झज्जर: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बीते कई महीनों से धरने पर बैठे बर्खास्त पीटीआई टीचर्स को आश्वान दिया है कि उन्हें कहीं ना कहीं एडजस्ट किया जाएगा. मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद अब राहत की सांस ली है. लेकिन यहां ये बता दें कि वो अबी तक धरनस्थल पर डटे हुए हैं.
ईटीवी भारत की टीम का धन्यवाद करते हुए एक बर्खास्त टीचर ने कहा कि इस लड़ाई में उन्होंने हमारा बहुत साथ दिया. उनकी राज्य स्तरीय कमेटी की बातचीत भी सरकार से चली हुई है. जिसमें मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि दो-चार दिन में उन्हें शिक्षा विभाग में ही एडजस्ट कर दिया जाएगा, लेकिन इंतजार है उस समय का जब सरकार की तरफ से सभी बर्खास्त पीटीआई टीचर्स को विभाग में नियुक्ति दी जाएगी.
आपको बता दें कि प्रदेश स्तर पर 1983 बर्खास्त पीटीआई टीचर्स लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. शुक्रवार को उनके प्रदर्शन का 131वां दिन है, लेकिन अब सरकार और पीटीआई टीचर्स के बीच सहमति बनी है. जिसके बाद अब पीटीआई टीचर कुछ संतुष्ट नजर आ रहे हैं. हालांकि उनका धरना अभी खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने साथ में ये भी चेतवानी दी है कि अगर उनके साथ फिर से धोखा हुआ तो उनका धरना बड़े आंदोलन का रूप लेगा.
ये है पूरा मामला
साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमितता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है.
आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ ये भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.
इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था. इसके बाद से ही पीटीआई टीचर लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.
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