बहादुरगढ़: भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस बेहद निराशा और हताशा के दौर से गुजर रही है. लोकसभा चुनाव में हार के बाद से आए दिन कोई न कोई नेता पार्टी छोड़ कर जा रहा है. बहादुरगढ़ से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सतीश छिकारा ने पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा के सामने ही कांग्रेस पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया. सतीश छिकारा झज्जर जिला परिषद के पूर्व चेयरमैन हैं. वे बहादुरगढ़ में 17 दिन से पूर्ण उत्तरी बाईपास बनाने की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं.
पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा उनका समर्थन करने के लिए धरना स्थल पर पहुंचे थे. मौके पर ही कांग्रेस नेता सतीश छिकारा ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया. वहां मौजूद कुछ लोगों ने सतीश छिकारा को मनाने का भी प्रयास किया, लेकिन जब सतीश छिकारा नहीं माने तो सभी कांग्रेस कार्यकर्ता सांसद दीपेंद्र हुड्डा के साथ धरना स्थल से रवाना हो गए.
इस पर सतीश छिकारा कहा कि स्थानीय कांग्रेस नेता उन पर कई तरह के आरोप लगा रहे हैं, जिससे वे बेहद दुखी हैं. वे कांग्रेस पार्टी का टिकट लेने के लिए धरना नहीं दे रहे, बल्कि बहादुरगढ़ के लोगों की आवाज उठाने के लिए धरना दे रहे हैं और वे आगे भी सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर लोगों की आवाज उठाते रहेंगे. वे सांसद दीपेंद्र हुड्डा के अब भी साथ हैं लेकिन वे कांग्रेस पार्टी छोड़ रहे हैं.
इस दौरान मीडिया से बात करते हुए पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि वे बहादुरगढ़ में पूर्ण उत्तरी बाईपास बनाने की मांग को लेकर चल रहे धरने का पूर्ण रूप से समर्थन करते हैं. जब वे सांसद थे तो उन्होंने बहादुरगढ़ का पूर्ण उत्तरी बाईपास पास करवाया था, लेकिन बीजेपी सरकार ने बाईपास नहीं बनने दिया. इस दौरान दीपेंद्र हुड्डा सतीश छिकरा पर कुछ भी नहीं बोले मीडिया से किनारा करते हुए निकल गए.
आपको बता दें कि सतीश छिकारा पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिए जाने से नाराज होकर वे हुड्डा गुट छोड़कर तंवर गुट में शामिल हो गए थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही उन्होंने दीपेंद्र हुड्डा की खुलकर मदद की.
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भी पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा सतीश छिकारा द्वारा आयोजित एक जनसभा में नहीं पहुंचे थे, जिसके बाद सतीश छिकारा की बहादुरगढ़ हल्के में खूब किरकिरी हुई थी. सतीश छिकारा बहादुरगढ़ हलके के अच्छे खासे वोट बैंक पर अपनी पकड़ रखते हैं. उनके कांग्रेस छोड़ने का ऐलान करने से आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है.