हिसार: हरियाणा में साइबर ठगी के (cyber fraud in Haryana) मामले हर रोज सामने आ रहे हैं. ऐसे मे सभी लोगों के लिए ये जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि साइबर ठग लोगों को ठगने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते हैं. साथ ही साइबर ठगी से बचने के लिए लोगों को क्या करना जरूरी है. साथ ही साइबर ठग का शिकार होने पर हमें बैंक से क्या मदद मिल सकती है. इसके लिए हमने प्रोफेशनल बैंकर और केनरा बैंक में मैनेजर प्रतीक से बातचीत कर जाना कि साइबर फ्रॉड के क्या-क्या तरीके (cyber fraud method) होते हैं और किन तरीकों में बैंक आपकी क्या मदद कर सकता है (Bank fraud precautions) और कैसे आप साइबर फ्रॉड के शिकार होने से बच सकते हैं.
लोगों में डर डालकर ठगी
सबसे ज्यादा साइबर ठग लोगों को डराकर ठगी करने का तरीका अपनाते हैं. जैसे कि आपका अकाउंट बंद हो जाएगा, आपका डेबिट कार्ड बंद हो जाएगा, आपको केवाईसी अपडेट करवानी होगी, आपका अकाउंट ब्लॉक हो जाएगा. इस तरह के किसी भी एंगल से आपको डरा कर ठग आपकी गोपनीय जानकारी हासिल करते हैं और बैंक अकाउंट से सारी राशि अपने बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं.
सावधानी: सबसे पहले आपको यह ध्यान रखना होगा कि बैंक कंप्यूटर में आपकी सारी जानकारी मौजूद होती है और ऐसे में कभी भी बैंक कर्मचारी आपसे आपकी डिटेल जानकारी नहीं पूछेगा. ऐसे में अगर आपके पास बैंक की तरफ से किसी भी तरह की जानकारी मांगने के लिए फोन आए तो गोपनीय जानकारी साझा करने की जगह आप बैंक में जाकर संपर्क करें.
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लालच देकर ठगी
दूसरा सबसे ज्यादा प्रचिलत ठग का तरीका है लालच देकर ठग करना. ऐसे में आपको कॉल करने वाला व्यक्ति आपको किसी ने किसी बात का (online banking fraud in haryana) लालच देगा. जैसे कि आप की लॉटरी निकली है, आपको स्कीम के तहत हम इतना लोन दे रहे हैं, फ्री में आपको क्रेडिट कार्ड दिया जा रहा है, या कार्ड से ट्रांजेक्शन करने पर आपने लकी ड्रॉ में उपहार जीता है. इस तरह की बातें करके वह आपको छलावे में डालकर आपके एटीएम की जानकारी, नेट बैंकिंग की यूजर आईडी व पासवर्ड जानकारी पूछ लेते हैं और आपके अकाउंट से पैसे निकाल लेते हैं.
सावधानी: किसी भी अनजान कॉल से ऐसे ऑफर मिलने पर अपनी गोपनीय जानकारी, जैसे कि OTP (one time password), ATM पिन, नेट बैंकिंग की यूजर आईडी या पासवर्ड किसी के साथ साझा न करें. प्रतीक ने बताया कि बैंक अपने ग्राहक के अकाउंट की सिक्योरिटी के लिए बहुत से प्रोटोकोल बनाता है. जिसके तहत आपके अकाउंट से कोई भी ट्रांजेक्शन या फिर एटीएम से भी कोई ट्रांजेक्शन बिना OTP के नहीं होगी. ऐसे में आप किसी भी सूरत में किसी भी व्यक्ति को फोन पर अपना ओटीपी न बताएं और अगर आप किसी को ओटीपी बता देंगे तो, उस सूरत में बैंक भी आपकी कोई मदद नहीं कर सकता. क्योंकि आपने खुद ओटीपी शेयर कर ट्रांजेक्शन करवाई है.
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ATM कार्ड का क्लोन बनाकर ठगी
अक्सर कई शातिर ठग ATM मशीन में कार्ड लगाने की जगह पर एक डिवाइस लगाकर आपके कार्ड का क्लोन बुला लेते हैं. फिर उसका प्रयोग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में पैसे निकालने के लिए करते हैं. जिससे आपके बैंक अकाउंट से बिना ओटीपी बताए पैसों का ट्रांजेक्शन हो जाता है.
सावधानी: अगर बिना ओटीपी बताए आपके एटीएम से पैसे निकाले जाते हैं, तो तुरंत आप बैंक शाखा से संपर्क करें. ऐसी स्थिति में बैंक के पास प्रवधान है. बैंक कर्मचारी आपके पैसे वापस दिलवाने में मदद कर सकता है. यदि आपने ओटीपी बताकर या फिर अपने लॉगइन पासवर्ड किसी व्यक्ति को फोन पर बताकर ट्रांजेक्शन किया है, तो ऐसी स्थिति में बैंक कोई सहायता नहीं कर सकता. तब आपको साइबर पुलिस की सहायता लेनी होगी.
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बहला-फुसलाकर ठगी
हाल ही में कई मामले ऐसे देखे गए हैं, जहां बैंक या किसी पेमेंट एप से संबंधित कोई शिकायत दर्ज करवाने के लिए लोग गूगल पर उनका कस्टमर केयर नंबर सर्च (cyber crime in Haryana) करते हैं. ऐसे में सर्च में फ्रॉड का नंबर सामने आ जाता है. उस नंबर पर फोन करने पर आपकी शिकायत का तुरंत समाधान करने का दिलासा दिया जाता है और बहला-फुसलाकर आपके फोन में एनीडेस्क या अन्य कोई ऐप इंस्टॉल करवा दिया जाता है. जिसके जरिए आपके फोन को रिमोट पर लेकर ठग खुद ओपरेट करने लगता है. उसके बाद आपसे ही फोन में बैंक की ऐप का लॉगिन करवाया जाता है और इस दौरान ठग यूजर आईडी और पासवर्ड भी नोट कर लेता है. फोन में बैंकिंग ऐप लॉगिन होने के बाद वह फटाफट अपने खाते में आपके खाते से पैसे ट्रांसफर कर लेता है.
सावधानी: कस्टमर केयर के नंबर के लिए यूजर को अपनी पासबुक पर देखना चाहिए. ज्यादातर हर बैंक की पासबुक के पहले पेज पर उनके कस्टमर केयर का नंबर उपलब्ध होता है. ऐसे स्थिति में यूजर को किसी भी तरह की शिकायत या समाधान के लिए अपनी बैंक शाखा में संपर्क करना चाहिए.
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लिंक पर क्लिक करके ठगी
वहीं कुछ मामलों में आपसे यूपीआई ऐड्रेस जानकर यूजर के पास यूपीआई पेमेंट एप में पैसे भेजने की रिक्वेस्ट सेंड की जाती है. यूजर के फोन में नोटिफिकेशन आने पर तुरंत ओके कर देता है. जिससे पैसे उसके खाते में ट्रांसफर हो जाते हैं या फिर पैसे ट्रांसफर करने की प्रोसेस पूरी कर आपको पिन डालने के लिए कहता है. पिन डालते ही यूजर के खाते से पैसे उसके खाते में ट्रांसफर हो जाते हैं. ऑनलाइन बैंकिंग यूजर को कई बार लिंक भेजे जाते हैं जिनके जरिए वह यूजर के फोन पर नजर रखते हैं या फिर लिंक के जरिए पैसे ट्रांसफर करने की रिक्वेस्ट भी भेजते हैं.
सावधानी: ऐसे लिंक पर यूजर को क्लिक नहीं करना चाहिए. क्योंकि ऐसे लिंक पर क्लिक करते ही फोन में कई तरह के बग आ जाते है. जिनसे फोन का डेटा आसानी से चुराया जा सकता है. यहां तक की ठग आपका फोन भी ऑपरेट कर सकते हैं.
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साइबर फ्रॉड में सबसे जानने योग्य बात यह है आपके खाते से पैसे सिर्फ तभी ट्रांसफर किए जा सकते हैं या तो आप अपनी गोपनीय जानकारी किसी के साथ शेयर करते हैं या फिर आपके डेबिट व क्रेडिट कार्ड का क्लोन तैयार करके उसके जरिए ट्रांजेक्शन की जाती है. हालांकि किसी भी तरह की ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए अब ओटीपी को अनिवार्य किया गया है. ऐसे में ओटीपी एक बेहद महत्वपूर्ण चीज है. अगर आप किसी के साथ अपनी ओटीपी और गोपनीय जानकारी शेयर नहीं करेंगे तो आप सब फ्रॉड का शिकार होने से बच सकते हैं.
हिसार जिले में हुए ऐसे ही लगभग 15 से ज्यादा मामले इस साल में साइबर थाने में दर्ज हो चुके हैं. इतने मामले तो वो हैं जो पुलिस तक पहुंचे हैं लेकिन छोटी-छोटी रकम के ऐसे भी कई मामले हैं जो लोग सिर्फ बैंक तक शिकायतें करते है. वहीं रोहतक में हर रोज साइबर ठगी के मामले सामने आते रहते हैं. हाल ही में रोहतक में फेसबुक पर कार का विज्ञापन देखकर कार खरीदने के चक्कर में कृष्ण कुमार तकरीबन डेढ़ लाख रूपये की ठगी के शिकार हो गए. वहीं रोहतक पीजीआई में काम करने वाली संदीप कुमारी और उनकी बहन के साथ अनजान नंबर से कॉल आने पर दोनों बहनों के अकाउंट से 84 हजार रूपये की ठगी हो गई. इन सभी मामलों से सीख लेकर खुद को ठगी से बचाना जरूरी है.
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