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Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के लिए भीमेश्वरी देवी मंदिर में सभी तैयारियां पूरी - भीमेश्वरी देवी मंदिर में नवरात्रि को लेकर तैयारी

चैत्र नवरात्रि 2023 को लेकर देश भर में मंदिरों में तैयारियां शुरू हो गई हैं. वहीं, झज्जर जिले के बेरी कस्बे में स्थित भीमेश्वरी देवी मंदिर में भी नवरात्रि को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों ने सोमवार को तैयारियों का जायजा लिया. (Chaitra Navratri 2023)

Mata Bhimeshwari Devi temple
भीमेश्वरी देवी मंदिर में नवरात्रि को लेकर तैयारी
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Published : Mar 20, 2023, 6:41 PM IST

झज्जर: हरियाणा झज्जर जिले के बेरी कस्बे में स्थित विश्व प्रसिद्ध मां भीमेश्वरी देवी मंदिर में चैत्र नवरात्रि पर्व 22 मार्च से शुरू हो रहा है. इस अवसर पर महाभारत कालीन माता भीमेश्वरी देवी मंदिर में इस अवसर पर मेले का भी आयोजन किया जाएगा. देश के कोने कोने से लाखों श्रद्धालु माता के मंदिर में शीश नवाने पहुंचेंगे. इस आयोजन को सफल बनाने के लिए यहां सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. प्रशासनिक अधिकारियों ने मेला प्रबंधन द्वारा की गई तैयारियों का जायजा भी लिया.

माता भीमेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास: इस बार नवरात्र 9 दिन के होंगे. ऐसा 9 दिनों में शुभ योगों का संयोग रहेगा. इस बार 22 से 29 मार्च तक बेरी के माता भीमेश्वरी देवी का मेला लगेगा. इस मंदिर का इतिहास महभारत कालीन है. कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत युद्ध से पहले भगवान कृष्ण ने भीम को कुलदेवी मां से विजय श्री का आशीर्वाद लेने के लिए भेजा था. मां चलने को तो तैयार हो गईं, लेकिन शर्त रखी कि रास्ते में कहीं उतारना नहीं होगा. लेकिन, जब भीम बेरी पहुंचे तो उन्हें लघुशंका जाने के लिए इस प्रतिमा को नीचे रख दिया. तभी से मां भीमेश्वरी देवी यहां विराजमान हैं. मां की पूजा अर्चना का सिलसिला महाभारत काल से ही चला आ रहा है. मान्यता है कि यहां के मंदिर को महाभारत काल में स्थापित किया गया था.

Mata Bhimeshwari Devi temple
चैत्र नवरात्रि को लेकर भीमेश्वरी देवी मंदिर में तैयारियों का जायजा लेते हुए अधिकारी.

ये भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि में नौ दिनों तक उपवास रखने के हैं कई स्वास्थ्य लाभ, जानें यहां...

चैत्र नवरात्रि में मां की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व: चैत्र नवरात्र में मां की पूजा अर्चना से विशेष फल मिलता है. एक तरफ जहां नवविवाहित जोड़े माता के दर्शन कर बेहतर भविष्य की कामना करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ श्रद्धालु अपने नवजात शिशुओं के सिर का मुंडन करा कर बाल माता पर चढ़ाते हैं. ताकि उनके बच्चों के सिर पर मां की कृपा बनी रहे.

ये भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि में नाव पर सवार होकर आ रहीं हैं माता, इस साल माता भक्तों पर बरसाएंगी असीम कृपा

चांदी के सिंहासन पर माता हैं विराजमान: बता दें कि बेरी में स्थित मां भीमेश्वरी देवी मंदिर की एक ओर बात भी इसे अन्य मंदिरों से खास बनाती है. यहां मां की प्रतिमा तो एक है, लेकिन मंदिर दो है. मां भीमेश्वरी देवी की प्रतिमा को रोजाना सुबह 5 बजे बेरी कस्बे से बाहर स्थित मंदिर में लाया जाता है. जहां श्रद्धालु माता के दर्शन कर पूजा अर्चना करते हैं. वहीं, दोपहर 12 बजे प्रतिमा को पुजारी अंदर वाले मंदिर में लेकर जाते हैं, जिसके बाद अंदर वाले मंदिर में मां आराम करती हैं. इस बार माता भीमेश्वरी देवी की पोशाक कोलकाता से बनकर आई है. चांदी के सिंहासन पर विराजमान मां के भव्य रूप का दर्शन करने के लिये देशभर से श्रद्धालुओं बेरी पहुंचेंगे. यहां नवरात्र के दौरान ही प्रदेश का सबसे बड़ा पशु मेला भी लगता है.

ये भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2023 : घटस्थापना का ये है सर्वोत्तम तरीका व पूजा विधि

झज्जर: हरियाणा झज्जर जिले के बेरी कस्बे में स्थित विश्व प्रसिद्ध मां भीमेश्वरी देवी मंदिर में चैत्र नवरात्रि पर्व 22 मार्च से शुरू हो रहा है. इस अवसर पर महाभारत कालीन माता भीमेश्वरी देवी मंदिर में इस अवसर पर मेले का भी आयोजन किया जाएगा. देश के कोने कोने से लाखों श्रद्धालु माता के मंदिर में शीश नवाने पहुंचेंगे. इस आयोजन को सफल बनाने के लिए यहां सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. प्रशासनिक अधिकारियों ने मेला प्रबंधन द्वारा की गई तैयारियों का जायजा भी लिया.

माता भीमेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास: इस बार नवरात्र 9 दिन के होंगे. ऐसा 9 दिनों में शुभ योगों का संयोग रहेगा. इस बार 22 से 29 मार्च तक बेरी के माता भीमेश्वरी देवी का मेला लगेगा. इस मंदिर का इतिहास महभारत कालीन है. कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत युद्ध से पहले भगवान कृष्ण ने भीम को कुलदेवी मां से विजय श्री का आशीर्वाद लेने के लिए भेजा था. मां चलने को तो तैयार हो गईं, लेकिन शर्त रखी कि रास्ते में कहीं उतारना नहीं होगा. लेकिन, जब भीम बेरी पहुंचे तो उन्हें लघुशंका जाने के लिए इस प्रतिमा को नीचे रख दिया. तभी से मां भीमेश्वरी देवी यहां विराजमान हैं. मां की पूजा अर्चना का सिलसिला महाभारत काल से ही चला आ रहा है. मान्यता है कि यहां के मंदिर को महाभारत काल में स्थापित किया गया था.

Mata Bhimeshwari Devi temple
चैत्र नवरात्रि को लेकर भीमेश्वरी देवी मंदिर में तैयारियों का जायजा लेते हुए अधिकारी.

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चैत्र नवरात्रि में मां की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व: चैत्र नवरात्र में मां की पूजा अर्चना से विशेष फल मिलता है. एक तरफ जहां नवविवाहित जोड़े माता के दर्शन कर बेहतर भविष्य की कामना करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ श्रद्धालु अपने नवजात शिशुओं के सिर का मुंडन करा कर बाल माता पर चढ़ाते हैं. ताकि उनके बच्चों के सिर पर मां की कृपा बनी रहे.

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चांदी के सिंहासन पर माता हैं विराजमान: बता दें कि बेरी में स्थित मां भीमेश्वरी देवी मंदिर की एक ओर बात भी इसे अन्य मंदिरों से खास बनाती है. यहां मां की प्रतिमा तो एक है, लेकिन मंदिर दो है. मां भीमेश्वरी देवी की प्रतिमा को रोजाना सुबह 5 बजे बेरी कस्बे से बाहर स्थित मंदिर में लाया जाता है. जहां श्रद्धालु माता के दर्शन कर पूजा अर्चना करते हैं. वहीं, दोपहर 12 बजे प्रतिमा को पुजारी अंदर वाले मंदिर में लेकर जाते हैं, जिसके बाद अंदर वाले मंदिर में मां आराम करती हैं. इस बार माता भीमेश्वरी देवी की पोशाक कोलकाता से बनकर आई है. चांदी के सिंहासन पर विराजमान मां के भव्य रूप का दर्शन करने के लिये देशभर से श्रद्धालुओं बेरी पहुंचेंगे. यहां नवरात्र के दौरान ही प्रदेश का सबसे बड़ा पशु मेला भी लगता है.

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