके हैं. 9 दिसंबर के लिए भी 66 टोकन और 10 दिसंबर के लिए 28 टोकन पांच दिन पहले ही कट चुके हैं.

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ऐसे चलता है भ्रष्टाचार का खेल
रजिस्ट्री कराने के लिए अधिकृत लोगों का कहना है कि टाइपिस्ट टाईप के दलाल सीएसी सेंटरों से एडवांस में टोकन कटवा लेते हैं. सीएससी सेंटरों से महज 100 रुपये के स्टाम्प पर भी रजिस्ट्री का टोकन मिल जाता है. ई-दिशा केन्द्र पर भी 10 रुपये के टोकन के लिये 200 रुपये तक लिए जाते हैं. अवैध कॉलोनियों में रजिस्ट्री के लिए एडवांस टोकन का खेल खेला जाता है. इस चक्कर में जो सही लोग रजिस्ट्री के लिए आते हैं, उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है.

अधिकारियों की मनमानी
टोकन पर रजिस्ट्री का समय भी निश्चित होता है. जिसके मुताबिक अगर टोकन नंबर 10 को 11 बजे का समय मिला है और टोकन नंबर 15 को 12 बजे का समय मिला है. लेकिन अगर टोकन नंबर 10 से 15 के बीच के टोकन रजिस्ट्री के लिए नहीं आते हैं तो 15 नंबर वाले टोकन को 12 बजे तक इंतजार करना होगा. अपनी रजिस्ट्री के लिए और इस एक घंटे के लिए रजिस्ट्री करने वाला पूरा स्टाफ खाली बैठा रहेगा. फिर चाहे लोगों की लंबी लाईनें ही क्यों न लगी हुई हों.

Intro:रजिस्ट्री टोकन के नाम पर बहादुरगढ़ में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। ईदिशा केन्द्र पर जिस टोकन की कीमत 10 रूप्ये हैं वही टोकन 100 से 5 हजार रूप्ये तक में ब्लैक हो रहा है। रजिस्ट्री के लिये हर रोज 100 टोकन की सीमा तय है। लेकिन ये टोकन कई कई दिन पहले एडवांस में दलाल टाईप के लोग कटवा लेते हैं और जो लोग रजिस्ट्री के लिये आते हैं उन्हे ये टोकन उन्ही दलालों से खरीदना पड़ता है। टोकन का ये भ्रष्टाचार सीएससी सैंटरों के जरिये होता है जहां से एडवांस में 100 रूप्ये के स्टैम्प पेपर पर भी रजिस्ट्री के टोकन काट दिये जाते हैं। वसीका नवीसों का कहना है कि ईदिशा केन्द्र और सीएससी केन्द्र 10 रूप्ये के टोकन के बदले 200 रूप्ये लेते हैं और उसके बाद टोकन की ब्लैक भी होती है।Body:रजिस्ट्री करने वाला अधिकारी हो या कराने वाला वसीका या फिर कोई दलाल, रजिस्ट्री के नाम पर जमकर रिश्वत का खेल खेला जाता है। प्रदेश की हर तहसील का यही हाल है। रजिस्ट्री के इस भ्रष्टाचार में आज हम एक नये भ्रष्टाचार की पोल खोलने वाले हैं। टोकन का भ्रष्टाचार। दरअसल प्रदेश में ईदिशा केन्द्रों की स्थापना के साथ ही रजिस्ट्री करवाने से पहले टोकन कटवाना जरूरी होता है। ईदिशा केन्द्र पर इस टोकन की कीमत महज 10 रूप्ये हैं। लेकिन 10 रूप्ये का ये टोकन हजारों , लाखों रूप्ये का भ्रष्टाचार हर रोज करता है। दरअसल बहादुरगढ़ तहसील में हर रोज रजिस्ट्री के लिये 100 टोकन की सीमा तय कर रखी है। लेकिन 100 टोकन तो कई कई दिन पहले एडवांस में ही कट जाते हैं। मान लीजिये आज आपको रजिस्ट्री करवानी है तो आपको टोकन लेना होगा , लेकिन टोकन तो मिलेगा नही क्योंकि 100 टोकन तो पहले ही कट चुके हैं । अब अगर आपको रजिस्ट्री करवानी है तो आपको 10 रूप्ये का ये टोकन 1000 से 2000 रूप्ये की ब्लैक में लेना होगा। तभी हो पायेगी आपकी रजिस्ट्री।
बाईट जयंिसह वसीका नवीस

टोकन के इस भ्रष्टाचार की एक बानगी देखिये। सोमवार को 100 टोकन काटे गये लेकिन रजिस्ट्री हुई महज 20। मंगलवार को 104 टोकन काटे गये जिनमें 4 इमरजेंसी टोकन थे। लेकिन रजिस्ट्री हुई महज 8। बुधवार को भी 100 टोकन काटे गये। गुरूवार को भी 100 टोकन काटे गये। शुक्रवार के टोकन भी एडवांस में 100 कट चुके हैं। 9 दिसम्बर के लिये भी 66 टोकन और 10 दिसम्बर के लिये 28 टोकन पांच दिन पहले ही कट चुके हैं। टोकन का ये खेल सिर्फ पैसे का खेल बन गया है।रजिस्ट्री कराने के लिय अधिकृत वसीका नवीसों का कहना है कि टाईपिस्ट टाईप के दलाल सीएसी सैंटरों से एडवांस में टोकन कटवा लेते हैं। सीएससी सैंटरों से महज 100 रूप्ये के स्टाम्प पर भी रजिस्ट्री का टोकन मिल जाता है। वसीका नवीस जयसिंह का कहना है कि ईदिशा केन्द्र पर भी 10 रूप्ये के टोकन के लिये 200 रूप्ये तक लिये जाते हैं। इनका कहना है कि अवैध कालोनियों में रजिस्ट्री के लिये एडवांस टोकन का खेल खेला जाता है। इस चक्कर में जो सही लोग रजिस्ट्री के लिये आते हैं उन्हे परेशानी का सामना करना पड़ता है।
बाईट सुरेन्द्र स्थानीय निवासी,

टोकन पर रजिस्ट्री का समय भी निश्चित होता है। मान लीजिये अगर टोकन नम्बर 10 को 11 बजे का समय मिला है। और टोकन नम्बर 15 को 12 बजे का समय मिला है। लेकिन अगर टोकन नम्बर 10 से 15 के बीच के टोकन रजिस्ट्री के लिये नही आते हैं तो 15 नम्बर वाले टोकन को 12 बजे तक इंतजार करना होगा अपनी रजिस्ट्री के लिये और इस एक घंटे के लिये रजिस्ट्री करने वाला पूरा स्टाफ खाली बैठा रहेगा। फिर चाहे लोगों की लम्बी लाईनें ही क्यों न लगी हुई हो।
बाईट धर्मपाल वसीका नवीस

सरकार ने हर तहसील के लिये हर रोज रजिस्ट्री टोकन की सीमा तय कर रखी है। बहादुरगढ़ में ये सीमा 100 टोकन की है। इसके उपर 10 टोकन इमरजेंसी में काट सकते हैं। एडवांस टोकन के लिये 70 लाख रूप्ये तक की रजिस्ट्री के 5 हजार, 70 से एक करोड़ तक की रजिस्ट्री के लिये 10 हजार और एक करोड़ से उपर की रजिस्ट्री के लिये 20 हजार रूप्ये फीस रखी गई है। अब देखना ये है कि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जिनके पास राजस्व विभाग का कार्यभार है वो इस टोकन के भ्रष्टाचार से कब लोगों को मुक्ति दिला पाते हैं या फिर से भ्रष्टाचार का ये खेल लोगों की जेब पर यूंही डाका डालता रहेगा।
प्रदीप धनखड़
बहादुरगढ़।Conclusion:सरकार ने हर तहसील के लिये हर रोज रजिस्ट्री टोकन की सीमा तय कर रखी है। बहादुरगढ़ में ये सीमा 100 टोकन की है। इसके उपर 10 टोकन इमरजेंसी में काट सकते हैं। एडवांस टोकन के लिये 70 लाख रूप्ये तक की रजिस्ट्री के 5 हजार, 70 से एक करोड़ तक की रजिस्ट्री के लिये 10 हजार और एक करोड़ से उपर की रजिस्ट्री के लिये 20 हजार रूप्ये फीस रखी गई है। अब देखना ये है कि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जिनके पास राजस्व विभाग का कार्यभार है वो इस टोकन के भ्रष्टाचार से कब लोगों को मुक्ति दिला पाते हैं या फिर से भ्रष्टाचार का ये खेल लोगों की जेब पर यूंही डाका डालता रहेगा।
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