ETV Bharat / state

आयुष्मान योजना का सचः बेटी के लिए फोन गिरवी रखकर पिता को खरीदना पड़ा रेबीज का इंजेक्शन - फोन गिरवी रखा

सरकारी अस्पताल में रेबीज का इंजेक्शन न मिलने के चलते मजबूर पिता को अपना मोबाइल गिरवी रखना पड़ा,क्योंकि रैबिज के इंजेक्शन की कीमत 4500 रूपए थी और मजबूर पिता की जेब में सिर्फ दो हजार रूपए थे.

बच्ची के इलाज के लिए मजबूर पिता ने गिरवी रख दिया फोन
author img

By

Published : Aug 20, 2019, 11:28 AM IST

Updated : Aug 20, 2019, 2:51 PM IST

झज्जर: एक तरफ जहां सरकार आयुष्मान योजना के लागू होने के बाद पूरे देश में गरीबों को निशुल्क इलाज मुहैया कराए जाने के लंबे-चौड़े दावे कर रही है. वहीं इस योजना से आमजन और गरीब आदमी को कितना लाभ मिल रहा है इसकी बानगी झज्जर में देखने को मिली. जहां अपनी मासूम बच्ची के इलाज के लिए मजबूर पिता को अपना मोबाइल फोन गिरवी रखना पड़ा.

आयुष्मान योजना का सच जानने के लिए क्लिक कर देखें रिपोर्ट

3 साल की गुंजन को आवारा कुत्ते ने बनाया था शिकार
शहर के सुभाष नगर क्षेत्र में तीन साल की गुंजन को आवारा कुत्ते ने काटा लिया था. इलाज के लिए परिजन गुंजन को सिविल अस्पताल लेकर आए. जहां गुंजन के पिता को ये कहा गया कि सरकारी अस्पताल में इंजेक्शन नहीं है. जिसके बाद गुंजन के पिता ने बाहर से इंजेक्शन खरीदने की सोची, लेकिन इंजेक्शन 4500 रुपये का था और उसके पास सिर्फ 2000 रुपये बचे थे. ऐसे में 2500 रूपये कम पड़ने की सूरत में उसने मोबाइल को गिरवी रख दिया. बाद में दोस्त से उधार लेकर उसने अपना गिरवी मोबइल वापस लिया.

सीएमओ ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
वहीं सीएमओ ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में है और उन्होंने अस्पताल से इस लापरवाही पर जवाब मांगा है. जवाब आने के बाद कार्रवाई की जाएगी.

झज्जर: एक तरफ जहां सरकार आयुष्मान योजना के लागू होने के बाद पूरे देश में गरीबों को निशुल्क इलाज मुहैया कराए जाने के लंबे-चौड़े दावे कर रही है. वहीं इस योजना से आमजन और गरीब आदमी को कितना लाभ मिल रहा है इसकी बानगी झज्जर में देखने को मिली. जहां अपनी मासूम बच्ची के इलाज के लिए मजबूर पिता को अपना मोबाइल फोन गिरवी रखना पड़ा.

आयुष्मान योजना का सच जानने के लिए क्लिक कर देखें रिपोर्ट

3 साल की गुंजन को आवारा कुत्ते ने बनाया था शिकार
शहर के सुभाष नगर क्षेत्र में तीन साल की गुंजन को आवारा कुत्ते ने काटा लिया था. इलाज के लिए परिजन गुंजन को सिविल अस्पताल लेकर आए. जहां गुंजन के पिता को ये कहा गया कि सरकारी अस्पताल में इंजेक्शन नहीं है. जिसके बाद गुंजन के पिता ने बाहर से इंजेक्शन खरीदने की सोची, लेकिन इंजेक्शन 4500 रुपये का था और उसके पास सिर्फ 2000 रुपये बचे थे. ऐसे में 2500 रूपये कम पड़ने की सूरत में उसने मोबाइल को गिरवी रख दिया. बाद में दोस्त से उधार लेकर उसने अपना गिरवी मोबइल वापस लिया.

सीएमओ ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
वहीं सीएमओ ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में है और उन्होंने अस्पताल से इस लापरवाही पर जवाब मांगा है. जवाब आने के बाद कार्रवाई की जाएगी.

Intro:मजबूर पिता को इलाज के लिए गिरवी रखना पड़ा मोबाईल
: कुत्ते के काटने पर मासूम को लेकर अस्पताल पहुंचा था मजबूर पिता
: अस्पताल से न मिलने पर मोबाईल गिरवी रख बाहर से खरीदा इंजैक्शन
: सीएमओ बोले,जांच के बाद ही सामने आ पाएगी मामले की सच्चाईBody:एक तरफ जहां सरकार आयुष्मान योजना के लागू होने के बाद पूरे देश गरीबों को निशुल्क इलाज मुहैया कराए जाने के लंबे-चौडे दावे कर रही है वहीं इस योजना से आमजन व गरीब आदमी को कितना लाभ मिल रहा है इसकी बानगी झज्जर में एक तीन साल की मासूम को कुत्ते द्वारा काटने का मामला है। अपनी मासूम बेटी के इलाज के लिए मजबूर पिता को अपना मोबाईल फोन 25 सौ रूपए में गिरवी रख कर ही बाहर प्राईवेट दुकान से रेबिज का इंजैक्शन खरीदना पड़ा है। इंजैक्शन की कीमत बाहर दुकान पर 45 सौ रूपए थी और मजबूर पिता की जेब में केवल दो हजार रूपए थे। सरकारी अस्पताल में इंजैक्शन न मिलने के चलते ही मजबूर पिता को अपना मोबाईल गिरवी रखना पड़ा। जिसके बाद ही मासूम का इलाज हो पाया। मामला झज्जर के तलाव रोड पर स्थित धांधु नगर के सामने का है। यहां यूपी का रहने वाला खन्ना सिंह अपने परिवार के साथ एक अमरूद के बाग में मजदूरी का काम कर गुजर-बसर कर रहा है। खन्ना सिंह के मुताबिक उसकी तीन साल की मासूम गुंज्जन को आवारा कुत्तों ने मुंह पर काट खाया। जिसके इलाज के लिए वह झज्जर के सरकारी अस्पताल में गया। लेकिन वहां उसे मासूम के इलाज के लिए मामूली उपचार तो जरूर मुहैया कराया,लेकिन कुत्ते के काटने के लिए लगाया जाने वाला रेबिज का इंजैक्शन लगाने से साफ मना कर उन्हें रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया। रोहतक में भी उन्हें दवाईयां व इंजैक्शन बाहर से खरीदना पड़ा। जब वह रेबिज का इंजैक्शन बाहर दुकान पर खरीदने के लिए गया तो उसकी जेब में केवल 25 सौ रूपए थे। जबकि इंजैक्शन की कीमत 45 सौ रूपए थी। उसे उसी समय 25 सौ रूपए में दुकानदार के यहां अपना मोबाईल गिरवी रख कर इंजैक्शन खरीदना पड़ा। बाद मेें उसने अपने दोस्त से रूपए उधार लेकर ही अपने गिरवी रखे मोबाईल को दुकानदार से छुड़वाया।
बाइट- पिता
बाइट- माँ
यह बोले सीएमओ: मामला उनके संज्ञान में है। उन्होंने इस मामले में विभाग के कामेंट मांगे है। जैसे ही कांमेट सामने आएगें,उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
बाइट- सीएमओ आर एस पुनिया
प्रदीप धनखड़
झज्जर Conclusion:अपनी मासूम बेटी के इलाज के लिए मजबूर पिता को अपना मोबाईल फोन 25 सौ रूपए में गिरवी रख कर ही बाहर प्राईवेट दुकान से रेबिज का इंजैक्शन खरीदना पड़ा है। इंजैक्शन की कीमत बाहर दुकान पर 45 सौ रूपए थी और मजबूर पिता की जेब में केवल दो हजार रूपए थे। सरकारी अस्पताल में इंजैक्शन न मिलने के चलते ही मजबूर पिता को अपना मोबाईल गिरवी रखना पड़ा। जिसके बाद ही मासूम का इलाज हो पाया।
Last Updated : Aug 20, 2019, 2:51 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.