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टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने शुरू की बच्चों की पाठशाला, रोज लगती है 2 से 3 घंटे क्लास

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Published : Mar 14, 2021, 7:32 PM IST

टिकरी बॉर्डर आंदोलन स्थल पर किसानों ने अस्थाई स्कूल तैयार किया है. इसे किसान स्कूल का नाम दिया गया है. यहां आसपास के तकरीबन 50 बच्चे रोजाना पढ़ने के लिए आते हैं. किसानों की इस पहल को खूब सराहा भी जा रहा है.

kisan school at tikri border jhajjar
kisan school at tikri border jhajjar

झज्जर: टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने एक बेहतरीन प्रयास किया है. किसानों ने बॉर्डर पर ही एक छोटा सा स्कूल तैयार कर दिया है. इस स्कूल में आसपास के बच्चों को हर रोज शिक्षा दी जा रही है. करीब एक महीने से किसान स्कूल में बच्चों को शिक्षा मुहैया करवाई जा रही है.

खास बात ये है कि किसान खुद अपने खर्चे पर इन मासूम बच्चों को शिक्षा मुहैया करा रहे हैं. इतना ही नहीं, खाने-पीने से लेकर उनकी कॉपी-किताबें, पेंसिल के अलावा तमाम सुविधाएं किसान इन बच्चों को दे रहे हैं. बच्चे और उनके अभिभावक भी किसानों के इस प्रयास से बेहद खुश नजर आ रहे हैं.

टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने शुरू की बच्चों की पाठशाला, देखें वीडियो

ये भी पढे़ं- बढ़ती गर्मी को देखते हुए सोनीपत सिंघु बॉर्डर पर किसान बना रहे पक्का मकान

किसान स्कूल में बच्चों का कहना है कि उन्हें हर रोज 2 से 3 घंटे क्लास दी जाती है. जिसमें हर सब्जेक्ट को पढ़ाया जाता है. आसपास के गरीब बच्चों को किसानों द्वारा शिक्षा देने की तारीख चारों तरफ हो रही है.

बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने वाले किसान अनूप कुमार का कहना है कि जिस तरह से सरकार कृषि कानूनों को लागू करने की जिद पर अड़ी हुई. तो उन्हें लगता है कि सरकार अभी कृषि कानून को रद्द करने वाली नहीं है. जिसके चलते किसानों ने भी लंबी लड़ाई लड़ने का निर्णय पहले से ही ले रखा है. यही कारण है कि उन्होंने अस्थाई स्कूल शुरू किया है.

ये भी पढ़ें- कृषि कल्याण के लिए 2,998 करोड़ रुपये का बजट, प्रदेश में होंगे एक हजार किसान एटीएम स्थापित

झज्जर: टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने एक बेहतरीन प्रयास किया है. किसानों ने बॉर्डर पर ही एक छोटा सा स्कूल तैयार कर दिया है. इस स्कूल में आसपास के बच्चों को हर रोज शिक्षा दी जा रही है. करीब एक महीने से किसान स्कूल में बच्चों को शिक्षा मुहैया करवाई जा रही है.

खास बात ये है कि किसान खुद अपने खर्चे पर इन मासूम बच्चों को शिक्षा मुहैया करा रहे हैं. इतना ही नहीं, खाने-पीने से लेकर उनकी कॉपी-किताबें, पेंसिल के अलावा तमाम सुविधाएं किसान इन बच्चों को दे रहे हैं. बच्चे और उनके अभिभावक भी किसानों के इस प्रयास से बेहद खुश नजर आ रहे हैं.

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किसान स्कूल में बच्चों का कहना है कि उन्हें हर रोज 2 से 3 घंटे क्लास दी जाती है. जिसमें हर सब्जेक्ट को पढ़ाया जाता है. आसपास के गरीब बच्चों को किसानों द्वारा शिक्षा देने की तारीख चारों तरफ हो रही है.

बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने वाले किसान अनूप कुमार का कहना है कि जिस तरह से सरकार कृषि कानूनों को लागू करने की जिद पर अड़ी हुई. तो उन्हें लगता है कि सरकार अभी कृषि कानून को रद्द करने वाली नहीं है. जिसके चलते किसानों ने भी लंबी लड़ाई लड़ने का निर्णय पहले से ही ले रखा है. यही कारण है कि उन्होंने अस्थाई स्कूल शुरू किया है.

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