झज्जर: ईटीवी भारत की झज्जर में बने शेल्टर होम का रियलिटी चेक करने पहुंची. शेल्टर होम के हालात बेहद नाजुक दिखाई दिए. वैसे तो प्रशाशन की तरफ से शेल्टर में दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं लेकिन धरातल पर ये दावे पूरी तरह से बेबस नज़र आ रहे हैं.
प्रवासियों को नहीं भरपेट खाना
जब इन शेल्टर होम में रह रहे प्रवासी मजदूरों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि एक तो अपनों से दूर बैठे हैं. सरकार जाने भी नहीं दे रही और ऊपर से भर पेट भोजन नहीं मिल रहा. जिले के शेल्टर होम में ठहरे प्रवासी मजदूर जिनमें महिलाएं भी शामिल है. उन्हें ना भरपेट भोजन मिलता है और ना ही साबुन, तेल और कंघी. यहां सरकार और प्रशासन के सिर्फ दावे नजर आ रहे हैं.
बंदी जैसा जीवन जीने को मजबूरी प्रवासी
प्रवासी मजदूरों का कहना है कि उन्हें यहां बंदी जैसे जिंदगी जीने को मिल रही है. उन्हें भर पेट भोजन भी नहीं मिल पा रहा है. जो भोजन मिलता है, उनमे, 5 रोटियां दी जाती हैं. ये रोटियां पूरी तरह से जली हुई होती हैं. आलम ये है कि जब इस बारे में भोजन वितरण करने वालों से शिकायत की जाती है तो वो लोग इन मजदूरों को डांटते हैं. जली हुई रोटियां को दिखाते हुए लोगों ने कहा कि जब समय पर खाना मांगा जाता है तो उन्हें अच्छे खाने के बदले तिरस्कार ही मिलता है.
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आपको बता दे कि ये प्रवासी मजदूर झज्जर के बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बनाए गए शेल्टर होम में ठहरे हुए हैं. यहां करीब 54 प्रवासी मजदूर हैं जिन्हें सुबह 11:00 बजे और शाम को साढ़े 7:00 बजे भोजन दिया जाता है. इन लोगों की मांग है कि प्रशासन उन्हें भरपेट भोजन मुहैया कराए. जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक रहे.