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मेरा दिल दुखता है कि कैंसर संस्थान के उद्घाटन में मुझे बुलाया नहीं गया: दीपेंद्र हुड्डा - पीएम मोदी उद्घाटन कैंसर संस्थान झज्जर

दीपेंद्र हुड्डा (Deependra Hooda) ने कहा कि ऐसा दो बार हो चुका है जब मेरे क्षेत्र में कोई सरकारी कार्यक्रम हुआ और मुझे आमंत्रित नहीं किया गया.

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मेरा दिल दुखता है कि कैंसर संस्थान के उद्घाटन में मुझे बुलाया नहीं गया
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Published : Oct 21, 2021, 8:02 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि उन्हें झज्जर में इंफोसिस फाउंडेशन के विश्राम सदन के उद्घाटन में शामिल नहीं हुए, क्योंकि उन्हें कार्यक्रम के लिए कोई निमंत्रण नहीं मिला. दीपेंद्र कहते हुए कि उनकी आवाज को इस तरह 'कुचला' नहीं जा सकता है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, 'ऐसा दो बार हो चुका है. इससे पहले भी झज्जर एम्स में एक समारोह हुआ था. जब एम्स के लिए आधारशिला रखी गई थी तब यूपीए शासन के तहत 2009 में 11 संस्थानों को मंजूरी दी गई थी. उनमें से एक, राष्ट्रीय कैंसर संस्थान वहां आया. मेरा दिल दुखता है कि प्रोटोकॉल को दरकिनार करते हुए, मुझे इस कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई, मुझे आमंत्रित तक नहीं किया गया.'

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कैंसर संस्थान के उद्घाटन में मुझे बुलाया नहीं गया, देखिए वीडियो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को हरियाणा के झज्जर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के झज्जर परिसर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान में इंफोसिस विश्राम सदन का उद्घाटन किया. यह भारत में वैक्सीन की 100 करोड़ खुराक की उपलब्धि हासिल करने के अवसर पर किया गया है. हुड्डा ने कहा, 'मैं अपने देशवासियों, लाखों डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और सभी सरकारों, राजनीतिक दलों, संगठनों को बधाई देना चाहता हूं, जो एक साथ आए, जिसकी वजह से ये मील के पत्थर हासिल हुए. कोई भी हमारे देशवासियों से उस क्रेडिट को नहीं चुरा सकता है.'

ये भी पढ़ें- झज्जर में नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के रेस्ट हाउस का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन

उन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध पर भी प्रतिक्रिया व्यक्त की क्योंकि आज भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन सड़कों को अनिश्चित काल तक अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट को इसे सरकार पर बहुत सख्त कदम उठाना चाहिए. यह सरकार है जिसके कारण ये राजमार्ग अवरुद्ध हैं. किसान रामलीला मैदान जाना चाहते थे, लेकिन सरकार ने उन्हें वहां जाने की अनुमति नहीं दी, इसलिए उन्हें मजबूरन हाईवे पर बैठना पड़ा.

ये पढ़ें- पीएम मोदी ने की हरियाणा के सीएम की तारीफ, बोले- हरियाणा के सबसे ईमानदार मुख्यमंत्री मनोहर लाल

नई दिल्ली: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि उन्हें झज्जर में इंफोसिस फाउंडेशन के विश्राम सदन के उद्घाटन में शामिल नहीं हुए, क्योंकि उन्हें कार्यक्रम के लिए कोई निमंत्रण नहीं मिला. दीपेंद्र कहते हुए कि उनकी आवाज को इस तरह 'कुचला' नहीं जा सकता है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, 'ऐसा दो बार हो चुका है. इससे पहले भी झज्जर एम्स में एक समारोह हुआ था. जब एम्स के लिए आधारशिला रखी गई थी तब यूपीए शासन के तहत 2009 में 11 संस्थानों को मंजूरी दी गई थी. उनमें से एक, राष्ट्रीय कैंसर संस्थान वहां आया. मेरा दिल दुखता है कि प्रोटोकॉल को दरकिनार करते हुए, मुझे इस कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई, मुझे आमंत्रित तक नहीं किया गया.'

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कैंसर संस्थान के उद्घाटन में मुझे बुलाया नहीं गया, देखिए वीडियो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को हरियाणा के झज्जर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के झज्जर परिसर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान में इंफोसिस विश्राम सदन का उद्घाटन किया. यह भारत में वैक्सीन की 100 करोड़ खुराक की उपलब्धि हासिल करने के अवसर पर किया गया है. हुड्डा ने कहा, 'मैं अपने देशवासियों, लाखों डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और सभी सरकारों, राजनीतिक दलों, संगठनों को बधाई देना चाहता हूं, जो एक साथ आए, जिसकी वजह से ये मील के पत्थर हासिल हुए. कोई भी हमारे देशवासियों से उस क्रेडिट को नहीं चुरा सकता है.'

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उन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध पर भी प्रतिक्रिया व्यक्त की क्योंकि आज भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन सड़कों को अनिश्चित काल तक अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट को इसे सरकार पर बहुत सख्त कदम उठाना चाहिए. यह सरकार है जिसके कारण ये राजमार्ग अवरुद्ध हैं. किसान रामलीला मैदान जाना चाहते थे, लेकिन सरकार ने उन्हें वहां जाने की अनुमति नहीं दी, इसलिए उन्हें मजबूरन हाईवे पर बैठना पड़ा.

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